Bhopal. अपना पुराना वार्ड (Ward) महिलाओं के लिए रिजर्व होने के बाद अधिकांश पार्षदों ने पार्षद (Councilor) पति बनने का सपना संजो लिया है। इस सपने को साकार करने के लिए पूर्व पार्षद अपनी पत्नियों को साथ लेकर दौड़ में जुट गए हैं। मगर इन दावेदारों की यह सारी द़ौड़धूप किसी काम नहीं आने वाली है। न तो पत्नियां किसी की पार्षदी बचाने में कामयाब हो सकेंगी और न इन दावेदारों का पार्षद पति बनने का सपना ही साकार हो सकेगा। इन सभी की दावेदारी की हवा निकालने का काम करेगी बीजेपी (BJP) की नई गाइड लाइन।
नगरीय निकाय चुनावों (urban body elections) के लिए 11 जून से नामांकन (Nomination) प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। वार्डों का नए सिरे से आरक्षण (Reservation) होते ही पार्षद पद के लिए भी नए समीकरण बन गए है। इन समीकरणों से अपनी राजनीति को बचाने के लिए बीजेपी के पूर्व पार्षद अपनी पत्नियों का नाम आगे बढ़ाने में जुट गए हैं। इनमें भी खास तौर पर दो दर्जन पूर्व पार्षदों को आसपास के वार्डों में भी अपने लिए कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। ऐसे में अब पूर्व पार्षदों के पास अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। इन नेताओं ने प्रदेश से लेकर जिला कार्यालय (District Office) तक अपनी पत्नी को साथ लेकर रायशुमारी में जुट गए हैं। मगर टिकट घोषित होने के साथ ही इन सभी का निराश होना तय माना जा रहा है। इसकी वजह है जिला भाजपा द्वारा इन सभी का खंगाला जा रहा पुराना रिकॉर्ड।
ऐसे परखा जा रहा है पूर्व पार्षदों का परफार्मेस
अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए लगातार दबाब बनाने वाले पूर्व पार्षदों से छुटकारा पाने के लिए भोपाल जिला भाजपा ने नया क्राइटेरिया (Criteria) बनाकर काम शुरू कर दिया है। दावेदारों द्वारा दिए जा रहे बायोडाटा को दरकिनार कर बीजेपी इन पूर्व पार्षदों के कार्यकाल का रिकॉर्ड देखा जा रहा है। वार्डों में कराए गए विकास कार्यों का ब्यौरा एकत्रित किया जा रहा है तो नगर निगम की बैठकों में भी इन दावेदारों का परफार्मेस परखा जा रहा है। इसके अलावा एक खास रिपोर्ट इन दावेदारों द्वारा पार्षद रहते संगठन में दिखाई गई सक्रियता पर तैयार की जा रही है। पार्षद रहते हुए इनकी संगठनात्मक बैठकों में उपस्थिति कैसी रही। साथ ही संगठन के लिए इन पूर्व पार्षदों ने क्या-क्या काम किए, इसे भी गंभीरता से परखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा किसी भी पूर्व पार्षद के परिजनों को अपना चेहरा नहीं बनाएगी।
महापौर के लिए कवायद तेज
जिला संगठन द्वारा पार्षद पद के दावेदारों के साथ रायशुमारी करने के साथ ही बीजेपी में विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर महापौर (Mayor) और नगर पालिका अध्यक्षों के लिए भी कवायद तेज कर दी गई है। सभी संभाग व जिला मुख्यालयों पर विधायकों के साथ रायशुमारी के दौर चल रहे हैं। मगर सभी 16 नगर निगम क्षेत्रों में खींचतान का माहौल बना हुआ है। पार्टी ने प्रभारी मंत्रियों के अलावा संभाग व जिलों के प्रभारियों को भी फील्ड में भेज दिया है। सभी एक रायशुमारी के बाद एक सर्वमान्य नाम या पैनल बनाने को कहा गया है। भाजपा द्वारा 12 जून से सूचियां घोषित किए जाने की संभावना मानी जा रही है।
कांग्रेस में एक-एक नाम चुनने पर जोर
दूसरी ओर कांग्रेस भी सभी नगर निगमों में जोरदार वापसी की तैयारी में जुटी है। सभी जिलों में पीसीसी द्वारा प्रभारी बनाकर भेजे गए हैं। सभी को आज शाम तक सिंगल नाम अथवा अधिकतम तीन नाम की पैनल देने को कहा गया है। अधिकांश जिलों में प्रभारी आज पहुुंचे हैं और रायशुमारी चल रही है। कल पीसीसी चीफ कमलनाथ सभी दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में प्रभारियों की रिपोर्ट पर सिंगल नाम तय कर सकते हैं।
भोपाल में महिलाओं के लिए 42 वार्ड
भोपाल में 85 में से 42 वार्ड महिलाओं के खाते में आए हैं। इनमें से आठ एससी-एसटी और 12 ओबीसी के अलावा 22 वार्ड अनारक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं। पार्षद रहते खुद की नेतागिरी चमकाने में जुटे रहे पूर्व पार्षदों ने अब अपनी पत्नी को क्षेत्र की सबसे सक्रिय समाज सेवी बताते हुए बायोडाटा संगठन पदाधिकारियों को सौंप दिया है। साथ ही आरक्षण के बाद भी पहला अधिकार अपने परिवार का जताया है।