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Ujjain. उज्जैन के विख्यात ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के दरबार में शीघ्र दर्शन के नियम 1 फरवरी से बदलने जा रहे हैं। नए नियमों के लिए सरकार की ओर से राजपत्र में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब महाकालेश्वर मंदिर में केवल चुनिंदा लोगों को ही शीघ्र दर्शन की पात्रता रहेगी। जिनमें साधु-संतों, महंत, महामंडलेश्वर, अखाड़ों के प्रमुख और खास पत्रकारों को ही इस सुविधा का लाभ मिल सकेगा। हालांकि पात्र लोगों के परिजनों को भी इस सुविधा से अपात्र करार दिया गया है।
शासकीय अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों से लिया जाएगा शुल्क
महाकालेश्वर मंदिर में इससे पहले बुजुर्गों समेत अनेक विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों को शीघ्र दर्शन निशुल्क करा दिए जाते थे। उन्हें आम लोगों के साथ लाइन में नहीं लगना पड़ता था। लेकिन महाकालेश्वर मंदिर के प्रबंधन ने बैठक कर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जिनके तहत गर्भगृह में लगने वाली अनावश्यक भीड़ को कम करने के लिए विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ गणमान्य नागरिकों को निशुल्क दर्शन की पात्रता नहीं रहेगी। निशुल्क शीघ्रदर्शन के लिए समिति ने कुछ अर्हताएं तय कर दी हैं, जो इनके दायरे में आएंगे केवल उन्हीं को निशुल्क शीघ्रदर्शन का लाभ मिल पाएगा। यहां तक कि उनके परिजनों को भी व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पाएगा।
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इन्हें दी गई छूट
महाकालेश्वर मंदिर में निशुल्क शीघ्र दर्शन की सुविधा का लाभ साधु-संतों, महामंडलेश्वर, अखाड़ों के प्रमुख, पत्रकारों को ही पात्रता होगी। पत्रकारों में भी केवल उज्जैन शहर के लोकल पत्रकारों के अलावा अन्य जिलों के राज्य स्तरीय अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही पात्रता दी गई है। महाकालेश्वर मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने यह जानकारी दी है।
250 रुपए है शुल्क
महाकालेश्वर मंदिर में शीघ्र दर्शन के लिए प्रति श्रद्धालु 250 रुपए का शुल्क रखा गया है। जिसके जरिए श्रद्धालुओं को शीघ्र गर्भगृह के पास से दर्शन कराए जाते हैं। आम दिनों में सामान्य लाइन में भी आधे घंटे के वक्त में भोलेनाथ के दर्शन हो जाते हैं लेकिन महाशिवरात्रि का पर्व नजदीक है। इस दिन श्रद्धालुओं की काफी लंबी लाइन होती है। प्रबंधन ने इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व पर शीघ्र दर्शन की व्यवस्था को बंद रखा है। अब देखना यह होगा कि ऐसी स्थिति में वीआईपी श्रद्धालु आम लोगों के साथ दर्शन करेंगे या नहीं। बता दें कि भस्म आरती और आम समय में वीवीआईपी लोगों द्वारा मंदिर में प्रवेश को लेकर कई बार नियमों को शिथिल होते देखा गया है।