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भोपाल. यूनिसेफ (UNICEF) और चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी (Child Rights Observatory) द्वारा 28 जनवरी को एक वर्चुअल राजनैतिक संवाद (Virtual Political Dialogue) का आयोजन किया गया। इस संवाद का मुख्य विषय बच्चों के विरुद्ध हिंसा रखा गया था। इस संवाद में नेहा बग्गा, पीसी शर्मा, धनोपिया, शैलेन्द्र शैली, डॉ. हीरालाल अलावा आदि राजनैतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने कहा, "वायलेंस घर से शुरू हो जाती है। छोटे बच्चों को सजा देने के नाम पर मारना भी वायलेंस है। इसके अलावा भी उन्हें कई तरह के वायलेंस का सामना करना पड़ता है जिसे हम अनदेखा कर देते हैं। इसके लिए जागरूकता लाने की ज़रूरत है। इसीलिए इस चर्चा का आयोजन किया गया है जहां बच्चों, यूनिसेफ के अधिकारियों के साथ साथ राजनितिक प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इस चर्चा का उद्देश्य ये है कि बच्चों के विरुद्ध हिंसा होने से पहले ही उसे रोक दिया जाए।"
पीजे लोलिचेन, बाल संरक्षण विशेषज्ञ, यूनिसेफ, मध्य प्रदेश ने बैठक में कहा कि बच्चों के खिलाफ हिंसा में शारीरिक, यौन, ऑनलाइन या मानसिक हिंसा, दुर्व्यवहार, उपेक्षा या लापरवाही के सभी प्रकार शामिल हैं। यह सभी परिवारों और समुदायों में प्रचलित है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, और सभी सामाजिक समूहों में। इसे संबोधित करने के लिए बहुक्षेत्रीय और बहु हितधारक कार्रवाइयों की आवश्यकता है।
अनिल गुलाटी संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ, मध्य प्रदेश ने कहा कि बैठक का उद्देश्य बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के मुद्दे पर लोगों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल करना और सार्वजनिक डोमेन में विषय पर प्रवचन को बढ़ाना है।चर्चा में भाग ले रहे बच्चों ने बाल विवाह और ऑनलाइन एजुकेशन और गेम्स की वजह से बढ़ रहे मानसिक तनाव के चलते हो रही आत्महत्या पर रौशनी डाली।
विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि कोविड की वजह से जो पढाई डिस्टर्ब हुई है, उसकी वजह से ऑनलाइन गेम्स के प्रति झुकाव बढ़ा है, और ये आक्रामक खेल देखकर आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है। इन सबके लिए क़ानून तो बने हैं लेकिन कानून से ज़्यादा सामाजिक जागृति की आवश्यकता है।
वहीं विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा कि बच्चों की शिक्षा के साथ साथ उनकी सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। खासकर लड़कियों के साथ हॉस्टल में जिस तरह की हिंसा देखने को मिलती है, उसके ज़िम्मेदार समाज के साथ साथ हम जनप्रतिनिधि भी हैं। इसकी रोकथाम पर काम होना ज़रूरी है।
बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि बच्चों के साथ बढ़ती मानसिक हिंसा को देखते हुए ये ज़रूरी है कि साइबर एजुकेशन को उनके करिकुलम में शामिल किया जाए। साथ ही उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखने के लिए कॉउंसलिंग सेशन आयोजित हों।
कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने कहा कि बाल अपराधों के लिए क़ानून तो बने हुए हैं, लेकिन अब सभी को अपनी ज़िम्मेदारियां समझनी होंगी और ये देखना होगा कि इन सबको रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।
सीपीआई नेता शैलेन्द्र शैली ने कहा कि मानसिक हिंसा के शिकार बच्चे बड़े होकर सभ्य नागरिक नहीं बन सकते। माध्यमिक स्तर तक बच्चों को निशुल्क शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य और पोषण की व्यवस्था होना ज़रूरी है।
कार्यक्रम का समापन करते हुए सीआरओ के समन्वयक रघुराज सिंह ने बताया कि प्रदेश के 25 जिलों में सीआरओ अपने नेटवर्क पार्टनर के माध्यम से बच्चों के अधिकार और जागरूकता के लिए कार्य कर रहा है। उन्होंने बच्चों को हिंसा और शोषण से बचाने के लिए परिवार में माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद का स्तर बढ़ाने के प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया।