सागर जेल से 2 महीने बाद रिहा होने के बाद सोशल एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय बोले- शिवराज सरकार आदिवासी विरोधी, झूठे मामले में जेल भेजा

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Rahul Garhwal
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सागर जेल से 2 महीने बाद रिहा होने के बाद सोशल एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय बोले- शिवराज सरकार आदिवासी विरोधी, झूठे मामले में जेल भेजा

SAGAR. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सागर जेल से रिहा हुए सोशल एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय ने मीडिया के सामने शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा। आनंद ने कहा कि मेरे खिलाफ शिवराज सिंह ने झूठा मामला दर्ज करवाया, सीएम शिवराज सिंह आदिवासी विरोधी हैं। हम सांसद से आदिवासियों की जमीन को लेकर चर्चा करने जा रहे थे जिसके बाद उन्होंने झूठा मामला दर्ज करवाया।



जेल से रिहा होने के बाद बोले आनंद राय



सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सागर जेल से रिहा हुए डॉक्टर आनंद राय ने मीडिया के सामने सीएम शिवराज सिंह पर जमकर निशाना साधा। आनंद ने कहा कि 'मेरे खिलाफ शिवराज सिंह ने झूठे मामला दर्ज करवाया, सीएम शिवराज सिंह आदिवासी विरोधी है, सांसद से आदिवासियों की जमीन को लेकर चर्चा करने जा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने झूठा मामला दर्ज करवाया गया, एट्रोसिटी एक्ट में मामला दर्ज करवा कर एक करोड़ रुपए देकर मेरी जमानत के विरोध में सॉलिसीटर जनरल को खड़ा किया, क्या मैं राष्ट्र का विरोधी हूं मेरा गुनाह क्या है, मैंने शिवराज सरकार और उनके मंत्रियों के खिलाफ आवाज उठाई तो मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया।' आनंद राय ने कहा कि 'मैं घटनास्थल पर नहीं थो कोई पथराव नहीं हुआ झूठा मामला दर्ज किया गया, हम लोगों को उलझाने के लिए एक आदिवासी को भड़का कर मामला दर्ज करवाया गया, आदिवासियों की जमीन छीनने की साजिश को हम पूरा नहीं होने देंगे'



डॉ. आनंद राय को 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से मिली थी जमानत



सोशल एक्टिविस्ट और जयस (जय युवा आदिवासी संगठन) नेता डॉ. आनंद राय को 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। उन पर झाबुआ-रतलाम विधायक जीएस डामोर की शिकायत के बाद केस दर्ज हुआ था। राय पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत आरोप थे। मामला सांसद गुमान सिंह डामोर के वाहन पर हमले से जुड़ा है। इस केस में डॉ. आनंद राय 15 नवंबर से जेल में बंद थे।



नियम-शर्तों के आधार पर मिली जमानत



चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने ट्रायल कोर्ट की नियम-शर्तों के आधार पर जमानत दी थी। इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने राय की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने आनंद राय की ओर से पैरवी की जबकि याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सुमीर सोढ़ी ने दाखिल की थी।



इंदौर हाईकोर्ट ने नहीं दी थी जमानत



डॉ. आनंद राय ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत कोई स्पष्ट आरोप नहीं है। इसके बाद भी राजनीतिक द्वेष की वजह से यह केस दर्ज हुआ और गिरफ्तार किया गया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 12 दिसंबर को जमानत देने से इनकार कर दिया था। याचिका में आरोप लगाया था कि सरकार और अधिकारी व्यापमं घोटाले को उजागर करने का बदला ले रहे हैं और झूठा केस दर्ज किया गया।



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आनंद राय के खिलाफ रतलाम में दर्ज हुआ था मामला



रतलाम के बिलपांक में विकास पारगी ने आईपीसी की धारा 294, 341, 353, 332, 146, 147, 336, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1) (डी), 3(1) (एस) और 3(2) (ए) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर 15 नवंबर 2022 को FIR हुई थी। आरोप था कि बिरसा मुंडा जयंती समारोह से लौटते समय विकास पारगी, सांसद डामोर, विधायक और कलेक्टर के काफिले में पीछे थे। उन्हें जयस के कुछ कार्यकर्ताओं ने रोका और पथराव किया। इस वजह से कलेक्टर के गनमैन को चोटें आई थी। शिकायत में आनंद राय समेत 40-50 हमलावरों का नाम दर्ज था।


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