अरुण तिवारी/ रुचि वर्मा, BHOPAL: पूरे देश में नवरात्रि की धूम चल रही हैं। देश-प्रदेश में नवरात्रि के इन 9 दिनों के दौरान माता के आलीशान पंडाल सजाए जाते हैं। जिसके अंदर मां शक्ति की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर प्राण प्रतिष्ठा कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो आपने भी पंडालों में माता के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन किये ही होंगे लेकिन हम आपको अगर ये बोले कि भोपाल में एक देवी पंडाल ऐसा भी हैं जहां 9 देवियां मूर्त रूप में ना होकर खुद चैतन्य स्वरूप में विराजमान है तो? आइये जानते हैं नारी-शक्ति का एक स्पष्ट संदेश देती भोपाल की इस अनोखी झांकी के बारे में। दरअसल, हम बात कर रहे हैं भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विवि में सजाई गई नौ देवियों की झांकी के बारे में, जो अपने आप में अनोखी है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विवि द्वारा आयोजित की जाने वाली ये झांकी ख़ास इसलिए हैं क्योंकि यहां देवी की किसी 'मूर्ति' में प्राण-प्रतिष्ठा करने की बजाए 'प्राण वाली लड़कियों ' की समाज प्रतिष्ठा करता है। देवियों की मूर्ति की जगह खुद जीवित लड़कियों को 9 देवियों के रूपों में सजाया जाता है और फिर यही झांकी में बैठती हैं। सबसे बड़ी बात कि झांकी में ये लड़कियां घंटों एक ही मुद्रा में बैठी रहती हैं।
कौन बनती हैं 'जीवित' देवियां
इस अनूठी झांकी में देवी के 9 रूपों में विराजमान होने वाली ब्रह्मकुमारी परिवार के घर से ही होती हैं। यही नहीं इन 9 ब्रह्मकुमारियों में से कई तो काफी पढ़ी-लिखी हैं। किसी ने एमएससी किया हैं, तो किसी ने एम.कॉम, बी.एड किया हैं, किसी ने पीजीडीसीए किया हैं, तो कोई टीचर रही है। इस झांकी में कई तो लगातार 10 से 25 सालों से देवियां बन रहीं है।
3 से 4 घंटे एक ही मुद्रा में बैठती हैं। इस झांकी में सभी लड़कियां 3 से 4 घंटे एक ही मुद्रा में बैठती हैं। जब पूछा गया कि इतनी एकाग्रता कहां से आती हैं तो उनमे से कइयों ने खुद बताया कि मेडिटेशन करने से उनके पास एकाग्र रहने की इतनी शक्ति आती हैं। वे ब्रह्ममुहूर्त में रोज चार से पांच घंटे मेडिटेशन कर मानसिक शक्तियों को बढ़ाती हैं। नौ देवियों का रूप रखने के लिए ब्रह्मकुमारी को एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू करना पड़ती हैं।
तैयारी में लगते है 2 घंटे
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बीके आकृति ने बताया कि क्योंकि देवी के सभी नौ रूपों के अलंकार अलग होते हैं। जैसे कोई तलवार पकड़े होता हैं तो कोई कमल, तो कोई खड्ग...इसलिए इन देवियों की तैयारी में कम-से-कम 2 घंटे का वक़्त लग जाता है। जीवित देवी-स्वरूपों की ये झांकी 30 सालों से लगातार आयोजित हो रही हैं।
नार्मल लाइफ क्यों छोड़ी?
BK सरिता जिन्होंने मां दुर्गा का रूप धारण किया है, बताती है कि नॉर्मल लाइफ में उन्हें सुख-शांति नहीं मिली थी जिसकी वजह से उन्होंने ये लाइफ चुनी। ब्रह्माकुमारी की दिनचर्या में उन्हें नॉर्मल लाइफ से ज्यादा शांति मिली। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की दिनचर्या में रहने से सहन-शक्ति की कमी और डिप्रेशन से बचने का मौका मिला। इसमें उन्हें अपने आपको पहचाने का मौका मिला। BK सरिता 15 साल की उम्र से देवी बन रहीं है। सरिता उमरिया से हैं और उन्होंने MSc- B.ED, PGDCA में पढ़ाई पूरी की है। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आने से पहले वो टीचर की जॉब करती थी। साथ ही ये बिजनेस भी कर चुकी हैं।
रहता है व्यस्त रूटीन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर 3:30 बजे से 4:45 तक मेडिटेशन
मां काली बनी BK संगीता सभी की व्यस्त दिनचर्या के बारे में बताते हुए कहती हैं: "हम सभी सुबह उठकर 3:30 बजे से 4:45 तक मेडिटेशन करते हैं। फिर तैयार होकर 7:30 से 8:30 तक मुरली क्लास अटेंड करते हैं। उसके बाद नाश्ता करके बाद अपनी-अपनी सेवाओं पर जाते हैं, जिसके तहत गांव-गांव जाकर सबको भगवान का परिचय देते हैं और नशा मुक्ति अभियान भी चलाते हैं। युवाओं को जीवन में तनाव-टेंशन से दूर रहने के तरीके भी बताते हैं। उसके बाद आकर झांकी की तैयारियों में लग जाते है और शाम के 7:30 बजे से रात के 11 बजे तक देवी रूप में रहते हैं