द सूत्र इम्पैक्ट: कृषि मंत्री की मेहरबानी से टरफा की राशि की बंदरबांट, सरकार कराएगी जांच

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द सूत्र इम्पैक्ट: कृषि मंत्री की मेहरबानी से टरफा की राशि की बंदरबांट, सरकार कराएगी जांच

भोपाल. प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) की मेहरबानी से टरफा स्कीम के पैसों का बंदरबांट करके योजना की 59 फीसदी राशि अकेले होशंगाबाद जिले को दे दी गई। सबसे पहले द सूत्र ने इसका खुलासा किया था। जिसके बाद अब इस पूरे मामले की सरकार जांच करवा रही है। दरअसल, दलहन की फसलों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने टरफा यानी टारगेटिंग राइस फेलो एरिया स्कीम (TRFA Scheme) लागू की थी। मध्यप्रदेश में भी 2021-22 के लिए इस योजना के अंतर्गत 17 जिलों को 25 करोड़ 23 लाख 30 हजार की राशि आवंटित हुई, पर नियमों को दरकिनार कर होशंगाबाद (Hoshangabad TRFA Scheme) को सबसे ज्यादा 15 करोड़ 3 लाख 65 हजार की राशि दी गई। द सूत्र ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था, जिसके बाद हड़कंप मचा तो सरकार ने इसकी जांच करवाने का फैसला लिया है।

आदिवासी जिलों को पैसा होशंगाबाद को दिया

नियमों को दरकिनार कर होशंगाबाद को सबसे ज्यादा 15 करोड़ 3 लाख 65 हजार राशि दे दी गई। इस जिले पर यह खास मेहरबानी कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर ही की गई है। मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्रों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि विभाग की ओर से टरफा स्कीम में डिंडोरी, मंडला, शहडोल (Shahdol), उमरिया और अनूपपुर जिले (TFFA Scheme Dist) भी शामिल किए गए थे। ये सभी ट्राइबल एरिया होने के कारण यहां आदिवासी किसानों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा अन्य जिलों में नरसिंहपुर, सतना (Satna) और दमोह जिले भी शामिल किए गए थे। लेकिन कृषि मंत्री कमल पटेल ने जिलों के टारगेट (TRFA Scheme Target) बदलकर उसमें होशंगाबाद समेत 11 अन्य जिलों को शामिल कर दिया। विभाग के मंत्री द्वारा जिलों को संशोधित लक्ष्य का अनुमोदन करने वाली नोटशीट द सूत्र के पास मौजूद है।

जानिए, क्या है मोदी सरकार की टरफा स्कीम

टरफा योजना उन जिलों के लिए हैं जहां मुख्य फसल के रूप में सिर्फ धान की फसल होती है। सिंचाई के अभाव में किसान रबी सीजन की दूसरी फसल नहीं ले पाते। उप संचालक कृषि होशंगाबाद जेआर हेड़ाउ ने बताया कि योजना में धान की फसल लेने वाले किसानों को प्राथमिकता इसलिए दी जाती है क्योंकि धान की फसल के लिए खेत ज्यादा पानी रोका जाता है। इस कारण जमीन में नमी ज्यादा होती है। ऐसे में किसान कम पानी लगने वाली दलहन की फसलों जैसे चना और मसूर की खेती कर सकें इसके लिए इस योजना में 5 एकड़ तक के किसानों को निःशुल्क बीज और दवा (Free Seeds and Medicine Scheme) उपलब्ध कराई जाती है।

होशंगाबाद पर मेहरबानी को लेकर खड़े हो रहे हैं सवाल

1- प्रदेश में धान के रकबे के मामले में होशंगाबाद 9वें स्थान पर है। यहां 1 लाख 47 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है। वहीं उत्पादन में यह 5वें नंबर पर है। होशंगाबाद में 6 लाख 42 हजार मीट्रिक टन धान होती है। प्रोडक्टिविटी में ये 7वें पायदान पर है। इसके बाद भी टरफा में जो राशि आवंटित हुई वह सबसे ज्यादा होशंगाबाद को ही मिली।
2- होशंगाबाद गेहूं के उत्पादन में नंबर वन पर है। यहां 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर पर इसकी खेती होती है। खरीफ सीजन में यहां सोयाबीन, धान और मक्का प्रमुख फसल है। तीसरी फसल के रूप में मूंग (Moong) का रकबा ही 2 लाख 5 हजार हेक्टेयर है। इस प्रकार जिस जिले में किसान तीन फसल पहले से ले रहा हो, वहां नियमों को दरकिनार कर टरफा योजना का लाभ दिया जाना सवाल खड़े करता है।   
3- होशंगाबाद में खेती का कुल रकबा 3 लाख 30 हजार हेक्टेयर है। करीब 97 प्रतिशत भूमि सिंचित है। यानि नर्मदा (Narmada River), तवा नदी और इनकी नहरों के माध्यम से 3 लाख 19 हजार हेक्टेयर जमीन पर खेती के लिए पानी उपलब्ध हो रहा है। ऐसे में जहां पानी की कोई कमी नहीं, वहां टरफा का लाभ क्यों दिया गया। 

