BHOPAL. नगर निगम सीमा में यदि आपने भवन मंजूरी से 30 प्रतिशत ज्यादा अवैध निर्माण किया है तो अब आपको अपना भवन टूटने से बचाने के लिए टीडीआर यानी ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राईट खरीदने होंगे। यदि आप टीडीआर नहीं खरीदते हैं तो आपके इस अवैध निर्माण को नगर निगम का अमला तोड़ने के लिए स्वतंत्र होगा। इस संबंध में नगरीय विकास और आवास विभाग ने भूमि विकास नियम में बदलाव किया है। इसके पहले के नियमों में मंजूरी से ज्यादा निर्माण करने पर निगम अनाधिकृत निर्माण का कलेक्टर गाइड लाइन के रेट से 10 या 15 प्रतिशत प्रशमन शुल्क (composition fee) लेकर उक्त निर्माण को वैध कर देता था।
एफएआर से अधिक नहीं हो सकती ऊंचाई
नए भूमि विकास नियमों के अनुसार अब मंजूरी से 10 प्रतिशत अधिक अवैध निर्माण को ही कलेक्टर गाइड लाइन से एक निश्चित राशि लेकर निर्माण को वैध कर सकेंगे। इसमें सामाजिक, धार्मिक, स्कूल या अस्पताल में मंजूरी से 10 प्रतिशत अधिक निर्माण करने पर कलेक्टर गाईड लाइन का 10 प्रतिशत राशि जमा करना होगी। वहीं कॉमर्शियल, इंडस्ट्री, सिनेमा, होटल या मिक्स लैंड यूज पर मंजूरी से 10 प्रतिशत अधिक निर्माण करने पर कलेक्टर गाइ्ड लाइन की 15 प्रतिशत राशि जमा करके इसे वैध करा सकेंगे। लेकिन यदि अवैध निर्माण 10 प्रतिशत से अधिक और 30 प्रतिशत तक किया गया है तो ऐसे में संबंधित भवन स्वामी को टीडीआर खरीदना होगा। बिना टीडीआर के वो अपना अवैध निर्माण वैध नहीं करवा सकेगा। इसमें भवन की ऊंचाई पर कोई समझौता नहीं होगा यानी एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) से अधिक नहीं हो सकती। 30 प्रतिशत से अधिक बिना मंजूरी के भवन निर्माण करने वाले भवन स्वामी से नगर निगम किसी भी तरह का समझौता करके न तो प्रशमन शुल्क ले सकेगा और न ही टीडीआर काम करेगा। ऐसे भवनों का अवैध निर्माण तोड़ा जाएगा।
क्या होता है टीडीआर
ट्रासफरेबल डेवलपमेंट राइट एक्ट को टीडीआर कहते हैं। जब भी सरकार किसी लोकप्रयोजन के लिए निजी भूमि का अधग्रिहण करती है तो भूमि स्वामी को मुआवजे में नकद राशि की बजाए टीडीआर देने का प्रावधान किया गया है। मेट्रो और बीआरटीएस प्रोजेक्ट में इंदौर और भोपाल नगर निगम टीडीआर देकर निजी जमीन का अधिग्रहण कर रही है। निजी भूमि स्वामी ये टीडीआर किसी को भी बेच सकता है। ऐसे में अब 10 प्रतिशत से ज्यादा अवैध निर्माण करने वाले भवन स्वामी टीडीआर खरीकर ही अपने अवैध निर्माण को वैध करवा सकेंगे।
कहां खरीदा-बेचा जा सकेगा टीडीआर
नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अफसरों की टीडीआर अथॉरिटी गठित की जाएगी। इसके अधिकारियों को मास्टर प्लान और जरूरत के हिसाब से सेंडिंग और रिसीविंग जोन घोषित करने का अधिकार होगा। जहां लोगों की सुविधाओं वाले प्रोजेक्ट हैं, वहां सेंडिंग जोन घोषित कर लोगों को निर्माण अधिकार के सर्टिफिकेट में एफएआर दिया जाएगा। फिर इसे बेचने के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी जमीन को रिसीविंग जोन बनाया जाएगा। यहां अथॅारिटी के जरिए एफएआर की खरीद-फरोख्त होगी। जितना भी निर्माण अधिकार मिला है, उसे कलेक्टर गाइड लाइन से ज्यादा कीमत पर बेचा जाएगा। प्रोजेक्ट जल्दी शुरू करने के लिए सरकार भी लोगों से खुद यह सर्टिफिकेट खरीद लेगी और फिर इसे बिल्डरों को नीलामी के जरिए बेचा जाएगा।