Khargone. यहां 10 अप्रैल को रामनवमीं पर शुरू हुई हिंसा की आग 11 अप्रैल की रात कुंदा नदी के दूसरी तरफ पहुंच गई। यहां के रहीमपुरा इलाके में पथराव हुआ। हालांकि, दिन में शांति रही थी। वहीं, उपद्रवियों ने खंडवा रोड पर दो बसों में आग लगा दी। यह घटना कर्फ्यू के दौरान हुई। खरगोन में 10 अप्रैल की रात में ही 3 दिन तक कर्फ्यू लगा दिया गया था।
इससे पहले सोमवार (10 अप्रैल) को दिनभर पत्थरबाजी करने वाले लोगों की धरपकड़ जारी रही। इंदौर कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा और आईजी राकेश गुप्ता के निर्देशन ये कार्रवाई की गई। अब तक 84 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया गया है। इनमें से 77 उपद्रवियों को 10 अप्रैल की रात में ही पकड़ा गया था। इनके बाद सुबह 7 अन्य को पकड़ा। इनमें से 19 आरोपियों को कोर्ट में पेश किया है। प्रशासन ने आरोपियों के मकानों और दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई भी की। छोटी मोहन टॉकीज इलाके में 4 मकान और 3 दुकान, खसखसवाड़ी में 12 मकान और 10 दुकान, गणेश मंदिर के पास 1 दुकान, औरंगपुरा में 3 दुकान और तालाब चौक में 12 दुकानों पर कार्रवाई की गई।
8वीं और कॉलेज की परीक्षाएं बाद में होंगी
खरगोन में आयोजित होने वाली कक्षा 8वीं और कॉलेज की परीक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं। कलेक्टर ने बताया कि हालात सामान्य होने पर छूटे पेपर के एग्जाम होंगे। शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है। आसपास के जिलों से भी यहां पुलिस पहुंची है। बिना अनुमति किसी भी आयोजन का किसी भी तरीके से प्रचार-प्रसार पर बैन लगाया गया है। अगर कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया में आपत्तिजनक फोटो, वीडियो, प्रतिक्रिया या अफवाह फैलाने जैसी गतिविधियां पोस्ट करता है तो एडमिन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
SP ने बताई दंगे की कहानी
खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमीं जुलूस के दौरान भड़की हिंसा को काबू करने के दौरान एसपी सिद्धार्थ चौधरी को भी पैर में गोली लगी थी। दंगा कैसे भड़क गया, उन्होंने खुद इसकी कहानी बताई है...
मुख्य झांकी पहुंचने में देरी हुई
रामनवमीं का जुलूस 10 अप्रैल शाम करीब सवा 5 बजे तालाब चौक पहुंचा था। यहां एक पुलिस चौकी है। इसके ठीक सामने मस्जिद है। जुलूस में शामिल झांकियां इस चौराहे पर लाइन में खड़ी होती हैं। शाम होते-होते करीब-करीब सभी झांकियां आ गईं। डीजे बज रहा था। इस दौरान यहां करीब 12 से 15 हजार लोग थे। मुख्य झांकी के नहीं पहुंचने से जुलूस शुरू होने में देर हो रही थी। मैंने समिति के पदाधिकारियों से बात करके झांकियों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना शुरू किया, लेकिन इस बीच मस्जिद में अजान (नमाज) का समय हो गया। पीछे से बिना किसी वजह के कुछ लड़कों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। हमने टियर गैस चलाकर 15 मिनट में स्थिति को नियंत्रण में ले लिया।
एक समुदाय के लोग जुटे और आगजनी
इसके बाद जुलूस को धीरे-धीरे फिर आगे बढ़ाया, लेकिन भीड़ ज्यादा थी। हालांकि तालाब चौक खाली हो गया था। इस बीच एक समुदाय के लोग इकट्ठा हो गए। जगह-जगह आगजनी शुरू हो गई। यह पूरा इलाका घनी बस्ती से घिरा है। कुछ मोहल्ले में हिंदू-मुस्लिम एक साथ रहते हैं। कुछ बस्तियां मुस्लिम बहुल हैं। कुछ बस्तियां तो इतनी तंग हैं कि चार पहिया वाहन अंदर नहीं जा सकता। इसके बावजूद पुलिस वाले दौड़-दौड़कर गलियों के अंदर गए। जिन घरों में आग लगी थी, वहां से लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
मैं तालाब चौक इलाके में ही था। इस बीच खबर आई कि संजय नगर में दोनों समुदाय आमने-सामने हो गए हैं, जबकि पुलिस बल बहुत कम है। यह सुनते ही मैं अपने गनमैन, ड्राइवर और तीन-चार आरक्षकों के साथ संजय नगर पहुंच गया। मैंने देखा कि दोनों पक्ष आमने-सामने थे। स्थिति ज्यादा तनावपूर्ण दिख रही थी। हमने दोनों तरफ की भीड़ को हटाने के लिए टियर गैस के कई गोले फेंके। भीड़ थोड़ा पीछे हट गई थी। हमने दोनों पक्षों को समझाया, लेकिन उस समय तक इस इलाके में भी आगजनी ज्यादा हो चुकी थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ी को भीड़ ने नुकसान पहुंचाया। डर के कारण फायर ब्रिगेड का क्लीनर मौके से भाग गया था। आग को काबू करने के लिए हमने फायर ब्रिगेड को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन सामने भीड़ थी।
ऐसे लगी गोली
शाम सवा सात बज चुके थे। अंधेरा हो गया था। इस दौरान एक व्यक्ति हाथ में तलवार लेकर हिंदुओं की तरफ दौड़ गया। बीच में हम 12-15 पुलिस वाले थे। वह पुलिस को बाइपास कर जाने लगा तो उसे पकड़ लिया गया, लेकिन वह छूटकर फिर भागने लगा। तब मैं उसे पकड़ने भागा। शायद उसको कोई कवर दे रहा था, उसने मुझ पर फायर किया। मेरे पैर में गोली लगी। पहले तो मुझे लगा कि पत्थर लगा है। चलने में दिक्कत आई, तो मैं किनारे खड़ा हो गया, क्योंकि ब्लीडिंग ज्यादा हो गई थी। पैर खून से लथपथ हो गया था। मेरा गनमैन समझ गया कि गोली लगी है। मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया था कि गोली लगी है। चिल्लाना इसलिए जरूरी था, क्योंकि हर गली में भीड़ जमा थी। अनुमान से एक तरफ 300 से 400 लोग और दूसरी तरफ 400 से 600 लोग थे, जो तंग गलियों में भरे पड़े थे। इस बीच फोर्स आ गई। मेरे गनमैन को पत्थर लगे थे। उसके सिर से खून बह रहा था। इसके बावजूद वह मुझे गाड़ी में बैठाकर अस्पताल ले गया।
ड्रोन कैमरों से होगी निगरानी
खरगोन की घटना के बाद जिला प्रशासन मुस्तैद हुआ है। प्रशासन अपराधिक प्रवृत्ति के गुंडों पर नजर रख रहा है। जमीन के साथ अब प्रशासन आसमान से भी शहर की छतों पर नजर रख रहा है। ड्रोन कैमरों से शहर की छतों पर नजर रखी जा रही है। यदि कोई असामाजिक तत्व कोई भी असामाजिक गतिविधि करते पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हर असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जा रही है। कलेक्टर ने एसपी के प्रतिवेदन के आधार धारा 144 लागू के तहत सोशल मीडिया पर प्रतिबन्धात्मक आदेश लागू किए हैं।