Bhopal. अरुण तिवारी. 11 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रायसेन में एक संकल्प लिया था। शिवमंदिर के सामने उन्होंने कहा था कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुलेगा और वे भगवान शिव पर जल नहीं चढाएंगी तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। लेकिन डेढ़ महीने के पहले ही उनका ये संकल्प टूट गया। हिमालय की यात्रा पर निकलीं उमा भारती ने कुटकी और सिंघाड़े के आटे का भोजन किया। स्वास्थ्य कारणों को देखते हुए उनके समर्थकों ने अन्न ग्रहण करने का आग्रह किया जिसे उन्होंने मान लिया। इस बात का खुलासा खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में किया।
एमपी आते ही करने लगीं फलाहार
उमा भारती ने प्रदेश में प्रवेश करते ही फिर से अन्न छोड़ फलाहार लेना शुरू कर दिया है। अब वे फिर से दूध, दही और छाछ ले रही हैं। उमा कहती हैं कि उनका ये संकल्प किसी पर किसी तरह का दवाब बनाने के लिए नहीं है, उन्होंने अपनी खुशी से ये संकल्प लिया।।
शिव का डमरू बाजेगा
उमा ने ट्वीट कर कहा कि जल्द ही शिव का डमरू बाजेगा। इस बारे में केंद्रीय पुरातत्व विभाग विचार कर रहा है। उमा कहती हैं कि वे न तो सरकार को पत्र लिखेंगी और न ही इस में आग्रह करेंगी। उमा ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मसले के हल के लिए कुछ समय मांगा है, और आस्था के इन मामलों में अधीरता नहीं करनी चाहिए। उमा ने कहा कि वे कलेक्टर के पास शिव को अर्पण करने के लिए गंगोत्री का जल रखकर आईं हैं।
48 दिन पहले इसलिए उमा ने त्यागा अन्न
शिव महापुराण की कथा में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्र ने कहा था कि शिवराज के शासन में मेरे शिव कैद में हैं, इन्हें कैद से मुक्त कराइए। इसके बाद उमा भारती 11 अप्रेल को रायसेन किले पर स्थित सोमेश्वर शिव मंदिर गईं थीं लेकिन केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर का ताला खोलने की अनुमति नहीं दी। तभी उमा ने मंदिर का ताला न खुलने तक अन्न ग्रहण न करने का संकल्प ले लिया।