जबलपुर और शहडोल को भी नहीं किया शामिल

धान के रकबे में होशंगाबाद से आगे जबलपुर (Jabalpur) 7वें स्थान पर और शहडोल 8वें स्थान पर है, लेकिन इसके बाद भी टरफा योजना में इन जिलों को शामिल नहीं किया गया है। वहीं विभाग ने जो प्रस्ताव भेजा था उन जिलों के अतिरिक्त कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी, पन्ना, रीवा, सिंगरौली, रायसेन, होशंगाबाद और बैतूल (Betul) को भी जोड़ा गया।

SC, ST वर्ग के किसानों को मिला सिर्फ 3 फीसदी लाभ

योजना के तहत किसानों को जनसंख्या (Population) के अनुपात में वर्गवार लाभ मिलना चाहिए था, लेकिन होशंगाबाद में 97 प्रतिशत राशि सामान्य और ओबीसी किसानों (OBC Farmers) के लिए दी गई, जो करीब 14 करोड़ 70 लाख है। वहीं जिले में 30 प्रतिशत संख्या होने के बाद भी एससी, एसटी वर्ग के किसानों के लिए आवंटित राशि का 3 प्रतिशत ही यानि करीब 32 लाख रूपए ही स्वीकृत किया गया है।

अपनों को लाभ पहुंचाने किया ऐसा, दर्ज हो आपराधिक मामला

किसान नेता केदार सिरोही (Kedar Sirohi) ने सीधा आरोप लगाया है कि अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए होशंगाबाद को टरफा स्कीम में मंत्री कमल पटेल ने शामिल कराया। टरफा के किसी भी नियम (TRFA Scheme Rules) के अनुसार होशंगाबाद उसमें शामिल हो ही नहीं सकता। यह एक आर्थिक अपराध है। जिसकी सरकार को ईओडब्ल्यू से जांच करानी चाहिए। 

डिमांड ज्यादा की इसलिए राशि भी ज्यादा दी

कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि टरफा में होशंगाबाद को ज्यादा राशि इसलिए मिली क्योंकि वहां के कृषि अमले ने डिमांड ज्यादा की। होशंगाबाद गेहूं के उत्पादन में नंबर वन है। उसे अब हम दलहन के उत्पादन में भी नंबर वन बनाएंगे। 

सबसे ज्यादा इन पांच जिलों को जारी हुई राशि

जिला             -       आवंटित राशि
होशंगाबाद      -       15 करोड़ 3 लाख
कटनी            -       1 करोड़ 97 लाख
बालाघाट        -       1 करोड़ 10 लाख
सिवनी           -       1 करोड़ 5 लाख
रायसेन          -       88 लाख 27 हजार

विभाग का प्रस्ताव और मंत्री के अनुमोदन के बाद जारी राशि

जिला       -    प्रस्तावित राशि        -    अनुमोदन के बाद आवंटित राशि
डिंडोरी      -    3 करोड़ 89 लाख     -    44 लाख 22 हजार
मंडला       -     5 करोड़ 96 लाख    -    73 लाख 47 हजार
नरसिंहपुर    -     3 करोड़ 68 लाख    -    55 लाख 33 हजार
दमोह       -     2 करोड़ 70 लाख     -    59 लाख 27 हजार
सतना       -     5 करोड़ 88 लाख    -     52 लाख 50 हजार
शहडोल     -     4 करोड़ 92 लाख    -     सूची में शामिल नहीं 
उमरिया     -     2 करोड़ 30 लाख    -     41 लाख 27 हजार
अनूपपुर     -     4 करोड़ 9 लाख     -     42 लाख 22 हजार

कृषि मंत्री की मनमानी: आदिवासी जिलों का हक मारकर होशंगाबाद को दिया स्कीम का 59% पैसा

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