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REWA. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विन्ध्य की तीन अलग-अलग जनसभाओं में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को इस बात के लिए आड़े हाथों लिया कि वे कर्मचारियों को आतंकवादियों की तरह धमकी दे रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी का प्रदेश संगठन राज्य निर्वाचन आयोग से मिलकर कह रहा है कि कम वोटिंग के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर्स को निर्देश दें। ये दोनों ही स्थितियां बयान कर रही हैं कि इस बार बीजेपी कर्मचारियों के रुख को लेकर डरी हुई है कि कहीं वो उसकी हार का कारण न बन जाए..।
शिवराज कहते हैं कि कमलनाथ कर्मचारियों को डरा-धमका रहे हैं
गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान की जनसभाएं धनपुरी (शहडोल), सीधी, रीवा और कटनी में हुई। चारों जनसभाओं में उनकी हड़बड़ाहट साफ दिखी। चारों सभाओं में लगभग एक ही अंदाज में कहा कि कमलनाथ कर्मचारियों को किसी आतंकवादी की तरह धमका रहे हैं। 15 महीने बाद देख लेने की धमकी दे रहे हैं। साथ ही रस्सी जल गई पर बल नहीं गया का मुहावरा हर जगह दोहराया। मुख्यमंत्री चौहान की यही खासियत है कि सुबह जो भाषण की लाइन तय कर ली उसी को शाम तक दोहराते हैं। कर्मचारी और कमलनाथ का कैसेट शाम तक चला। दरअसल शिवराज सिंह इस मामले को 2003 की तरह कमलनाथ और कांग्रेस की ओर वैसे ही मोड़ना चाहते हैं जैसे कि दिग्विजय सिंह को कर्मचारी विरोधी प्रचारित कर दिया गया था। लेकिन सही बात ये है कि मतदाताओं की नब्ज पहचानने वाले शिवराज सिंह को ये आभास है कि इस चुनाव में प्रदेश के विशाल कर्मचारी वर्ग की सहानुभूति उनके साथ नहीं है और वे यदि अपनी पर उतर आए तो बीजेपी की बिसात पलट सकते हैं।
और इधर बीजेपी संगठन कर्मचारियों पर डंडा करने पर तुला
पहले चरण में 11 नगर निगमों के लिए हुए मतदान में पिछले चुनाव के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। बीजेपी संगठन मतदान की गिरावट से परेशान है और उसका ठीकरा सरकारी मशीनरी और चुनाव ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों पर फोड़ा है। राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष को दिए गए एक ज्ञापन के कुछ पैरा बीजेपी की मंशा व्यक्त करते हैं वे जानने योग्य हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि कर्मचारियों ने ठीक ढंग से काम नहीं किया इसलिए मतदान का प्रतिशत गिरा। आप कलेक्टर्स को निर्देश दें कि वे इस बार घर-घर सूची पहुंचाना न सिर्फ सुनिश्चित करें बल्कि ऐसा उन्होंने कर दिया ये आपको सूचित करें। दूसरा कलेक्टर्स से पूछें कि लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई की गई। बीजेपी के प्रदेश कार्यालय के दिए गए ज्ञापन की भाषा में निर्वाचन आयोग के प्रति आदेशात्मक ध्वनि कोई भी सुन सकता है। दिलचस्प ये कि एक ओर शिवराज सिंह कह रहे हैं कि कमलनाथ कर्मचारियों को धमका रहे हैं तो दूसरी ओर प्रदेश बीजेपी निर्वाचन आयोग को दिए ज्ञापन के जरिए कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए दबाव बना रही है। मतलब कुछ न कुछ तो गड़बड़ है।
इधर कर्मचारियों की रहस्यमय चुप्पी काफी कुछ कहती है
बात-बात पर बिफर पड़ने वाले कर्मचारी संगठन पिछले कुछ महीनों से रहस्यमय चुप्पी साधे हैं। ये चुप्पी सत्ता पक्ष के लिए डराने वाली है। कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा बड़ा तो है ही। प्रति माह हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन पाए रिटायर हो रहे हैं उनके लिए ये एक बड़ी टीस तो है ही, नई भर्ती के कर्मचारियों का एक बड़ा तबका पुरानी पेंशन को लेकर आंदोलनरत रहा है। कमलनाथ ने तुरुप का इक्का फेंकते हुए ये ऐलान कर दिया है कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो वे कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करेंगे। कर्मचारी इसमें आशा की किरण देख रहे होंगे ये तय है। मुख्यमंत्री रोज सुबह जनसंपर्क और आईबी की ब्रीफिंग के साथ बंगले से निकलते हैं.. और संभवतः उस ब्रीफिंग में कर्मचारियों के रुख की नोटिंग ने चौहान की पेशानी पर बल ला दिए हों..। मुख्यमंत्री के उलट संगठन का अलग सुर संवादहीनता का विषय हो सकता है।