Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व में दिए गए आदेश का पालन करते हुए राज्य सरकार ने इस बात से अवगत कराया है कि नर्मदा के उच्चतर स्तर नहीं, बल्कि सामान्य जलस्तर से 300 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के नियमों के तहत यही प्रावधान हैं। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को नियत की है।
30 मई 2019 को हाईकोर्ट ने नर्मदा के 300 मीटर दायरे में निर्माण पर रोक लगा दी थी। सरकार को बाढ़ स्तर से 300 मीटर के अंदर हुए निर्माणों का ब्यौरा पेश करने को कहा था। इस पर सरकार ने अब जवाब पेश किया है। जिसमें कहा गया है कि नर्मदा के सामान्य जल स्तर से तीन सौ मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक लगाई गई है। सरकार के इस जवाब पर क्रॉस करने के लिए याचिकाकर्ता के वकील को जवाब की प्रति मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।
तिलवारा क्षेत्र में निर्माण पर किया गया था सवाल
नर्मदा मिशन के अध्यक्ष नीलेश रावल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नर्मदा नदी के 300 मीटर प्रतिबंधित जोन में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता। बारिश के दौरान नदी के उच्चतम जलस्तर को बाढ़ स्तर कहते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि तिलवारा में नर्मदा नदी के 300 मीटर दायरे में बड़े स्तर पर निर्माण किए जा रहे हैं। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि 300 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य नहीं रोका गया, तो नर्मदा का मूल स्वरूप परिवर्तित होने का खतरा है। इस मामले को हाईकोर्ट ने बाद में पूरे प्रदेश के नर्मदा तटों के लिए व्यापक कर दिया था।