Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कैंट बोर्ड जबलपुर के चुनाव न कराए जाने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब-तलब कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने रक्षा मंत्रालय के सचिव, डिफेंस इस्टेट के डायरेक्टर जनरल और प्रिंसिपल डायरेक्टर को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
जनहित याचिका कैंट बोर्ड के पूर्व पार्षद अमरचंद बावरिया द्वारा लगाई गई थी जिसमें उनकी ओर से अधिवक्ता आर के कनौजिया ने अदालत में जिरह की। दलील दी गई कि छावनी परिषद जबलपुर का कार्यकाल फरवरी 2020 में समाप्त हो गया था। इसके बाद दो बार 6-6 माह के लिए कार्यकाल को बढ़ाया गया और वो भी फरवरी 2021 में समाप्त हो गया। अब पिछले 17 माह से कैंट बोर्ड खाली है। याचिका में कहा गया कि जनहित में चुनाव कराना आवश्यक है।
छावनी परिषद में उपाध्यक्ष व पार्षदों की गैरमौजूदगी में जनता की समस्याओं का उचित निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कई जनहित के मुद्दे भी लंबित पड़े हैं। जिन्हें स्वीकृति मिलने का इंतजार है। याचिका में दलील दी गइ्र कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में चुनावों को लेकर दिशा निर्देश दिए हैं, जिनके तहत सभी नगरीय निकायों में चुनाव कराना जरूरी है। याचिका में मांग की गई है कि जनहित में छावनी परिषद के चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं। सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने पक्ष रखा था।
बता दें कि छावनी परिषदों के चुनाव भी पंचायत चुनाव की तरह गैरदलीय आधार पर होते हैं। जिनमें प्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक दलों का हस्तक्षेप या भागीदारी नहीं होती है। हालांकि परोक्ष रूप से राजनैतिक दलों से जुड़े नेता ही इसमें हिस्सा भी लेते हैं। पूर्व में कांग्रेस नेता अभिषेक चौकसे, चिंटू दो बार कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष रह चुके हैं हालांकि वे भी कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस का दामन थामते नजर आते रहे।