1 लाख स्कूलों के 22 महीने पहले खाते बंद कर 1 हजार करोड़ वापस लिए, ऑनलाइन खाते नहीं खुलने से अब चॉक-डस्टर तक का बोझ शिक्षकों पर

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The Sootr
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1 लाख स्कूलों के 22 महीने पहले खाते बंद कर 1 हजार करोड़ वापस लिए, ऑनलाइन खाते नहीं खुलने से अब चॉक-डस्टर तक का बोझ शिक्षकों पर

अजय छाबरिया, Bhopal. प्रदेश सरकार शिक्षा के लिये किए जा रहे प्रयासों के गुणगान करने से थकती नहीं है, पर हकीकत यह है कि दो साल से सरकारी स्कूलों में चॉक-डस्टर तक का बोझ शिक्षकों की जेब पर पड़ रहा है। आपके मन में एक सवाल उठेगा कि शिक्षा विभाग के पास बजट की कमी तो है नहीं फिर ऐसे कैसे हो सकता है कि सरकारी स्कूलों के संचालन के लिए शिक्षकों को अपनी जेब से पैसे खर्च करना पड़ रहा है। दरअसल पूरा मामला स्कूल शिक्षा विभाग के मिस मैनेजमेंट से जुड़ा हुआ है। 22 महीने पहले जून 2021 में प्रदेश में संचालित 1 लाख प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के खाते बंद कर दिए गए। जिस समय यह खाते बंद हुए उस समय हर एक खाते में करीब 1 लाख रूपए थे। यानी खाते बंद कर करीब 1 हजार करोड़ रूपए सरकार ने वापस ले लिए, इसके बाद आनलाइन खाते खोले जाने थे, पर यह अब तक सभी स्कूलों के खाते नहीं खुल सके। स्कूल का खाता नहीं होने से संचालन के लिए विभाग उसमें राशि जमा नहीं करवा पाया। नतीजा यह रहा कि स्कूल चलाने के लिए चॉक-डस्टर तक का बोझ शिक्षकों की जेब पर आ गया। 



खुफिया कैमरे में रिकॉर्ड हुआ शिक्षकों का दर्द



शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को इस बारे में किसी से भी कोई भी बात करने मना किया हुआ है, फिर भी द सूत्र के खुफिया कैमरे में शिक्षकों का दर्द रिकॉर्ड हुआ। सलैया के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक ने बताया कि 2022 में 1 साल का लंबित भुगतान बीआरसी कार्यालय द्वारा कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद कोई भी राशि नहीं मिली। स्कूल के मूलभूत खर्चों के लिए हम अपनी जेब से रूपए खर्च कर रहें है। गुरारीघाट के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षकों ने बताया कि SMC खाते को जीरो कर उसमे शेष जमा राशि को वापिस करने को कहा था तो हमने ऐसा कर दिया।अभी फिलहाल इस सत्र मे कोई रूपए नहीं मिला है। वहीं रतनपुर स्कूल के शिक्षक ने बताया कि पहले स्कूल के खाते में पैसे आते थे, अब उस में नहीं आ रहे, अगर कुछ मेंटेनेंस करवाना है तो हम अपनी जेब से रूपए लगाएंगे, उसके बाद पैसा आता है।



अब समझिए...क्यों बंद किए गए खाते 



सरकारी स्कूलों के खाते बेहद पुराने थे, 21वी सदी में भी आफलाइन मोड पर संचालित हो रहे थे, मतलब उनमें जमा राशि की जानकारी विभाग के पास अपडेट नहीं पहुंच रही थी। विभाग स्कूल संचालन के लिए हर खाते में राशि भेजता था, पर वह पूरी खर्च नहीं हो पाने से खातों में ही जमा रहती थी। नए सत्र के लिए फिर राशि जमा कर दी जाती थी, ऐसे में कई स्कूलों के खातों में जमा राशि कहीं अधिक हो गई थी। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि सभी खातों को बंद कर राशि वापस बुला ली जाए और नए आनलाइन खाते खाले जाएं, जिससे किस खाते में कितनी राशि है इसकी जानकारी मिल सके। यही कारण है कि जून 2021 में प्रदेश के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के खातों को बंद कर राशि सरेंडर करवा ली गई। 



नए खाते खुलने में क्यों आ रही मुश्किलें



वर्तमान में प्रदेश में 59 हजार 41 प्राथमिक और 9 हजार 643 माध्यमिक स्कूल है। इन सभी 68 हजार 684 सरकारी स्कूलों के बैंक खाते समग्र शिक्षा अभियान के तहत दोबारा खोले जाने थे, पर नई व्यवस्था के कारण बैंक इनमें रूचि नहीं ले रही है। दरअसल नई व्यवस्था में अब जितनी जरूरत होगी स्कूल उतनी डिमांड बीआरसी को करेंगे, जिसके बाद बीआरसी डिमांड के अनुसार की खातों में राशि भेजेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैंक 68 हजार 684 जैसी बड़ी संख्या में एक साथ खाते नहीं खोल पा रही है। बैंक का रूचि नहीं लेने का एक कारण यह भी है कि इन खातों में कभी राशि नहीं रहेगी। स्कूल को जब जरूरत होगी तब भी वह विभाग को डिमांड भेजेगा। जैसे ही खाते में पैसा आएगा निकाल लिया जाएगा। मतलब खाता अधिकांश समय जीरो बैलेंस पर रहेगा। 



विकास के बोझ के तले भी शिक्षकों की कमर टूटी



सरकार की योजनाओं एवं विकास कार्यों के गुणगान के लिए 5 फरवरी से निकाली गई विकास यात्रा के लिए शिक्षकों को स्कूलों की रंगाई-पुताई और सजावट का फरमान सुनाया गया था। मुश्किल यह थी कि शैक्षणिक सत्र 2021-2022 में तो जैसे-तैसे राज्य शिक्षा केंद्र ने ब्लॉक स्तर पर बीआरसी के माध्यम से भुगतान करा दिया था, लेकिन शैक्षणिक सत्र 2022-23 में चाक डस्टर तक का इंतजाम अपने पैसों से करने वाले शिक्षकों के सामने यह विकास यात्रा आर्थिक रूप से तोड़ देने वाली रही। 



मंत्री की माने तो कोई समस्या ही नहीं



स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार का कहना है कि कोई खाते बंद नहीं किए गए हैं। स्कूलों को खर्च करने की स्वतंत्रता है। वो बिल लगाएंगे, ट्रेजरी से उनके बिल पास होने वाले हैं। किसी स्कूल के खाते बंद नहीं किए है। एक व्यवस्था बनाई गई है, उस व्यवस्था से सबका काम हो रहा है। वहीं भोपाल डीपीसी डॉ सीमा गुप्ता का कहना है कि सभी स्कूलों को डिगी लॉकर के साथ जोड़ दिया गया है। सभी स्कूलों को पैसा डाल दिया गया है। मतलब जिम्मेदारों का रटारटाया जवाब। जबकि द सूत्र ने पहले ही आपको बताया कि शिक्षक भले ही आनकैमरा कुछ न कह पा रहा हो, लेकिन स्कूल संचालन को लेकर मुश्किलें तो खड़ी हो ही रही है।


Madhya Pradesh News मध्यप्रदेश न्यूज मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग Minister Inder Singh Parmar मंत्री इंदर सिंह परमार Madhya Pradesh School Education Department lack of chalk-duster in schools teachers have to spend out of pocket स्कूलों में चॉक-डस्टर की कमी शिक्षकों को जेब से करना पड़ रहा खर्च