सीधीः जल सत्याग्रह कर बांध का विरोध कर रहे आदिवासी, जल,जंगल,जमीन छूटने का है डर

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Akash Mishra
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सीधीः जल सत्याग्रह कर बांध का विरोध कर रहे आदिवासी, जल,जंगल,जमीन छूटने का है डर

Sidhi. जिले में बन रहे बांध का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहें हैं। यह लोग कुसमी तहसील क्षेत्र के है।जोकि सोनगढ़ गोपद नदी में बन रहे गोड सिंचाई परियोजना का विरोध कर रहें हैं। विस्थापन के डर से यह विरोध आंदोलन पिछले तीन माह से चल रहा है। धरना-आंदोलन के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तो, आदिवासियों ने गोपद नदी में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है। आदिवासी समुदाय का मानना है की गोड़ सिंचाई परियोजना बनने से जल, जंगल और जमीन का साथ छूट जाएगा। शासन का दावा है कि, बांध बनने से सीधी जिले के नौ हजार हेक्टर भूमि की सिंचाई होगी। तो वही सिंगरौली जिले में 23 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।



जलपानी गांव में प्रस्तावित था बांध



सोनगढ़ महेंद्र सिंह बताते हैं कि यह परियोजना पहले सिंगरौली जिले के जलपानी गांव में प्रस्तावित थी। जिसे 20 किलोमीटर कुसमी ब्लाक की ओर लाया गया और सोनगढ़ गोपद नदी में बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई। इस बांध के बन जाने से सोनगढ़, गैवटा, छेवरी, भुइमाड़, कठौतिया, मछरकटा, धुरिया और करैल गांव डूब क्षेत्र में आ जाएंगे। साथ ही सिंगरौली जिले के दुअरा, दुधमनिया, भीखा, झरिया गांव भी प्रभावित होंगे। यहां की आबादी करीब 30 हजार से अधिक है। इतना ही नहीं यहां सर्वे का काम भी कर लिया गया। निर्माण कार्यों की शुरुआत भी हो गई है।



मुख्यालय की दूरी होगी 100 किमी



महेंद्र सिंह बताते हैं कि हम इस जंगल, जल और जमीन को नहीं छोड़ना चाहते हैं। बांध बनने से हम डूब क्षेत्र में चले जाएंगे। मुआवजा मिलेगा, पर हम मुआवजा नहीं लेना चाहते। बांध बनने से कुसमी मुख्यालय की दूरी 100 किलोमीटर से अधिक हो जाएगी। जबकि अभी 50 किलोमीटर के करीब है। हमने कई विस्थापन की कहानियां सुनी है हम किसी भी हाल में यहां से नहीं जाना चाहते।


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