SIDHI: बीजेपी के पास नहीं है अनारक्षित महिला प्रत्याशी, आदिवासी या अन्य पर लगाएगी दांव, कांग्रेस में सभी दावेदार अनारक्षित महिला

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Brijesh Pathak
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SIDHI: बीजेपी के पास नहीं है अनारक्षित महिला प्रत्याशी, आदिवासी या अन्य पर लगाएगी दांव, कांग्रेस में सभी दावेदार अनारक्षित महिला

SIDHI. जिला पंचायत अध्यक्ष (Zilla Panchayat President) पद के लिए बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) ने राजनीतिक पहल शुरू कर दी है। अध्यक्ष (President) पद अनारक्षित महिला (Unreserved Women) होने के कारण कांग्रेस के सामने कई दावेदार होने से दुविधा जैसी बात नहीं है पर बीजेपी के सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव बीजेपी समर्थित जितनी भी महिला चुनकर आईं हैं, वह या तो आदिवासी हैं, या फिर अन्य वर्ग से हैं। ऐसे में बीजेपी चाहकर भी अनारक्षित वर्ग की महिला सदस्य को अध्यक्ष पद के लिए आगे नहीं ला सकती। बीजेपी को मजबूरन आदिवासी (Tribal) या पिछड़ावर्ग (Backward Classes) सदस्य का नाम दावेदार के रूप में आगे करना होगा।





बीजेपी से इनकी दावेदारी के चर्चे 





जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद जिन महिला सदस्यों को बीजेपी की ओर से अध्यक्ष पद का दावेदार माना जा रहा है और जोरो पर चर्चा है, उनमें पूजा कुशराम, हीराबाई सिंह और सरस्वती बहेलिया प्रमुख हैं। पूजा और हीराबाई आदिवासी वर्ग से आती हैं, जबकि सरस्वती अन्य पिछड़ा वर्ग से। सामान्य सीट से पुरुष जीते हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी खुद अमान्य है। चुनाव के पहले अध्यक्ष पद का आरक्षण सम्पन्न हो जाने के बाद बीजेपी ने कोई रणनीत बनाई होती तो शायद ये समस्या न होती। इसीलिए जो जीतकर आए हैं, उन्हीं में मंथन चल रहा है। अब यह अलग बात है कि अध्यक्ष पद की लालच में कांग्रेस से कोई असंतुष्ट सदस्य टूटकर बीजेपी में आ जाए तो जुगाड़ जम जाए अन्यथा आदिवासी या अन्य वर्ग से ही दावेदार को आगे करना मजबूरी होगी।





कांग्रेस में सामान्य वर्ग की कई महिला दावेदार 





बीजेपी में जहां अनारक्षित महिला सदस्य का नितांत अभाव है। वहीं कांग्रेस में कई महिला सदस्य दावेदार हैं। कांग्रेस से प्रमुख दावेदारों में मीनू केडी सिंह, नीलम कुलदीप शुक्ला और श्रद्धा देवेंद्र सिंह हैं। इसमें मीनू सिंह के पति केडी सिंह रामपुर नैकिन जनपद अध्यक्ष रह चुके हैं। पत्नी को जिला पंचायत सदस्य बनाने के पीछे अध्यक्ष पद ही लक्ष्य रहा है। पार्टी ने मीनू का नाम बढ़ाया तो दूसरे सदस्यों को खुद भी समेट सकते हैं। नीलम भी क्षमतावान हैं पर पार्टी के सपोर्ट पर ही फतह सम्भव है। श्रद्धा सिंह इन सबसे अलग हैं। मसलन सदस्य पद का चुनाव भी काफी संघर्ष से जीता और अब यदि अध्यक्ष बनीं तो यह उनके लिए दूसरी ऐतिहासिक घटना होगी। श्रद्धा के पति देवेंद्र यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और अजय सिंह राहुल के पसंदीदा माने जाते हैं। सदस्य पद के चुनाव में आई तमाम मुसीबतें आका के बूते ही अनुकूल हो सकी हैं। आगे की राह भी संघर्ष और वरदहस्त पर ही संभव होंगी।





बोली न लगी तो ही होगा निष्पक्ष चुनाव





जिला और जनपद अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी या बड़े नेताओं की पसंद कम ही चल पाती हैं। इसके पूर्व हुए चुनाव तो कम से कम यही बता रहे हैं। वर्ष 2010 और 2015 के चुनाव में बिना किसी दल से सम्बद्धता वाले अध्यक्ष चुन लिए गए थे। यह बात अलग है कि बाद में वे सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के हो गए लेकिन जब अध्यक्ष बने तो किसी दल के नहीं थे। इस चुनाव में भी बीजेपी, कांग्रेस अपने-अपने हिसाब से गोटी फिट करने में जुटी हुई हैं लेकिन बोली न लगेगी तभी दलों के अधिकृत उम्मीदवार चुने जा सकेंगे, वरना फिर धनबल का जादू चल जाएगा। 



 



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