मतकाम-मरकाम के बीच फंसे व्हिसिल ब्लोअर आनंद राय, जानिए जमानत कैसे मिली

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Shivasheesh Tiwari
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मतकाम-मरकाम के बीच फंसे व्हिसिल ब्लोअर आनंद राय, जानिए जमानत कैसे मिली


Bhopal. व्हिसिल ब्लोअर आनंद राय पर मुख्यमंत्री के ओएसडी लक्ष्मण सिंह मरकाम ने एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। इस मामले में आनंद राय की गिरफ्तारी भी हुई और कोर्ट से 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत भी मिल गई। लेकिन आपको बताएं कि ये पूरा बवाल एक शब्द की वजह से हुआ और इसी शब्द की वजह से ओएसडी लक्ष्मणसिंह मरकाम ने आनंद राय पर मानहानि और एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया था। क्या है वो शब्द आपको बताते हैं। 



ये है पूरा मामला



9 अप्रैल को भोपाल के जिला और सत्र न्यायालय ने आनंद राय को जमानत दे दी। लेकिन इस जमानत का आधार क्या रहा और आखिरकार  एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज मामले का आधार क्या था। ये कोर्ट में हुई बहस और आदेश से समझ आता है। कोर्ट के इस आदेश के बिंदु नंबर 16 में लिखा है कि  ओएसडी लक्ष्मण सिंह मरकाम ने आनंद राय पर आरोप लगाया था कि  26 मार्च को आनंद राय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और लिखा था कि वर्ग 3 का पेपर लक्ष्मण सिंह मत्काम के मोबाइल तक कैसे पहुंचा।  इसकी जांच होना चाहिए, इसकी सीबीआई जांच होना चाहिए।  पिछले दिनों राजस्थान में भी रीट की एग्जाम में ऐसा ही हुआ। इसमें जो लिखा है उसमें कई शाब्दिक गलतियां है। मसलन लक्ष्मण को लिखा है.. लक्समन, मरकाम को लिखा है मत्काम और वाट्सऐप को भी अजीबगरीब तरीके से लिखा है। 



टाइपिंग मिस्टेक से बना मामला



राजस्थान को राजिस्थान लिखा है। आनंद राय के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी जिसका आदेश के बिंदु नंबर 10 में जिक्र है कि  कि पहले ये पोस्ट किया लेकिन बाद में इसे हटाकर बगैर सरनेम के पोस्ट लिखा गया। जो पहले पोस्ट किया था उसमें टाइपिंग मिस्टेक थी लेकिन इसी मतकाम शब्द को लेकर ओएसडी लक्ष्मण मरकाम के वकीलों ने दलील दी जिसका जिक्र बिंदु नंबर 16 में है कि कि ये गौंडी बोली में मतकाम एक तरह से गाली है। और आनंद राय पिछले तीन महीने से मरकाम को तोड़मरोड़ कर मतकाम लिख रहे हैं। जिसका स्थानीय भाषा में मतलब नपुंसक करना होता है। जिससे उनके जाति स्वाभिमान को ठेस पहुंची है। लेकिन आनंद राय के वकीलों की तरफ से कहा गया कि जिसका बिंदु नंबर 10 में जिक्र है कि  आनंद राय एक व्हिसिल ब्लोअर है जिन्होंने व्यापमं घोटाले को उजागर किया और आदिवासियों के हक की आवाज उठाते रहे हैं।  



50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मिली



मतकाम गौंडी बोली का कोई शब्द नहीं है। वकीलों की तरफ गौंडी बोली को बोलने और जानने वालों के शपथ पत्र भी कोर्ट के सामने पेश किए गए।  इनका जिक्र आदेश के बिंदु नंबर 14 में किया है। इन शपथ पत्र में लिखा गया कि मतकाम कोई शब्द नहीं होता और ना ही ये गाली होती है। वकीलों की इस जिरह के बाद कोर्ट ने अपना आदेश देते हुए लिखा है जो कि 24 नंबर बिंदु में दर्ज है कि  कि पुलिस ने अपनी केस डायरी में लिखा है कि धौलपुर के लक्ष्मण सिंह ने स्क्रीन शाट्स को वायरल किया है। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश के बिंदु नंबर 26 में लिखा है कि आनंद राय इंदौर में रहते हैं उनके फरार होने की कोई आशंका नजर नहीं आती। केस डायरी के तथ्य और परिस्थितियों को देखते हुए सशर्त जमानत का आदेश देना न्यायसंगत होगा और कोर्ट ने आनंद राय को 50 हजार रु. के मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया।


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