MP में अनूठी परंपरा: मुरैना जिले में आज भी द्वापर युग की प्रथाओं का प्रचलन

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MP में अनूठी परंपरा: मुरैना जिले में आज भी द्वापर युग की प्रथाओं का प्रचलन

मुरैना. प्रदेश के मुरैना (Morena) जिले में आज भी द्वापर युग की प्रथाओं का प्रचलन है। यहां लोगों की मान्यता है कि दाऊजी मंदिर (Dauji temple) में लीला मेला (fair) का आयोजन वर्षों से होता आ रहा है। लोक मान्यताएं (beliefs) हैं कि मुरैना के दाऊजी मंदिर में भगवान कृष्ण साढ़े तीन दिन के लिए आते हैं। इसलिए दाऊजी मंदिर में हर साल श्रीकृष्ण लीला (Sri Krishna Leela) मेले का आयोजन किया जाता है। हर साल की तरह भक्त इस बार भी तालाब के किनारे पहुंचे। यहां लोगों ने तालाब से सांप (snake) को देखा। मान्यता है कि यहां कृष्ण ने कालिया नाग को नथा था।

कालिया नाग का प्रसंग

दाऊजी मंदिर के पास में एक बर्षों पुराना तालाब है। इसी तालाब में कालिया नाग के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। नाग सभी को दर्शन देकर वापस चला जाता है। नाग के दर्शन जिन लोगों को होते हैं, वह अपने आपको सौभाग्यशाली समझता है। इस बार शुक्रवार शाम को पांच बजे के लगभग तालाब में सांप दिखाई दिया। लोगों ने उसके दर्शन किए और उसके बाद वह वापस पानी में चला गया। सांप का कुछ लोगों ने वीडियो बना लिया। 

क्या है पूरी लोक-गाथा

गोपराम स्वामी नाम के भगवान के भगत हुए। वह गाय चराते थे। वह रोज भगवान का भजन किया करते थे। भगवान ने उनकी भक्ती देख एक दिन दर्शन दिए। भगवान ने गोपराम से वरदान मांगने के लिए कहा, उन्होंने भगवान से वर मांगा की आप यही पर निवास करें। इस पर भगवान ने उन्हें वचन दिया कि दीपावली की पड़वा के दिन से आप के यहा साढ़े तीन दिन के लिए हर साल आऊंगा।

मगर लोग पूजा मेरी करेंगे व नाम तुम्हारा ही पुकारा जाएगा। इसलिए मुरैना के मंदिर में भगवान कृष्ण की प्रतिमा है। पड़वा के दिन मुरैना के तालाब में नाग लीला होती है। आप पास के लोग नाग के दर्शन के लिए आते है। दौज के दिन गुर्जर समाज द्वारा कन्हैया लोक गीतों का आयोजन किया जाता है। 

बच्चों से कराई जाती है नाग नाथने की लीला

संत गोपराम स्वामी के परिवार को भगवान का वरदान मिला है कि हर साल शरद पूर्णिमा और दीपावली के बीच बच्चा का जन्म होगा। वरदान के अनुरूप स्वामी परिवार में जिस बच्चे ने जन्म लिया था। उस बच्चे को डोली में रखकर गाजे-बाजे के साथ मंदिर ले जाया गया। और मंदिर में ही उस बच्चे से नाग नाथने की लीला कराई गई।

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