SATNA. जिले के जंगलों अब वन्यजीवों के लिए ही सुरक्षित साबित नहीं हो रहे। यहां अक्सर उनके शिकार की खबरें आती ही रहती हैं। एक माह के बाद जंगल की एक जीव का शिकार किया गया है। यह इस पखवाड़े की दूसरी घटना है। यही नहीं वन्य अधिकारी ताजा मामले को लेकर रहस्यमयी तरीके से चुप्पी साध लिए हैं। सतना जिले के सिंहपुर वन परिक्षेत्र में एक हिरण का शव मिला है। शव से कुछ दूर पर ही वन विभाग की स्थापित है इसके बाद भी शिकारी ने हिरण को मौत के घाट उतार कर चंपत हो गए। विभागीय अधिकारी भी मौका नहीं चूके उन्होंने आनन-फानन में मृत हिरण का अंतिम संस्कार कर दिया। जानकारी की मुताबिक शिवराजपुर बीट में 29 जुलाई को एक हिरण का शिकार कर लिया गया। इस बात की जानकारी लगते ही वन अधिकारियों ने शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। इधर, 30 जुलाई को देर शाम हिरण के शिकार की बात आग की तरह फैल गई। इसके बाद से वन अधिकारियों के फोन केवल घनघनाते रहे। बताया जा रहा है कि शिवराजपुर के गड़रियान मोहल्ला के पास से शव बरामद कर वन विभाग ने अंतिम संस्कार कर दिया।
17 दिन पहले भी मिला था शव
सिंहपुर रेंज के सिंहपुर वन परिक्षेत्र में एक पखवाड़े से पहले भी हिरण का शव मिला था लेकिन वह विभाग के अधिकारियों ने इससे सबक नहीं लिया। बताया गया है कि शिवराजपुर में ही 17 दिन पहले हिरण का शव मिला था। घटना 13 जुलाई की है इसके बाद भी वन अफसर नहीं जाए और फिराक में बैठा शिकारी एक और वन्य प्राणी की जान ले ली।
चार बीट, वन चौकी लेकिन सुरक्षा नहीं
सिंहपुर रेंज के शिवराजपुर सर्किल की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। इस सर्किल में वन की 4-4 बीटे हैं इसके अलावा बाकायदा बन चौकी भी स्थापित है। बावजूद इसके एक पखवाड़े से ज्यादा दिनों में 2-2 हिरणों का शिकार कर लिया गया। बताया गया है कि यहां डिप्टी रेंजर निवास और बीट गार्ड्स के निवास बने हुए हैं।इसके बाद भी वन्य प्राणियों की निगरानी सटीक तरीके से नहीं की जा रही है।
पिछले माहों में तेंदुआ के शिकार
सतना के जंगलों में वर्तमान में बाघों के साथ-साथ तेंदुआ भी है। बीते गर्मी के दिनों में इनका भी शिकार हो चुका है। बीते मई और जून माह में दो तेंदुआ का शिकार हो चुका है। वह विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 30 मई 2022 को मझगवां रेंज के बिरसिंहपुर सर्किल में तेंदुआ का शव मिला था। इसके शरीर में करंट के चोट मिले थे। इस घटना के कुछ दिन बाद 1 जून को उचेहरा के महाराजपुर के तालाब के पास तेंदुआ का शव मिला। इस पर दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
11 सालों में 2020 में ज्यादा शिकार
सतना वन मंडल के अंदर शिकारों का केवल एक साल ही 10 तक सिमटा रहा बाकी के सालों में इसके ऊपर ही मामले दर्ज किए गए। वन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के आँकड़े पर गौर करें तो 2011 से लेकर 2021 तक 256 शिकार के मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से सर्वाधिक वर्ष 2020 में 32 शिकार के मामले दर्ज हुए हैं। वर्ष 2011में 2, 2012 में 10, 2013 में 20, 2014 में 25, 2015 में 30, 2016 में 28, 2017 में 23, 2018 में 15, 2019 में 23, 2021 में 29 शिकार के मामले वन विभाग ने दर्ज किए हैं।