/sootr/media/post_banners/8818a8a04f8f88412793e4dd76104e717c743c1533ab92d0275d17ea529f4753.jpeg)
Jabalpur. लड़ाकू बख्तरबंद वाहनों के उत्पादन के लिए साझेदार की तलाश में रशियन रक्षा कंपनियों के दल ने जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री का दौरा किया। इस टीम ने सभी प्लांट में सैन्य वाहनों का उत्पादन देखा। सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लिए बनाया गया माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल(एमपीवी) दल को बहुत रास आया है। दल के सदस्यों ने एमपीवी पर सवार होकर तस्वीरें खिंचवाईं, उसकी विशेषताओं की जानकारी ली। दल ने टेस्ट ट्रैक को भी देखा। आज टीम ने फैक्ट्री के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा भी की।
महिला विशेषज्ञ भी रही शामिल
एक दर्जन से ज्यादा सदस्यों वाली इस टीम में महिला विशेषज्ञ भी शामिल हैं। टीम यहां भारतीय सेना की आगामी जरूरतों के लिए प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल स्टैंडर्ड और प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल हाई आल्टीट्यूड जैसे अत्याधुनिक बख्तरबंद वाहन के उत्पादन के लिए साझेदार ढूंढ रहा है। जानकारी के अनुसार अभी आयुध निर्माणी में सेना के लिए शक्तिशाली युद्धक टैंक भी रूसी कंपनियों के सहयोग से तैयार किए जा रहे हैं। अब उक्त वाहनों के उत्पादनों की योजना है।
ओएफके में एमआईएल के सीएमडी बोले मिलेगा बड़ा प्रोजेक्ट
इधर आयुध निर्माणी खमरिया में म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और सीएमडी रविकांत ने आयुध निर्माणी के कर्मचारियों से संवाद किया। उन्होने कहा कि निर्माणी के पास 31 सौ करोड़ का लक्ष्य है। समय पर पूरा करने के लिए काम में गति लानी होगी। उन्होंने कहा कि आगामी समय में अपग्रेडेड एल-70 एंटी एयरक्राफ्ट एमुनेशन का बड़ा काम भी मिलेगा। हर साल डेढ़ लाख केस तैयार किए जाऐंगे। दूसरी ओर कर्मचारी संगठनों ने भी उन्हें निर्माणी की तकनीकी एवं व्यवहारिक समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने स्वीडन भेजे गए कार्टेज केस की सराहना की और कहा कि यूजर ट्रायल में यह केस सफल रहा। उन्होंने उत्पादन की समीक्षा की और काम में और गति लाने पर जोर दिया।