MP: कांग्रेस की मैदानी जंग लड़ेगी यूथ बिग्रेड, क्या रंग लाएगी नाथ की रणनीति ?

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
MP: कांग्रेस की मैदानी जंग लड़ेगी यूथ बिग्रेड, क्या रंग लाएगी नाथ की रणनीति ?

Bhopal. तीन साल से नींद में डूबी कांग्रेस की नींद अब टूटने लगी है। लग रहा है कि मुद्दों के बीच खामोश-सी पड़ी कांग्रेस ने अब युवा अंगड़ाई लेना शुरू कर दी है। कांग्रेस के युवा खेमे ने सड़कों पर उतर कर युवाओं की आवाज बनने की कोशिश की है। ये बात अलग है कि कांग्रेस की आवाज राजधानी भोपाल के एक हिस्से में सिमट कर रह गई। लेकिन पानी की बौछारें का फोर्स ये बताने के लिए काफी था कि उन्हें सिमटने पर मजबूर करने के लिए 17 साल के तंत्र को ताकत भी बहुत लगानी पड़ी। बेरोजगार और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की आवाज का इंतजार बहुत जोरों से हो रहा था। वरिष्ठों ने तो जोर मारा नहीं लेकिन युवा कांग्रेस ने जिम्मा संभालने की कोशिश की है। इसे संयोग कहें या टाइमिंग कि युवक कांग्रेस का प्रदर्शन ऐसे समय हुआ, जब निकाय चुनाव होना तकरीबन तय हो गया हैं। अब ये कहा जा सकता है कि चुनावी आहट सुन कांग्रेस एक्टिव हुआ है। वजह जो भी हो कांग्रेस से उम्मीद लगाए युवा वोटर्स अब बस यही जानना चाहते हैं कि ये कांग्रेस के उन्माद का ट्रेलर भर था। या प्रदर्शन किसी शॉर्ट मूवी की तरह शुरू हुआ और बस खत्म हो गया।



सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी की रिपोर्ट 



बेरोजगारी पर हुआ एक मोटा आंकलन ये बताता है कि कोरोना की दूसरी लहर गुजरने के बाद तक देश में बेरोजगारों की संख्या पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। इसमें महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी की रिपोर्ट जनवरी में आई। उसके बाद से बेरोजगारी पर युवाओं की आवाज बुलंद करने का इंतजार था।



उम्मीदें विपक्ष के नाम पर कांग्रेस से ही हैं



जाहिर है सत्ता पक्ष तो ये सवाल उठाएगा नहीं। विपक्ष कमजोर ही सही पर है तो। विपक्ष भी कोई ऐसा वैसा नहीं है। सत्तर साल तक देश की सबसे बड़ी पार्टी बने रहने वाला दल है। लिहाजा उम्मीदें विपक्ष के नाम पर कांग्रेस से ही हैं। करीब चार माह बाद ही सही कांग्रेस को भी ये याद आया कि उसे जनता की आवाज बनना चाहिए। समस्या युवाओं की है तो जिम्मा भी युवा कांग्रेस ने ही संभाला। कांग्रेस की युवा ब्रिगेड के सिरमौर बीवी श्रीनिवास और विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में युवा शंखनाद हुआ। 



बढ़ती बेरोजगारी पर कांग्रेस कितनी फिक्रमंद है ये बताने के लिए युवा कांग्रेसी सड़क पर उतरे। कांग्रेस से ज्यादा तैयारी सरकार की नजर आई। सड़कों पर इस कदर बैरिकेडिंग की गई कि आम लोगों को यही संशय हो गया कि कहीं प्रदर्शनकारियों से ज्यादा संख्या बैरिकेड्स की न हो जाए। हालांकि कांग्रेस की तैयारी पूरी थी। लंबे समय बाद कांग्रेस का ऐसा प्रदर्शन नजर आया जिसे जंगी कहा जा सके। 



वॉटर केनन, फौरी गिरफ्तारी के लिए लाई गई वैन। कांग्रेस के प्रदर्शन से पहले ही तैयार थी। युवा कांग्रेस की तैयारी तो सीएम हाउस के घेराव की थी लेकिन उन्हें जेपी हॉस्पिटल से आगे भी नहीं निकलने दिया गया। घेराव के लिए निकले युवा कांग्रेसी ही पूरी तरह पुलिस प्रशासन से घिरे नजर आए। जिसे देखकर ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस की एक कोशिश तो कामयाब रही।



कमलनाथ यूथ बिग्रेड को आगे रखकर मैदानी जंग लड़ने की रणनीति बना रहे



ये देखकर इत्मीनान किया जा सकता है विपक्षी दल के नौसिखिए नेताओं में ही सही लेकिन कम से कम प्रदर्शन का और चोट सहने का माद्दा तो बरकरार है। कांग्रेस के तजुर्बेकार नेता कमलनाथ यूथ बिग्रेड को आगे रखकर मैदानी जंग लड़ने की रणनीति बना रहे हैं। बीजेपी के खिलाफ हर वक्त मोर्चा खुला रखने वाले दिग्विजय सिंह के बयानों की तीखी धार बेरोजगारी के मुद्दे पर बोथरी हो जाती है। कमलनाथ की सियासत में भी पहले ये मुद्दा गायब था। कमलनाथ ने अपने ट्वीट से साफ कर दिया कि अब मध्यप्रदेश के मुद्दों को युवा कांग्रेस को ही उठाना होगा। अजय सिंह, अरूण यादव ने भी बड़ी बड़ी बातें कहीं। लेकिन ये जान लेना भी जरूरी है कि कांग्रेस के इस प्रदर्शन से युवाओं की कितनी बात बनेगी। क्या प्रदेश का युवा अब जाकर हरकत में आई कांग्रेस के प्रदर्शन से राहत की सांस ले सकता है कि अब हालात सुधरेंगे। हमारे साथी अंकुश मौर्या ने प्रदेश के कुछ युवाओं से चर्चा की, जो राय सामने आई वो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए अच्छी नहीं है। 



युवा का शंखनाद



चुनाव की एक बात तो बहुत अच्छी है। जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने लग जाती है। अब से लेकर डेढ़ साल तक जनता गाहे बगाहे वीआईपी फीलिंग फील करती रहेगी। असल वीआईपी यानि हमारे नेता उन्हें ये फील करवाते रहेंगे कि उनके मुद्दे अब सुने या सुनाए जा रहे हैं। युवा शंखनाद एक तरह से चुनावी लड़ाई का आगाज भी है। ये बात और है कि फिलहाल राजनैतिक दलों के लिए हिंदुत्व से बड़ा मुद्दा कुछ और है नहीं। अब बात बेरोजगारी तक पहुंची है। उम्मीद है कि इस पर चर्चा या चर्चा में रहने का तरीका जारी रहेगा।




 


कमलनाथ Kamal Nath HARISH DIVEKAR हरीश दिवेकर एमपी MP News Strike न्यूज स्ट्राइक शिवराज सरकार Arun Yadav Youth Congress यूथ कांग्रेस प्रदर्शन Shivraj Sarkar Satta Bhopal Demonstration सत्ता युवा कांग्रेस अरुण यादव भोपाल