बम धमाकों का मास्टरमाइंड उज्जैन का नागौरी, जर्नलिज्म के छात्र से बना आतंक का आका

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Aashish Vishwakarma
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बम धमाकों का मास्टरमाइंड उज्जैन का नागौरी, जर्नलिज्म के छात्र से बना आतंक का आका

उज्जैन. अहमदाबाद बम ब्लास्ट केस में 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें उज्जैन का सफदर नागौरी भी शामिल है। नागौरी महिदपुर के नागौरी गांव में पैदा हुआ था। यहां के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक क्राइम ब्रांच के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर का बेटा बम धमाकों का मास्टरमाइंड बन जाएगा। नागौरी ने उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी से साल 1999 में ग्रेजुएशन किया। 





यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वह सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) से जुड़ गया था। साल 2000 में पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के दौरान एक प्रोजेक्ट वर्क सब्मिट करना था। रिसर्च के लिए उसे उर्दू पत्रकारिता का आयाम विषय मिला। इसे बदलवाकर उसने कश्मीर समस्या को लेकर प्रोजेक्ट लिखा कि बर्फ की आग कैसे बुझे।





शुरू से अलगाववादी तेवर: अपने प्रोजेक्ट वर्क में नागौरी ने लिखा कि लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की तानाशाही नहीं है। कश्मीर का फैसला कश्मीरी ही करें। इस प्रस्ताव को जो मानते हैं। वे वाकई फासीवादी मनोवृत्ति का परिचय दे रहे हैं। कश्मीर को लेकर उसने लिखा कि पक्षी पिंजरे में हो या कुत्ता जंजीर से बंधा हो और आप दुनिया से कहें कि यह तो स्वेच्छा से मेरे साथ है तो कोई अंधा ही इस पर विश्वास कर सकता है। नागौरी की इन तकरीरों को सुनकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के भी होश फाख्ता हो गए थे। 





फांसी की सजा सुनकर भी चेहरे पर शिकन नहीं: 5 साल पहले नागौरी को केंद्रीय जेल भोपाल में शिफ्ट किया गया था। वह जेल के अधिकारियों-कर्मचारियों को खुलेआम धमकी देता था कि तुम्हारी इतनी औकात नहीं है, जो हमें ऑर्डर करो। वह राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करता था। फांसी की सूचना मिलने के बाद भी नागौरी पहले जैसा नॉर्मल ही दिख रहा है। उसके चेहरे पर शिकन नहीं है। नागौरी ने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे से कहा कि संविधान हमारे लिए मायने नहीं रखता। हम कुरान का फैसला मानते हैं।





सिमी से जुड़ा: नागौरी के खिलाफ पहला केस 1997 में उज्जैन के महाकाल पुलिस थाने में दर्ज हुआ। 1998 में इंदौर में केस हुआ। उज्जैन के महाकाल, खारकुंवा और माधवनगर थाने में कई अपराध दर्ज हैं। नागौरी की कट्टरवादी सोच के कारण उसे सिमी संगठन ने मध्य प्रदेश की कमान सौंपी थी। हालांकि दिग्विजय सरकार के समय सिमी पर प्रतिबंध लगा दिए जाने पर वह अंडरग्राउंड हो गया था। मगर उसकी गतिविधियां जारी रही थी। 2005 से 2007 के बीच वह काफी एक्टिव रहा। इस दौरान वह मस्जिदों में भड़काऊ भाषण देता रहा। 





अहमदाबाद बम धमाकों में हाथ: 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया। धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर केस चला। पुलिस ने धमाकों में शामिल 49 लोगों को सजा सुनाई। अदालत ने 38 लोगों को फांसी की सजा दी। जबकि 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। फांसी की सजा सुनाए जाने वालों में सफदर नागौरी भी शामिल है। पूछताछ में नागौरी ने बताया था कि सिमी के लड़ाकों को हिजबुल मुजाहिदीन के साथ जम्‍मू-कश्‍मीर में ट्रेनिंग मिली थी।



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