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REWA. नगर निगम रीवा महापौर और अध्यक्ष के घमासान में फंस गया है। महापौर अजय मिश्र बाबा कांग्रेस के हैं, जबकि अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय बीजेपी के। निगम में पार्षदों का बहुमत बीजेपी के पास है। अब नेता प्रतिपक्ष के औचित्य पर भी सवाल खडे़ किए जा रहे हैं। कांग्रेस के पार्षदों ने निगम आयुक्त से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। नगर निगम में महापौर के समानांतर अध्यक्ष भी अधिकारियों की बैठकें लेकर निर्देशित कर रहे हैं।
विवाद ऐसे शुरू हुआ
नगर निगम के महापौर ने शहर के निर्माण कार्यों का भूमि पूजन शुरू करते हुए कहा कि अब तक कोई 300 निर्माण कार्यों का कार्यादेश जारी नहीं हुआ लेकिन उसका भूमिपूजन हो गया। महापौर ने निर्देश दिए कि ऐसे भूमिपूजनों में जितना भी खर्च हुआ है संबंधित अधिकारियों से उसकी वसूली की जाए। जाहिर है ऐसे भूमि पूजन विधायक राजेन्द्र शुक्ल के मुख्यातिथ्य में हुए, महापौर के निशाने पर वही हैं।
महापौर के इस निर्देश के जवाब में अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय ने नगर निगम के अधिकारियों की बैठकें लेनी शुरू कीं और निर्देशित किया कि जिन कार्यों का भूमिपूजन हो चुका है अब उनके भूमिपूजन नहीं होने चाहिए। अधिकारी महापौर के निर्देशों को आंखमूंद कर नहीं माने उसे परिषद अध्यक्ष को अवगत कराएं।
महापौर ने अध्यक्ष के अधिकारों की सीमा बताई
अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय की बैठक के बाद मेयर अजय मिश्र ने नियम कानूनों का हवाला देकर अध्यक्ष के अधिकारों की सीमा बताई। महापौर ने विधिवत परिपत्र जारी करते हुए कहा कि निगम अध्यक्ष के अधिकार और कर्तव्य का उल्लेख म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 एवं मध्यप्रदेश नगरपालिका (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया) नियम, 2005 (म.प्र. नगरपालिका (मेयर-इन-काउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियों एवं कर्तव्य) नियम, 1998 में वर्णित है), जिसमें म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 18-क. (1) में उल्लेख है कि इस अधिनियम के अध्यधीन रहते हुए, अध्यक्ष की निम्नलिखित शक्तियां तथा कृत्य होंगे -
1- निगम के सम्मिलन की अध्यक्षता करना तथा सम्मिलन की तारीख से सात दिन के भीतर आयुक्त को कार्यवाही की प्रतिलिपि भेजना।
2- महापौर की सहमति से निगम के सम्मिलन की तारीख नियत करना तथा उसकी सूचना, उस कामकाज की सूची (एजेंडा) के साथ जो कि महापौर द्वारा अनुमोदित की गई है, महापौर को भिजवाने की व्यवस्था करना।
3- अपने कार्यालय के अधिकारियों और सेवकों जिसमें निगम का सचिव भी सम्मिलित है, पर प्रशासकीय नियंत्रण रखना।
4- अध्यक्ष को नगर पालिक निगम के सम्मिलन में लिए गए विनिश्चयों पर आयुक्त से निष्पादन रिपोर्ट मंगवाने की शक्ति होगी और वह ऐसे मामलों को जहां निष्पादन तीन माह से परे लंबित रहा हो, निगम के आगामी सम्मिलन के कामकाज की सूची (एजेंड) में सम्मिलित करने के लिए कदम उठा सकेगा।
- धारा 29. सम्मिलनों को संयोजित करना - (1) निगम का सम्मिलन या तो साधारण होगा या विशेष।
उपरोक्त प्रावधानों से स्पष्ट है कि अध्यक्ष (स्पीकर) का उनके कार्यालय के अधिकारियों तथा सेवकों, जिसमें निगम का सचिव भी सम्मिलित है, पर प्रशासकीय नियंत्रण रहेगा। इसके अतिरिक्त नगर निगम के किसी अधिकारी/कर्मचारी पर उनका प्रशासकीय नियंत्रण नहीं है।
महापौर अजय मिश्रा ने कहा कि नगर पालिक निगम रीवा में म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956, म.प्र. नगरपालिका (मेयर-इन-काउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियों एवं कर्तव्य) नियम, 1998 एवं म.प्र. नगरपालिका (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया) नियम 2005 के प्रावधानों के अनुसार समस्त पदाधिकारी, अधिकारी एवं कर्मचारी अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन करें एवं अनावश्यक रूप से असमंजस की स्थिति उत्पन्न न होने दें। साथ ही निगम अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक में अधिकारियों को शामिल न होने के सख्त निर्देश दिए हैं।
नेता प्रतिपक्ष के औचित्य पर सवाल
कांग्रेस के पार्षदों ने वार्ड नंबर 20 के पार्षद दीनानाथ वर्मा को जिला बीजेपी द्वारा नेता प्रतिपक्ष घोषित किए जाने को नगर निगम के अधिकारों में हस्तक्षेप माना। कांग्रेस के पार्षदों ने निगम आयुक्त मृणाल मीणा को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। नगर निगम के पिछले कार्यकाल में अजय मिश्र बाबा नेता प्रतिपक्ष थे। तब तत्कालीन निगम आयुक्त आरपी सिंह ने बीजेपी पार्षदों की आपत्ति स्वीकार करते हुए नेताप्रतिपक्ष पद को औचित्यहीन करार दिया था। यही नहीं अजय मिश्र को उनके चैंबर से बेदखल कर दिया था और सभी सुविधाएं छीन लीं थी। अब कांग्रेस पार्षदों ने उसी नजीर को सामने रखते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।