भोपाल। राजधानी में रानी कमलापति वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा था कि देश VIP कल्चर से EPI कल्चर की तरफ बढ़ रहा है। EPI यानी 'एवरी पर्सन इज इंपोर्टेंट', लेकिन भोपाल में आम लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए BRTS कॉरिडोर पर मोदी का ये फॉर्मूला लागू नहीं होता। दरअसल, पीएम को इम्प्रेस करने के लिए प्रशासन ने 24 किमी लंबे बीआरटीएस कॉरिडोर (Bhopal BRTS Corridor Reality Check) के सिर्फ 3 किमी हिस्से को चमकाया बाकी 21 किमी बदहाल है। हकीकत का जायजा लेने के लिए द सूत्र की टीम ने करोड़ों रुपयों से बने भोपाल और इंदौर के बीआरटीएस कॉरिडोर का रियलिटी चेक किया तो टैक्स पेयर्स की मेहनत की कमाई का पैसा पानी में जाता दिखाई दिया। हालत यह है कि इन कॉरिडोर में बने ज्यादातर बस स्टॉप धूल से अटे पड़े हैं। इनमें यात्रियों की सुविधा के लिए लगाई गई ऑटोमेटिक टिकट वेडिंग मशीनें और डिस्प्ले बोर्ड (Display Board) बंद पड़े हैं।
PM की तारीफ के लिए सिर्फ 3 KM चमकाया
आइए आपको पहले राजधानी भोपाल में 360 करोड़ रुपये की लागत से बने 24 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस कॉरिडोर का हाल बताते हैं। शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public Transport Reality Check) को बढ़ावा देने के लिए BCLL ने 2009-10 में मिसरोद से बैरागढ़ तक लगभग 24 किमी लंबा बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया था। भोपाल में हाल ही में 15 नवंबर को रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (Kamla pati Railway Station) के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने शहर के बीआरटीएस कॉरिडोर की तारीफ की। दरअसल उन्हें प्रभावित करने के लिए इस कॉरिडोर का मेंटेनेंस करने वाली भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) के मैनेजमेंट ने इसके बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (Barkatullah University) से लेकर रानी कमलापति स्टेशन तक के करीब 3 किमी के हिस्से को रंगरोगन कर चमका दिया था। बता दें कि बीयू कैंपस में हेलिकॉप्टर से उतरने के बाद पीएम मोदी को बीआरटीएस के इस रास्ते से ही स्टेशन तक लाया गया था। उन्हें लुभाने के लिए ही कॉरिडोर में बने बस स्टॉप से लेकर इसके दोनों ओर की सर्विस रोड का भी कायाकल्प कर दिया गया था।
ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनें, डिस्प्ले बोर्ड भी खराब
हकीकत में मिसरोद (Misrod) से लेकर संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) तक 24 किमी लंबे इस कॉरिडोर को जिस आम आदमी की सुविधा के लिए बनाया गया है उसके लिए अब इसमें साधारण यात्री सुविधाएं भी नदारद हैं। टूटी रेलिंग और मेट्रो रेल प्रोजेक्ट (Metro Project) के निर्माण कार्य के चलते वीर सावरकर सेतु से बोर्ड ऑफिस तक के खस्ताहाल कॉरिडोर को छोड़ भी दें तो इस कॉरिडोर के ज्यादातर बस स्टॉप से यात्री सुविधाएं नदारद हैं। ये इतने गंदे हैं कि यात्री यहां लगी धूल से भरी कुर्सियों पर बैठना भी पसंद नहीं करते हैं। लाखों रुपये की ऑटोमेटिक टिकट मशीनें सालों से बंद पड़ी हुई हैं। यही नहीं कॉरिडोर में चलने वाली यात्री बसों के डिस्प्ले बोर्ड भी बंद पड़े हैं। इससे यात्रियों को उस बस स्टॉप से गुजरने वाली बसों की जानकारी भी नहीं मिल पाती है।
पार्किंग में बदला बस स्टॉप
मिंटो हॉल Minto Hall (पुरानी विधानसभा) के सामने भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) का बस स्टॉप बना हुआ है, लेकिन इस बस स्टॉप पर बीसीएलएल की बसें नहीं रूकती। बल्कि मुख्य मार्ग से सीधे आगे की ओर निकल जाती हैं। दरअसल यहां का बस स्टॉप अब पार्किंग में तब्दील हो चुका है। यहां बाइक और कारें खड़ी रहती हैं। यहां बस नहीं रूकने से यात्री इस बस स्टॉप की ओर आते ही नहीं है और चौराहे के पास से बस पकड़ते हैं। मिंटो हॉल के सामने का बस स्टॉप पर अब बस सरकारी कार्यक्रमों के विज्ञापन ही नजर आते हैं।
ऐप से बुक टिकट हर बस में मान्य नहीं, कैंसिलेशन पर रिफंड भी नहीं
यदि आपने बीसीएलएल के बहुप्रचारित चलो ऐप (Chalo App) से टिकट बुक कराई है तो यह जरूरी नहीं कि वो हर बस में मान्य हो जाए। इसका कैंसिलेशन करने पर रिफंड भी नहीं मिलेगा। मामले की हकीकत जानने द सूत्र के संवाददाता ने टीआर-1 रूट की बस में आकृति ग्रीन से बोर्ड ऑफिस चौराहे तक के लिए चलो एप के माध्यम से 20 रूपए का एक टिकट बुक किया। इसके बाद बस में सवार होने पर कंडक्टर ने ऐप के माध्यम से बुक टिकट को अलाउ नहीं किया। उसने पैसे लेकर दूसरा टिकट दिया। बस ड्राइवर और कंडक्टर ने बताया कि इस बस में ऐप से बुक टिकट अलाउ नहीं होगा और न ही इसका रिफंड मिलेगा। मतलब यदि आप ऐप से टिकट बुक करते हैं और बीसीएलएल के पुराने ऑपरेटर की बस में बैठ जाते हैं तो आपको टिकट के लिए अलग से पैसे देना होंगे। यहां बड़ा सवाल यह है कि चलो ऐप में बसों के ट्रेकिंग सिस्टम में यह पता नहीं चलता कि किस बस में ऐप से बुक टिकट मान्य होगा और किसमें नहीं।
बस स्टॉप से ई-रिक्शा की सुविधा भी शुरू नहीं
बीआरटीएस के बस स्टॉप से लोगों को उनकी कॉलोनियों तक पहुंचाने के लिए बीसीएलएल ई-रिक्शा भी चलाने वाली थी। इसके लिए जून-2019 में अवधपुरी, मंदाकिनी, अयोध्या नगर, नयापुरा जैसे इलाकों में ट्रायल रन भी किया जो सफल रहा। लेकिन जमीनी स्तर पर इस योजना को कभी उतारा ही नहीं जा सका। अयोध्या निवासी विश्वजीत सिन्हा ने कहा कि पहले कुछ समय के लिए ई-रिक्शा शुरू हुए थे, जो थोड़े समय बाद ही बंद हो गए। इसके बाद इनकी ओर बीसीएलएल प्रशासन ने ध्यान ही नहीं दिया।
सीनियर सिटीजन और स्टूडेंट पास बंद
बीसीएलएल की बसों में कोविड महामारी (Corona) से पहले तक सीनियर सिटीजन और स्टूडेंट पास बनाया जाता था, जो अब तक चालू नहीं हुआ है। इससे स्टूडेंट को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। अभी जो एक महीने के लिए कार्ड बन रहा है उसके लिए 800 रूपए देने पड़ रहे हैं। जबकि स्टूडेंट के लिए यह 300 रूपए और सीनियर सिटीजन के लिए यह कार्ड 500 रूपए में बन जाता था। बीसीएलएल द्वारा बनाए जाने वाले यह कार्ड बीसीएलएल की सभी बसों में अलाउ किए जाते हैं। छात्र रविन्द्र जायसवाल ने कहा कि बीसीएलएल को स्टूडेंट पास फिर से शुरू करना चाहिए क्योंकि शहर में बसों से ट्रेवल करने में अभी काफी पैसा लग रहा है।
बीसीएलएल मैनेजमेंट ने माना 80 फीसदी बस स्टॉप डैमेज
बीआरटीएस की बदहाली और बसों में यात्रियों को सुविधाएं नहीं मिल पाने के मामले में बीसीएलएल मैनेजमेंट का पक्ष जानने द सूत्र संवाददाता ने बीसीएलएल चेयरमैन और नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इसके बाद उन्हें यात्रियों की समस्याओं के बारे में वाट्सऐप मैसेज भी किया पर उन्होंने इसका भी कोई जवाब नहीं दिया। बीसीएलएल के पीआरओ संजय सोनी ने बताया कि शहर में कोरोना आपदा के दौरान जब पहला लॉकडाउन लगा उस समय बस स्टॉप में बड़े पैमाने पर चोरी और टूट-फूट हुई। इस दौरान शहर में कुल 101 बस स्टॉप में से 80 फीसदी बस स्टॉप डैमेज हुए। इनके रखरखाव की जिम्मेदारी एडवरटाइजिंग एजेंसी की है। सुधार की योजना चल रही है जल्द ही ऑटोमेटिक टिकट मशीन को चालू करेंगे।
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