मंदसौर. कल दशहरा है। देशभर में रावण दहन को लेकर तैयारियां चल रही है। रावण का दहन देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण दहन नहीं होता है बल्कि रावण की पूजा की जाती है।
क्यों होती है रावण की पूजा
मंदसौर के बारे में कहा जाता है कि मंदोत्तरी(रावण की पत्नी) का जन्म हुआ था। रावण का ससुराल है। मंदसौर में नामदेव समाज की महिलाएं रावण के सामने घूंघट करती हैं। यहां के दशहारे के दिन रावण की पूजा होती है। माना जाता है कि पैरों में धागा बांधने से बीमारियां भी दूर होती है। मंदसौर के नामदेव समाज द्वारा पूजा की जाती है।
कब से चली आ रही है प्रथा
नामदेव समाज के अनुसार, ये प्रथा 200 से 300 साल पुरानी है। 2007-08 में बिजली गिरने की वजह से रावण की मूर्ति टूट गई थी। फिर प्रशासन ने इसे दोबारा ठीक करवाया और स्थापित किया। यहां पर रावण के सिर पर गधे को बिठाया है। इसे बिठाना की मुख्य वजह है लोगों को पता चले कि रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है। नामदेव समाज प्रतिमा तक ढोल- नगाड़े के साथ मूर्ति तक जाते है। फिर पूजा अर्चना करते है।