Jabalpur. मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश में बिजली कंपनियों को भी भरपूर राहत दी है। बांधों में पानी बढ़ने के बाद हाइड्रल पावर प्लांट में बिजली बनाने की स्पीड भी बढ़ गई है। अधिकतर बांध लबालब होने को हैं, ऐसे में प्रदेश में क्षमता के मुताबिक करीब 2 हजार मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। पिछले साल के मुकाबले इस साल बांधों में अभी से ही ज्यादा पानी भर चुका है, जिस वजह से बांधों से पानी भी छोड़ा जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में बिजली की मांग 8500 मेगावाट के आसपास बनी हुई है, जिसमें से काफी मात्रा में आपूर्ति जलविद्युत के जरिए हो रही है। इस कारण ताप विद्युतगृहों का बोझ भी कम हो गया है।
3051 मेगावाट बिजली बन रही कोयले से
मध्यप्रदेश पावर जनरेशन कंपनी के कोयला आधारित तापविद्युत गृहों में 5400 मेगावाट बिजली पैदा करने की कुल क्षमता है। जिनमें अभी 3051 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। वहीं बीते 23 जुलाई से जल विद्युतगृहों से 1962 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है।
सबसे किफायती है पानी से बनने वाली बिजली
हाइड्रल पावर प्लांट्स में बनने वाली बिजली सबसे सस्ती होती है। जलविद्युत गृहों से मिलने वाली बिजली औसतन 40 पैसे प्रति यूनिट के आसपास पड़ती है। जबकि कोयला आधारित प्लांट से मिलने वाली बिजली 3 से 4 रुपए प्रति यूनिट लागत पर बनती है।
मध्यप्रदेश पावर जनरेशन कंपनी के मुख्य अभियंता हाइड्रल संतोष शुक्ला ने बताया कि बारिश अच्छी होने की वजह से बांध में पिछले साल की तुलना में अधिक पानी है। मप्र जेनको और अन्य सहयोगी इकाईयां दो हजार मेगावाट के आसपास जलविद्युत पैदा कर रही हैं। मप्र जेनको की जलविद्युत उत्पादन की क्षमता 915 मेगावाट है, जिसमें 700 मेगावाट बिजली बन रही है।