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अंकुश मौर्य, भोपाल. राजधानी भोपाल में जिला प्रशासन के अधिकारी, भू-माफिया और बैंक अधिकारियों की सांठगांठ से करीब 100 करोड़ की सरकारी जमीन हथियाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। लीज पर आवंटित 25 एकड़ जमीन को सभी नियम-कानून ताक पर रखकर बैंक ने नीलाम कर दिया और पटवारी से लेकर कलेक्टर-कमिश्नर तक राजस्व विभाग का सारा अमला देखता रह गया। या यूं कहें कि जानबूझकर आंखे मूंदे बैठा रहा और एक रसूखदार कारोबारी ने जमीन आधी कीमत पर हथिया ली। द सूत्र की खास पड़ताल में खुलासा हुआ है कि शहर में बेशकीमती सरकारी जमीन को निजी हाथों में थमाने का ये काम रातोंरात नहीं हुआ। इस कारनामे को अंजाम देने के लिए लंबी साजिश रची गई थी। इस बड़े गोलमाल की पहली कड़ी में पढ़िए आखिर क्या है ये मामला। सरकारी जमीन निजी हाथों में जाने की शुरुआत कहां से हुई और कैसे हुई।
सरकार की इस योजना की आड़ में हुआ घोटाला: वर्ष 2002 में मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग ने एक परिपत्र जारी किया था। इसमें प्रावधान किया गया था कि आर्थिक रूप से सक्षम निजी संस्थाएं यदि प्रदेश में मेडिकल कॉलेज खोलना चाहती हैं तो उन्हें सरकार मुफ्त में 25 एकड़ जमीन उपलब्ध कराएगी।
निजी मेडिकल कॉलेज के लिए आवंटित कराई जमीन: सरकार की इसी योजना का फायदा उठाते हुए दिल्ली की एडवांस मेडिकल साइंस एंड एजुकेशन सोसाइटी ने शहर के कोलार रोड पर स्थित इनायतपुर में 25 एकड़ सरकारी भूमि पट्टे पर आवंटित करा ली।
पट्टे पर मिली जमीन को बैंक में गिरवी रख दिया: पट्टे पर जमीन आवंटित होने बाद एडवांस मेडिकल साइंस एंड एजुकेशन सोसाइटी ने इसे द नैनिताल बैंक लिमिटेड, शालीमार बाग, दिल्ली में गिरवी रख दिया और इसकी एवज में मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए करोड़ों रुपए का लोन ले लिया। राजस्व विभाग के लैंड रिकॉर्ड की बेवसाइट के मुताबिक यह जमीन 25 करोड़ रुपए के लोन के एवज में बैंक में वर्ष 2014 से बंधक है।
कर्ज नहीं चुकाने पर कलेक्टर ने बैंक को सौंप दिया पजेशन: एडवांस मेडिकल साइंस एंड एजुकेशन सोसाइटी ने बैंक से भारी-भरकम लोन तो ले लिया लेकिन किश्तें नहीं चुकाई। लिहाजा बैंक ने रिकवरी के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी कलेक्टर भोपाल की कोर्ट में केस लगा दिया। वर्ष 2017-18 में तत्कालीन कलेक्टर सुदाम खाड़े ने सोसाइटी को मेडिकल कॉलेज के लिए आवंटित की गई 25 एकड़ भूमि और निर्माण का आधिपत्य नैनिताल बैंक लिमिटेड को सौंप दिया। लेकिन इस शर्त के साथ की प्रॉपर्टी को बेचा या नीलाम नहीं किया जा सकता क्योंकि भूमि पट्टे पर दी गई थी।
बैंक ने 61 करोड़ में नीलाम कर दी 100 करोड़ की सरकारी जमीन: जमीन नहीं बेचने या नीलाम नहीं करने की शर्त के बावजूद प्रॉपर्टी पर कब्जा मिलने के तीन साल के अंदर ही बैंक ने उसे नीलाम कर दिया। 21 अक्टूबर 2021 को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सेल सर्टिफिकेट जारी करते हुए बताया कि इनायतपुर की पटवारी हल्का नंबर 29 के तहत आने वाली खसरा नंबर 15, 16, 32, 112 से 148 की जमीन, आयुष्मति एजुकेशन एंड सोशल सोसाइटी, भोपाल को 61 करोड़ 55 लाख रुपए में नीलाम कर दी गई है। 26 अक्टूबर 2021 को आयुष्मति एजुकेशन एंड सोशल सोसाइटी, गंगा जमुना कॉम्प्लेक्स , महाराणा प्रताप नगर, जोन-1 भोपाल के सिद्धार्थ कपूर के नाम पर रजिस्ट्री भी करा दी गई।
अगली कड़ी में पढ़िए कौन-कौन है जिम्मेदार: राज्य सरकार की करीब 100 करोड़ की जमीन को बैंक ने आधी कीमत पर बेच दिया और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कोई आपत्ति भी नहीं ली। मतलब साफ हैं कि बैंक और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ रसूखदार का गठजोड़ सरकार को बड़ी चपत लगाने में कामयाब हो गया। कैसे हुई 100 करोड़ रुपए की जमीन की बंदरबांट और प्रशासन का कौन-कौन अफसर है इसका गुनहगार। जानने के लिए खबर की अगली कड़ी में पढ़िए।