BHOPAL. यदि कोई पुरुष (men) या महिला (Female) अपना जेंडर चेंज करवाता है तो उसे मध्यप्रदेश शासन द्वारा नई पहचान दी जाएगी। इसके लिए उसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा। कलेक्टर (collector) को 30 दिन में ट्रांसजेंडर (transgender) को पहचान-पत्र अनिवार्य रूप से देना होगा। इसमें आवेदक का नाम और लिंग परिवर्तन की जानकारी रहेगी। इस संबंध में सामाजिक न्याय विभाग (Social Justice Department) ने नए नियम बनाकर नोटिफाइड किए हैं। नए नियमों के अनुसार आवेदक बिना डॉक्टरी जांच के भी अपना सेक्स चेंज करवा सकेगा। यदि तय समय में कलेक्टर ट्रांसजेंडर को नई पहचान वाला प्रमाण पत्र नहीं देते हैं तो 60 दिन में आवेदक सरकार के पास अपील कर सकेगा।
ट्रांसजेंडर के लिए बनाए गए नए नियमों में उनके वेलफेयर के भी प्रावधान किए गए हैं, जिससे समाज में उनके साथ भेदभाव जैसा व्यवहार न किया जा सके। इनके लिए अस्पतालों में अलग से वार्ड और संस्थाओं और सार्वजनिक स्थान पर अलग से शौचालय भी बनाने का प्रावधान किया गया है।
दो साल में बनेंगे आश्रय
ट्रांसजेंडर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने दो साल में अस्थाई आश्रय, अल्पावास गृह, अस्पतालों में अलग से वार्ड, संस्थानों ओर सार्वजनिक स्थानों पर अलग से शौचालय बनाएगी। इसके लिए स्टेट लेवल पर सामाजिक न्याय मंत्री की अध्यक्षता में ट्र्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसमें ट्रांसजेंडर के पांच लोग और इस समुदाय के लिए काम कर रहे दो समाज सेवियों को सदस्य बनाया जाएगा। जिससे इनकी आवाज उठ सके। इसी तरह जिला लेवल पर कलेक्टर की अध्यक्षता में वेलफेयर बोर्ड बनेगा।
ट्रांसजेंडर को पहचान पत्र देने वाला पहला राज्य
भोपाल की दो ट्रांसजेंडर अंजना सिंह और जुबेर सैयद जूली को जनवरी 2021 में पहचान पत्र देकर मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन चुका है। इसी दिशा में आगे राज्य सरकार ने अब इनके लिए नियम भी बनाए हैं, जिससे इनका वेलफेयर अच्छे से हो सके। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के लिए 25 नवंबर 2020 को एक राष्ट्रीय पोर्टल की शुरुआत की थी।