Sidhi: गठन से लेकर अब तक 7 अध्यक्ष बने, अनारक्षितों को मिला ज्यादा मौका

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Vivek Sharma
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Sidhi: गठन से लेकर अब तक 7 अध्यक्ष बने, अनारक्षितों को मिला ज्यादा मौका

बृजेश पाठक, Sidhi.  जिला पंचायत के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक सात अध्यक्ष चुने गए हैं। सात अध्यक्षो में से अनारक्षित ज्यादा हैं। ओबीसी को एक एक बार मौका मिला है। अनारक्षित कोटे से राजा ने भी अध्यक्षी की है। तीन महिलाएं भी अध्यक्ष रह चुकी हैं।



किस-किस को मिला मौका




जिला पंचायत सीधी में अध्यक्ष पद पर अब तक जितने भी आसीन हुए हैं उसमे ओबीसी, एससी वर्ग के कम अनारक्षित वर्ग के ज्यादा लोग देखे जा रहे हैं। शुरू में चिंतामणि तिवारी अध्यक्ष  हुए तो फिर मधु शर्मा, वंशमणि वर्मा, अशोक शाह, रीती पाठक, सरोज द्विवेदी और फिर अभ्युदय सिंह क्रमशः अध्यक्ष रहे। अब तक जितने भी अध्यक्ष हुए उसमे सर्वाधिक कार्यकाल अभ्युदय सिंह का सात वर्ष का रहा तो सबसे कम समय 6 माह के लिए श्रीमती सरोज द्विवेदी अध्यक्ष रहीं।



राजा को भी मौका रंक को भी



निवर्तमान अध्यक्ष होने जा रहे अभ्युदय सिंह राज मड़वास राजा कृष्णदेव सिंह के बेटे हैं। पिछली बार जब अध्यक्ष पद अनारक्षित रहा तब वे चुने गए थे। मड़वास वार्ड से सदस्य के लिए जब चुनाव मैदान में उतरे तो अन्य सदस्यों की अपेक्षा उन्हें कहीं ज्यादा मत मिले थे।चुनाव के ठीक पहले ही राजा साहब की मौत हो गयी थी ऐसे में क्षेत्र की जनता ने अभ्युदय का भरपूर समर्थन किया। अध्यक्ष पद पर जहां राजा को आसीन होने का मौका मिला वहीं वंशमणि, अशोक शाह जैसे साधरण व्यक्ति को भी मौका मिला है।



जब इंद्रजीत के बेटे का बना बनाया खेल बिगड़ गया



बात सन 2005 की है जब अध्यक्ष पद ओबीसी के लिये आरक्षित हुआ था। उन दिनों सिंगरौली जिला पृथक नहीं हुआ था। पूर्व मंत्री स्व.इंद्रजीत कुमार के बेटे श्रीमान सिंह ने सदस्य निर्वाचित होने के बाद अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने की पूरी तैयारी कर ली। चुनाव के लिए जरूरी सदस्यों को अपने पक्ष में कर लिया था लेकिन सारी तैयारी के बाद भी अध्यक्ष नहीं बन पाए। दरअसल, अर्जुन सिंह अशोक शाह को अध्यक्ष बनाना चाहते थे और ऐन वक्त पर उन्होंने अपनी राय रख दी तो इंद्रजीत कुमार चाह कर भी अपने बेटे का दावा पार्टीजनों के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाए।अंततः श्रीमान को पीछे हटना पड़ा और अशोक शाह अध्यक्ष हो गए।



रीती सांसद बनी तो सरोज को मिल गया मौका



 रीती पाठक 26 फरवरी 2010 को जिला पंचायत की अध्यक्ष चुनी गईं। जब चुनाव हो रहा था तब श्रीमती सरोज द्विवेदी भी मैदान में थीं लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।अंततः जब 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान रीती को टिकट दे दिया गया और वह सांसद चुन ली गयीं तो फिर अध्यक्ष पद के हुये चुनाव में सरोज अध्यक्ष चुनी गईं ।हालांकि वह 6 माह तक ही अध्यक्ष रहीं।



 तीसरी बार अनारक्षित हुई जिला पंचायत



सीधी जिला पंचायत तीसरी बार लगातार अनारक्षित हुई है। वर्ष  2010, 2015 में अनारक्षित होने के बाद हाल ही में हुए आरक्षण में  उम्मीद थी कि आदिवासी कोटे में जाएगी पर फिर से अनारक्षित महिला हो गयी है। इसे संयोग कहा जाय या और कुछ अनारक्षित वर्ग को तीन बार से लगातार मौका मिल रहा है।


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