अंकुश मौर्य, भोपाल. हमने आपको बताया है कि कैसे 100 करोड़ रुपए कीमत की जमीन प्रशासन की नाक के नीचे नीलाम हो गई। बैंक के अधिकारियों की पूरी तरह से मिलीभगत का हमने पिछली दो कड़ियों में खुलासा किया। अब इसकी तीसरी कड़ी में देखिए कि कैसे इस जमीन को लेकर कई लोगों ने करोड़ों के वारे न्यारे कर लिए। जिस आरकेडीएफ ग्रुप ऑफ कॉलेज के सिद्धार्थ कपूर ने ये जमीन खरीदी वो भी इस बात से अनजान थे कि ये जमीन लीज की है। साथ ही आपको दिखाएंगे कि क्या जिला प्रशासन के लिए सरकारी जमीन को वापस लेना क्या इतना मुश्किल है। इस एडवांस मेडिकल कॉलेज की 25 एकड़ जमीन को बगैर प्रशासन की इजाजत के यूनियन बैंक ने आरकेडीएफ ग्रुप ऑफ कॉलेज के सिद्धार्थ कपूर को 66 करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया। लेकिन इस जमीन को लेकर कई लोगों ने करोड़ों के व्यारे न्यारे भी किए।
एडवांस मेडिकल कॉलेज का मालिक बनाने का झांसा
साल 2015 में एडवांस मेडिकल साइंस एंड एजुकेशन सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट एनके शर्मा ने 8 करोड़ 60 लाख का फर्जीवाड़ा किया था। नई दिल्ली के टैगोर गार्डन इलाके में रहने वाले एनके शर्मा ने भोपाल के एचडी सिंह तोमर को एडवांस मेडिकल कॉलेज का मालिक बनाने का झांसा दिया था और इसके एवज में 8 करोड़ 60 लाख रुपए वसूल लिए थे। एनके शर्मा के झांसे में फंसे तोमर ने रकम तो उसके हवाले कर दी थी। लेकिन मेडिकल कॉलेज का मालिक नहीं बन पाए। एक साल बाद जब उन्हें ठगे जाने का एहसास हुआ तो तोमर ने भोपाल के कोलार थाने में एनके शर्मा के खिलाफ धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज कराया था। इसके बाद एनके शर्मा की गिरफ्तारी भी हुई थी।
धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज
इसके बाद हाल ही में कोहेफिजा थाने में तृप्ति अस्पताल की संचालिका डॉक्टर जसवीर कौर ने 3 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई है। मुंबई और गुजरात के बिचौलियों ने 54 करोड़ रुपए में ये सौदा किया और इसके एवज में तीन करोड़ की रकम ली ये कहते हुए कि सेंटर के मालिक तक पहुंचा दी जाएगी, लेकिन ये रकम नहीं पहुंची 2021 में जब डॉ. जसवीर कौर ने पैसा वापस मांगा तो बिचौलियों ने देने से इनकार कर दिया।
प्रशासन को भनक नहीं लगी
यानी इस सरकारी जमीन पर हर किसी की नजर थी। खास बात ये कि प्रशासन को इसकी भनक ही नहीं थी कि पट्टे की जमीन को बेचने के नाम पर करोड़ों के खेल हो गए। दूसरी तरफ बैंक ने जब इसे आरकेडीएफ के सिद्धार्थ कपूर को नीलाम कर दिया उसके बाद भी प्रशासन को भनक नहीं लगी। वहीं द सूत्र ने आरकेडीएफ के सिद्धार्थ कपूर से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हुआ। संपर्क हुआ आरकेडीएफ ग्रुप के मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह से बातचीत हुई तो अमरजीत ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ये जमीन सरकारी है।
ऐसा ही जवाब बैंक के अधिकारियों का था। बहरहाल जमीन सरकारी है तो कायदे से इस पर हक सरकार का है। लेकिन जमीन की फाइल पिछले तीन महीने से कलेक्टर दफ्तर में पड़ी हुई है। क्या जमीन को लेकर हुई गड़बड़ी पर कार्रवाई इतनी मुश्किल है। वरिष्ठ वकील सैयद खालिद क्वैस की राय में जिला प्रशासन के लिए चुटकियों का खेल है। उन्होंने कहा कि मामला सामने आते ही कलेक्टर को बैंक और पंजीयक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
फर्जीवाड़े का मामला
प्रशासन चाहे तो कार्रवाई कर सकता है लेकिन कर नहीं रहा क्योंकि आरकेडीएफ ग्रुप ऑफ कॉलेज के सिद्धार्थ कपूर और उनके पिता सुनील कपूर का नाम इससे जुड़ा है। जाहिर है कि प्रशासन संरक्षण दे रहा है। ये पहली बार भी नहीं है कि किसी गड़बड़ी या फर्जीवाड़े के मामले में आरकेडीएफ ग्रुप का नाम पहली बार सामने आया हो। 16 फरवरी को हैदराबाद पुलिस ने फर्जी डिग्री सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने वाले रैकेट में शामिल आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी (RKDF University) के असिस्टेंट प्रोफेसर केतन सिंह (Ketan Singh) को गिरफ्तार किया था।
केतन ने दावा किया था कि फर्जी डिग्री बांटने के मामले में यूनिवर्सिटी के उच्च अधिकारी शामिल हैं। वहीं इस यूनिवर्सिटी से छत्तीसगढ़ की मनेंद्रगढ़ सीट से विधायक डॉ. विनय जायसवाल का फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था। यानी गड़बड़ियों का और फर्जीवाड़े का आरकेडीएफ से पुराना नाता है, बावजूद इसके प्रशासन का कोई एक्शन न लेना कई सवाल खड़े करता है।