इंदौर. रंगपंचमी पर मंगलवार (22 मार्च) को इंदौर के जमीं-आसमां फिर रंगीन होंगे। कोरोना के कारण बीते दो साल से स्थगित रही गेर (Ger) इस बार लाखों रंग-रसियाओं की मौजूदगी की गवाह बनेंगी। सुबह 11 बजे शुरू होगा गेर का सिलसिला पुराने इंदौर (मल्हारगंज, कपड़ा मार्केट, इतवारिया बाजार, खजूरी बाजार, लोहार पट्टी आदि) के कई मार्गों पर घंटों रंग बरसाते हुए शहर की पहचान राजवाड़ा चौक पर खत्म होगा।
गेर का इतिहास: इंदौर में सामूहिक रूप से होली से ज्यादा रंग पंचमी मनाई जाती है। करीब सात-आठ दशक पहले इक्का-दुक्का संगठनों ने छोटे पैमाने पर यह सिलसिला शुरू किया था, जो निरंतर विस्तारित होता गया। इस साल चार गेर निकल रही हैं जिनमें शहर और प्रदेश के लाखों लोग शिरकत करेंगे।
एक नजर उत्सव पर: गेर इंदौर की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा प्रमुख आयोजन है। इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं। रंग पंचमी का ये जुलूस शहर के अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए ऐतिहासिक राजवाड़ा के सामने पहुंचता है। इस वर्ष गेर नॉर्थ राजमोहल्ला से शीतला माता बाजार, गौराकुंड चौराहे होते हुए राजवाड़ा तक पहुंचेगी। यहां रंग-गुलाल की चौतरफा बौछारों के बीच हजारों हुरियारों का आनंद में डूबा समूह कमाल का मंजर पेश करता है।
एकलव्य लक्ष्मणसिंह गौड़: पूर्व मंत्री स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ ने अपने गैर राजनीतिक संगठन हिंद रक्षक के बैनर तले 24 साल पहले इसे शुरू किया था। उस समय तक दूसरे संगठनों को गेर निकलते हुए चार-पांच दशक हो गए थे। गेर में शामिल कतिपय लोगों द्वारा संस्कृति को विकृत करने से आहत श्री गौड़ ने फाग यात्रा की परंपरा शुरू की। जिसमें सैकड़ों महिलाएं भी खुलकर हिस्सा लेती हैं।
आकर्षण-
- राधा-कृष्ण की मूर्ति विराजित कर एक रथ पूरी यात्रा में साथ होगा। इसके अलावा वृंदावन के प्रेम मंदिर की प्रतिकृति यात्रा में शामिल होगी।
रसिया कॉर्नर गेर: रसिया कॉर्नर गेर की शुरुआत राजपाल जोशी के दादाजी रमेश जोशी और उनके मित्र प्रेम शर्मा ने 49 साल पहले शुरू की थी। अब पोते राजपाल इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
आकर्षण-
- उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हमशक्ल और उप्र चुनाव में स्टार प्रचारक रहे विजेंदरनाथ योगी गेर में होली खेलते हुए चलेंगे। ये मप्र के मूल निवासी हैं।
संगम कॉर्नर गेर: संगम कॉर्नर गेर की शुरुआत अनाज व्यवसायी प्रेम स्वरूप खंडेलवाल ने 68 साल पहले की थी। बरसों संचालन करने के बाद सन 2000 में उन्होंने आयोजन की बागडोर अपने पुत्र और कांग्रेस नेता कमलेश खंडेलवाल को सौंप दी। अब 22 सालों से वे ही इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
आकर्षण-
- मथुरा से आया महिलाओं का दल बरसाने की लट्ठमार होली का प्रदर्शन करेगा।
इनके अलावा मॉरल क्लब की गेर भी शामिल होगी। गेर की परंपरा शुरू करने वालों में से एक शेखर गिरि परिवार की टोरी कॉर्नर गेर ने इस साल आयोजन से किनारा कर लिया है। गेर मार्ग पर निर्माण कार्य होने से उन्होंने इस बार आयोजन नहीं करने का फैसला किया है।
होलकर राजघराने का गेर से संबंध: ये परंपरा होलकर वंश की मानी जाती है। राजघराने के लोग रंगपंचमी पर बैलगाड़ियों में फूलों और हर्बल चीजों से तैयार रंग और गुलाल को रखकर सड़क पर निकल पड़ते थे। जो भी उन्हें रास्ते में मिलता था, उनको प्यार से रंग लगा देते थे। लोग पिचकारियों में रंग भरकर फेंकते थे। इस परंपरा का उद्देश्य सभी वर्ग के लोगों के साथ मिलकर त्यौहार मनाना था। गेर की परंपरा कभी नहीं रुकी। आपातकाल में आयोजकों ने आपसी तालमेल के साथ गेर का आयोजन किया। लेकिन कोरोना का वजह से गेर की सिलसिला टूट गया था।
इंदौर का गेर इसलिए प्रसिद्ध: इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाली रंगारंग गेर के लिए लोग साल भर इंतजार करते हैं। इसका लुत्फ उठाने देश विदेश से भी लोग आते हैं। गेर निकालने की दशकों पुरानी परंपरा है। इसमें मिसाइलों, पिचकारी, वॉटर टैंकर से 100 से 200 फीट ऊंचाई तक रंगों की बौछार होती है। इससे पूरा आसमान सतरंगी हो जाता है। इंदौर में आखिरी बार 2019 में गेर निकली थी। 2020 में कोरोना आया और दो साल से गेर नहीं निकल सकी। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घोषणा के बाद इंदौर की पारंपिरक रंगारंग गेर धूमधाम से निकलेगी।