Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पटाक्षेप कर दिया। मामला एक नाबालिग किशोरी के घर से लापता होने का था। जिसमें किशोरी घर से भागकर अपने प्रेमी के साथ रह रही थी। याचिका दायर किए जाने के बाद पुलिस ने किशोरी को दस्तयाब कर अदालत में पेश किया। जहां किशोरी ने खुद को वयस्क बताते हुए पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने किशोरी को बाल निकेतन में रखने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने किशोरी की जन्मतिथि का विवाद सुलझने और उसके वयस्क होने तक उसकी देखरेख की जिम्मेदारी बाल निकेतन अधीक्षक को सौंपी है।
अदालत ने कहा कि अधिकारी बालिका की वास्तविक जन्मतिथि पता लगाने का हरसंभव प्रयास करेंगे। याचिकाकर्ता पिता को कहा गया कि वे परिस्थितयों में बदलाव होने पर पुनः कोर्ट की शरण ले सकते हैं। दरअसल संजीवनी नगर निवासी सब्जी विक्रेता की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई। कोर्ट को बताया गया कि उसकी पुत्री आठ जुलाई 2022 से घर से लापता है। उसे आशंका है कि गढ़ा निवासी हर्ष रजक उसे अगवा कर ले गया है और घर में बंधक बनाकर रखा हुआ है। इस बात की थाने में शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अदालत के निर्देश पर सीएसपी गोरखपुर प्रतिष्ठा राठी और संजीवनी नगर थाना एसआई सरिता पटेल ने किशोरी को अदालत में पेश किया।
किशोरी ने कोर्ट को बताया कि वह हर्ष से ही विवाह करेगी। लेकिन उसके माता-पिता इसके लिए राजी नहीं हैं। इसलिए वह हर्ष के साथ चली गई थी। दोनों खुद थाने में प्रस्तुत हुए हैं। किशोरी ने कहा कि वह बालिग है और अपने पिता के साथ नहीं जाना चाहती। उसने दावा किया कि उसकी जन्मतिथि स्कूल के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 9 जुलाई 2004 है। दूसरी तरफ याचिकाकर्ता ने नगर निगम का प्रमाण पत्र पेश कर बतया कि किशोरी की जन्मतिथि 9 जुलाई 2006 है। इस आधार पर पुलिस ने आरोपी युवक पर अपहरण, दुष्कर्म के साथ पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी लगा दीं। इस विरोधाभास को देखते हुए कोर्ट ने किशोरी को बालनिकेतन भेजने के निर्देश देकर याचिका का पटाक्षेप कर दिया।