ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की छात्राओं को मातृत्व के चलते पढ़ाई न छोड़ना पड़े इसलिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बड़ी पहल की है। इसके तहत स्नातक और परास्नातक की छात्राओं को भी मैटरनिटी लीव दी जाएंगी।ऐसी छात्राओं को उपस्थिति, परीक्षा आवेदन पत्र भरने आदि की समय-सीमा में भी छूट मिलेगी।
M.phill और PhD की छात्राओं को मिलती थी लीव
ये सुविधा पहले एमफिल और PhD की छात्राओं को ही मिलती थी। UGC नियमन 2016 के तहत अब तक एमफिल और PhD की छात्राओं को ही 240 दिन तक मैटरनिटी लीव मिलती है। आयोग की तरफ से ये कहा गया है कि इन नए नियम को संस्थान अपने स्तर पर लागू कर सकते हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय कितने दिन की लीव देंगे, यह उनका अपना फैसला होगा। इससे पहले मैटरनिटी लीव नहीं मिलने के कारण छात्राएं एमफिल और शोध में आगे नहीं आती थीं।
स्मृति ईरानी ने बदली थी व्यवस्था
एमफिल-PhD कर रही छात्राओं की शादी होने के बाद शहर बदलने पर वो बीच में ही इस कोर्स को छोड़ देती थीं। इस परेशानी को देखते हुए पूर्व शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी ने नियम बदलकर ऐसा कर दिया कि आधा कोर्स पूरा होने के बाद यदि शहर बदले तो अन्य विश्वविद्यालय में छात्राओं को नए सिरे से दाखिला नहीं लेना होगा, वही कोर्स जारी रहेगा।
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