Madhya Pradesh: कॅरियर और शादी की उम्र में जेल जा रहा है युवा, पिछले पांच साल में 25 फीसदी का इजाफा

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Shivasheesh Tiwari
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Madhya Pradesh: कॅरियर और शादी की उम्र में जेल जा रहा है युवा, पिछले पांच साल में 25 फीसदी का इजाफा

अरुण तिवारी, BHOAPAL. किसी की भी जिंदगी में 18 से 30 साल की उम्र सबसे ज्यादा अहम होती है। यही वो उम्र है जब युवा अपना कॅरियर बनाता है और विवाह के बंधन में बंधता है। लेकिन एनसीआरबी की रिपोर्ट माथे पर चिंता की लकीरें खींच सकती है। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का युवा (Youth) इस उम्र में जेल की सलाखों के पीछे जा रहा है। जेल में जितने बंदी हैं उनमें से आधे से ज्यादा बंदी 18 से 30 साल की उम्र के हैं। और यही नहीं साल दर साल ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। पिछले पांच साल में युवाओं के अपराधी बनने के मामलों में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले एक दशक में इस आयु वर्ग के युवाओं के क्राइम ग्राफ (Crime Graph) में 45 से 50 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है। 



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इस तरह बढ़ रहे हैं युवा अपराध की ओर



साल : 2005—2010



उम्र वर्ग — 18 — 30 साल

सजायाफ्ता — 6501

अंडर ट्रायल — 9035

इस वर्ग के कुल बंदी — 15536

जेल में बंद कुल कैदी — 31101



साल  : 2010—2015



उम्र वर्ग — 18 — 30 साल

सजायाफ्ता — 6777

अंडर ट्रायल — 11638

इस वर्ग के कुल बंदी — 18416

जेल में बंद कुल कैदी — 38358



साल  : 2015—2020



उम्र वर्ग — 18 — 30 साल

सजायाफ्ता — 5834

अंडर ट्रायल — 16987

इस वर्ग के कुल बंदी — 22721

जेल में बंद कुल कैदी — 45364



कंडक्ट डिसआर्डर एक बड़ा कारण



वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी (Dr. Satyakant Trivedi) कहते हैं कि युवाओं को अपराध की तरफ जाना बहुत चिंताजनक है और इस पर पूरे शोध की आवश्यकता है। युवाओं का अपराध की तरफ बढ़ने के कई कारण हैं। इसमें आर्थिक, मानसिक और सामाजिक कारण सामने आते हैं। कई युवा कंडक्ट डिसआर्डर के शिकार होते हैं। इसमें उनमें गुस्से की भावना ज्यादा होती है। छोटी—छोटी बातों में झूठ बोलना, बात—बात पर गुस्सा करना और दूसरे को सताने में उनको मजा आता है। युवाओं में नशे का चलन भी इसका बड़ा कारण है। नशे के दौरान अपराध करने की तीव्रता बढ़ जाती है। सोशल मीडिया का प्रचलन भी महत्वपूर्ण फेक्टर है। इससे प्रभावित होकर भी युवा क्राइम की तरफ बढ़ता है। इसमें परिवारिक पृष्ठभूमि, तनाव प्रबंधन, परिवार में हिंसा या कलह का होना,पढ़ाई लिखाई की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 



गुस्सा और अवसाद भी बड़े कारण 



आज कल समाज में अन्य तरह के अपराधों में भी इजाफा हुआ है। किशोर बच्चे छोटी-छोटी बातों पर पैसा या मोबाइल न मिलने पर घर छोड़ कर चले जाते हैं। वहीं परिवार का मुखिया अपने बच्चों और पत्नी की जान ले लेता है और खुद भी खुदकुशी कर लेता है। डॉ सत्याकांत त्रिवेदी कहते हैं कि बदलते वक्त के साथ टीवी,मीडिया और सिनेमा का बढ़ता प्रभाव इसमें अहम रोल अदा करते हैं। गुस्सा और अवसाद की भावना के चलते इस तरह के कदम उठाए जाते हैं।




जल्दी अमीर बनना चाहते हैं युवा 



रिटायर्ड डीजीपी एनके त्रिपाठी कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में अपराध का नया ट्रेंड देखने में आ रहा है। युवा बहुत महत्वाकांक्षी हो रहे हैं। वे जल्दी अमीर बनना चाहते हैं और यही कारण है  उनको अपराध का रास्ता पैसा कमाने का आसान रास्ता नजर आता है। पिछले कुछ सालों में 20-30 साल के युवाओं का अपराध की तरफ जाने का आंकड़ा लगातार बढ़ता दिखाई देता है। चोरी, हिंसा और साइबर क्राइम के फ्रॉड में सबसे ज्यादा इसी आयु वर्ग के युवाओं का नाम सामने आता है। इसमें पुलिस के साथ—साथ समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। 



बेरोजगारी दूसरा पहलू 



रोजगार के विषय पर लंबे समय से काम कर रहे बेरोजगार सेना के प्रमुख अक्षय हुंका कहते हैं कि प्रदेश में इस समय एक करोड़ से ज्यादा पढ़े—लिखे युवा हैं जिनके पास कोई नौकरी या काम नहीं है। इन युवाओं में डिप्रेशन की भावना भी बढ़ती जा रही है। नौकरी न मिलने से आत्महत्या करना या फिर अपराध का रास्ता अपनाने की सोच बनती जा रही है। इन सबके पीछे बेरोजगारी सबसे बड़ा कारण है जिस पर सरकारों को गंभीरता से ध्यान देना होगा। 

 


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