उज्जैन. गीतकाल मनोज मुंतशिर ने उज्जैन में प्रस्तुति दी। इस दौरान उन्होंने मुगल आक्रांताओं, देश के गौरवशाली इतिहास, नेपोटिज्म समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्यार के नाम पर ताजमहल खड़ा कर दिया गया, वो भी तब, जब देश में भुखमरी थी। मनोज मुंतशिर ने अपनी कई कविताएं भी पढ़ीं। इस दौरान कार्यक्रम स्थल जय श्री राम और भारत माता की जय के नारों से गूंजता रहा। मुगलकाल में मंदिरों को तोड़े जाने का जिक्र करते हुए मुंतशिर ने कहा- अल्लाह-हू-अकबर बोल-बोलकर तबाही मचाई गई।
इतिहास गलत पढ़ाया गया
उन्होंने कहा कि हमें बताया गया कि शेरशाह सूरी, अकबर, खिलजी नहीं होते तो हम सिर्फ पत्ते लपेटकर नाच रहे होते। अब इन मूर्खों को कौन बताए इनके पहले मोहनजोदाड़ो था। उज्जैन में गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर शहीद पार्क में आयोजित कार्यक्रम में मनोज मुंतशिर ने माता-पिता, भगतसिंह, हल्दीघाटी, महाराणा प्रताप, मोहन जोदड़ो, भगवान राम, माता सीता से लेकर श्री कृष्ण पर बात की। मनोज मुंतशिर ने कहा कि 800 साल पहले मुगल आक्रांता इल्तुतमिश ने देश के कई प्राचीन स्थल तोड़े। उन्होंने कहा कि अल्लाह हू अकबर बोल-बोलकर तबाही मचाई। प्रेम के नाम पर ताजमहल खड़ा कर दिया। खुद को बताया कि हम नहीं होते तो कविताएं नहीं होती, उन्हें कौन बताए कि इस देश में महाकवि कालिदास हुए हैं, जिनकी कर्मभूमि उज्जैन रही है।
ताजमहल को भी लिया निशाने पर
मनोज मुंतशिर ने दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस शहंशाह ने उस समय 9 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, जबकि उस समय देश में भुखमरी का दौर था। उस समय 9 करोड़ देकर भुखमरी मिट सकती थी लेकिन बाएं हाथ से लिखे इतिहास में गर्व से बता-बताकर गरीब जनता के प्रेम का मजाक उड़ाया। मनोज ने कहा कि प्रेम की निशानी जाननी है तो चित्तौड़ किले का इतिहास जानों, जहां माता पद्मिनी ने राजा रतन सिंह की पत्नी और एक क्षत्राणी का फर्ज निभाते हुए खुद को जलती आग की लपटों में झोंक दिया था। प्रेम का मतलब जानना है तो राजा राम द्वारा माता सीता को लाने के लिए समुद्र को चीरते हुए बनाए गए उस पुल पर गर्व करो, जो प्रेम की निशानी है।
नेपोटिज्म पर ये कहा
सुशांत सिंह राजपूत को याद कर मनोज मुंतशिर ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने शहर के कलाकारों से कहा कि आप अपने इरादों को मरने मत दो। आपकी प्रतिभा ऐलान कर चुकी है कि आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मनोज ने कहा कि मैं ऐलान करता हूं, सुनो बड़के शहर और बड़के नाम वालों, अपने बड़प्पन का जुमला कहीं और जाकर बजाओ। हमारे तेवर से टकराया तो टूट जाओगे। हम बकैतों के आगे तुम्हारे नेपोटिज्म का पसीना छूट जाएगा। हम जानते हैं कि तुम पावर में हो, तुम्हारे खरीदे हुए जौहरी हमको हीरा नहीं पत्थर कहेंगे। हम फिर भी चमकते रहेंगे। हुनर बोलता है प्रतिभा बोलती है। आप मुझे सुन रहे हैं। मुझे फर्क नहीं पड़ता इन बड़के नाम वालों से।
मनोज यहीं नहीं रुके और कहा कि नोट करते-करते नेपोटिज्म की स्याही खत्म हो जाएगी लेकिन हमारे बाप-दादा की मचाई हुई तबाही खत्म नहीं होगी। तुम्हारे नाम का कलमा नहीं पढ़ेंगे, तुम्हें परवरदीगार नहीं मानेंगे। तुम वंशवाद की जमीन खोद गाड़ दोगे तो हम बगावत का बीज बो कर निकलेंगे पर तुमसे हार नहीं मानेंगे।
मनोज को भाया उज्जैन
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की तारीफ करते हुए मनोज मुंतशिर ने कहा कि मैं यह सोचकर ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मैं मंगल ग्रह की जन्मभूमि उज्जैन में खड़ा हूं। मैं महाकवि कालिदास की कर्मभूमि पर खड़ा हूं। मैं दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकाल की नगरी में खड़ा हूं। मैं श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली में खड़ा हूं। मैं राजा विक्रमादित्य की नगरी में खड़ा हूं। समुद्र मंथन से जिस अवंतिका नगरी में अमृत छलका, मैं वहां खड़ा हूं।