Bhopal. मध्यप्रदेश में बुधवार, 22 जून का दिन राजनीति की नजर से अहम रहेगा। नगरीय निकाय चुनाव (MP civic elections) में चलते दोपहर 3 बजे तक 'नाम वापसी' होगी। यानी, मेयर-पार्षद के कैंडिडेट्स नॉमिनेशन(Mayor-Councillor Candidates Nomination) वापस ले सकेंगे। इसके बाद चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो जाएगी। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर(Bhopal, Indore, Jabalpur, Gwalior) समेत सभी 16 नगर निगम में BJP-कांग्रेस(BJP-Congress) के कैंडिडेट्स के साथ कई बागी भी मेयर-पार्षद के लिए मैदान में डटे हुए हैं। यही हाल नगर पालिका और नगर परिषद में पार्षदों को लेकर भी है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां डेमेज कंट्रोल(damage control) में जुटी हुई है। ताकि, अपनी ही पार्टी के बागी कैंडिडेट्स(rebel candidates) के लिए चुनौती न बने।
18 जून तक नॉमिनेशन (Nomination) जमा हुए थे। बीजेपी-कांग्रेस के साथ 'आप', BSP, जनता दल समेत अन्य पार्टियों के कैंडिडेट्स और निर्दलियों ने भी नॉमिनेशन जमा कर दिए थे। इन निर्दलीय प्रत्याशियों में टिकट न मिलने से नाराज बीजेपी-कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं। इन्हीं से नॉमिनेशन वापस लेने के लिए पार्टी के सीनियर नेता ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। राजधानी भोपाल की बात करें तो यहां मेयर के 11 कैंडिडेट हैं,(11 candidates for mayor) जबकि पार्षद के लिए 810 नामांकन जमा हुए। ऐसी ही स्थिति इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास समेत नगरीय निकायों में है।
रातभर मनाने में जुटे रहे नेता
भोपाल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में असंतुष्टों की भरमार है। टिकट न मिलने से 8 से ज्यादा पूर्व पार्षद इस्तीफे तक सौंप चुके हैं। युवक कांग्रेस पीपीसी दफ्तर और वरिष्ठ नेताओं के बंगलों का घेराव भी कर चुकी है। दूसरी ओर, बीजेपी में भी असंतुष्टों की संख्या कम नहीं है। बीजेपी दफ्तर से लेकर सांसद-विधायकों के यहां प्रदर्शन हो चुके हैं।
..... तो हो जाएंगे निर्दलीय
कई पूर्व पार्षदों ने पार्टी के नाम पर नॉमिनेशन भरे हैं। यदि वे बी फार्म नहीं देंगे तो स्वत: ही निर्दलीय हो जाएंगे। ऐसे असंतुष्टों से नॉमिनेशन वापस लेने के लिए पार्टी के नेता लगे हुए हैं। मंगलवार की पूरी रात डेमेज कंट्रोल चलता रहा तो बुधवार सुबह से फिर नेता असंतुष्टों को मनाने में जुटे रहेंगे। दोपहर 3 बजे तक हर हाल में असंतुष्टों को मनाने का टारगेट रखा गया है। बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम वापसी होगी। इसके बाद उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे।
दो चरण में होंगे चुनाव
- प्रदेश में दो चरण में चुनाव होंगे।
347 नगरीय निकायों में होंगे चुनाव
चुनाव प्रदेश के 347 नगरीय निकायों में होगा। इनमें 16 नगर निगम, 76 नगर पालिका और 255 नगर परिषद है।
भोपाल में 'आप' को झटका
मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी को भोपाल से मेयर कैंडिडेट रानी विश्वकर्मा ने झटका दे चुकी है। पार्टी नेताओं को बिना बताए विश्वकर्मा ने गुपचुप जाकर नॉमिनेशन वापस ले लिया था।
कटनी में महापौर प्रत्याशी के खिलाफ खुलकर उतरे बीजेपी नेता
यहां भाजपा की ओर से महापौर प्रत्याशी घोषित होने के बाद बगावत भी खुलकर सामने आ रही है। भाजपा ने महापौर पद के लिए ज्योति विनय दीक्षित को उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन दो बार से भाजपा की पार्षद और वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की जिला मंत्री प्रीति संजीव सूरी ने महापौर के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। प्रीति संजीव सूरी 2009 और 2014 में भाजपा की टिकट से पार्षद का चुनाव जीत चुकी हैं। करीब 6 साल तक वे महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष भी रही हैं। वर्तमान में प्रीति संजीव सूरी महिला मोर्चा में जिला मंत्री हैं। उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा को नुकसान हो सकता है। हालांकि नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 22 जून तक स्थिति असमंजस में ही रहेगी। नामांकन वापसी के अंतिम तिथि के बाद ही स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट होगी।
सागर में भाजपा को भीतरघात का खतरा
यहां भाजपा ने सागर नगर निगम के महापौर पद के लिए प्रत्याशी संगीता सुशील तिवारी को मैदान में उतारा है। सागर में भाजपा की ओर से करीब 12 से अधिक दावेदार टिकट की मांग कर रहे थे। ऐसे में जिन्हें टिकट नहीं मिली, उनमें से कुछ दावेदार असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी उन्हें मनाने का काम कर रहे हैं। भाजपा ने असंतुष्टों को एक मंच पर सभी लाने का प्रयास किया गया, लेकिन दो दावेदार मंच पर नजर नहीं आए। वहीं, कुछ दावेदार भाजपा के साथ खड़े तो नजर आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा को भीतरघात होने की आशंका है।
रतलाम में सीमा टांक चुनावी अखाड़े में
यहां महापौर पद का चुनाव और ज्यादा दिलचस्प हो गया है। यहां से बीजेपी की बागी नेता सीमा टांक ने ताल ठोक दी है। सीमा टांक 10 साल पार्षद रही हैं। यह प्रभावी नेता बताई जाती हैं। सीमा टांक जिले में बीजेपी में बढते वंशवाद और टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं। सीमा टांक ने नामांकन दाखिल कर सबको चौका दिया है।
सीमा टांक ने भी पार्टी के सामने अपना दावा पेश किया था, लेकिन टिकट प्रह्लाद पटेल को मिला। टिकट न मिलने से नाराज सीमा टांक ने रतलाम विधायक के कार्यालय पहुंचकर जमकर हंगामा भी किया था । जिसके बाद उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज भी किया गया। ऐसे में नाराज सीमा टांक ने अब निर्दलीय मैदान संभाल रही हैं।