Bhopal. मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनावों का रास्ता साफ हो चुका है और राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ कर दिया है कि मेयर और नगर पालिका अध्यक्षों के लिए जो आरक्षण की प्रक्रिया पहले हो चुकी है, वो यथावत रहेगी। केवल ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें अनारक्षित हो जाएंगी। राजनीतिक दलों ने अपने स्तर पर ओबीसी को आरक्षण देने का ऐलान किया है। ऐसे में 16 नगर निगम में 9 नगर निगम ऐसे हैं, जहां ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों की लॉटरी लग सकती है।
9 दिसंबर 2020 को नगरीय प्रशासन विभाग ने मेयर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की थी। इसमें 16 नगर निगमों का आरक्षण इस तरह से हुआ था-
16 नगर निगम का आरक्षण (2020 में) (HDR)
- अनारक्षित- इंदौर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली
नगरीय प्रशासन विभाग ने ये आरक्षण 25 फीसदी ओबीसी आरक्षण के आधार पर किया था। अब राजनीतिक दलों ने 27 फीसदी आरक्षण देने की बात की है तो जो पहले से ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें हो चुकी थी वो तो रहेंगी ही। अनारक्षित और अनारक्षित महिला सीटों में से ही एक या दो सीटें ओबीसी को दी जा सकती है। इंदौर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली, ग्वालियर, सागर, देवास, बुरहानपुर, कटनी, खंडवा इन नौ नगर निगम पर ही इसका असर पड़ेगा। तब वो दावेदार जो पिछले एक साल से यहां तैयारियां कर रहे हैं। उनका गुस्सा सामने आ सकता है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस को डैमेज कंट्रोल की कवायद भी करना पड़ सकती है।