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Jabalpur. जबलपुर में आर्मी प्रशासन ने वन विभाग और एसएफआरआई के विज्ञानियों को सैन्य क्षेत्र में ट्रैप कैमरे लगाने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति मिलने के बाद रिसर्च टीम ने कई स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाने का काम कर रहा है। तेंदुओं की आवाजाही के क्षेत्र में लगने वाले इन कैमरों की मदद से एसएफआरआई तेंदुओं की बसाहट को लेकर जो शोध कर रहा है, वह जल्द से जल्द पूरा होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस शोध के पूरे होने पर कई रोचक जानकारियां सामने आ सकती हैं।
बता दें कि तेंदुओं के जबलपुर शहरी क्षेत्र में रहन-सहन और शहरी इलाकों में बढ़ते मूवमेंट को लेकर एसएफआरआई के विज्ञानी डॉ अनिरुद्ध मजूमदार और उनकी टीम ने रिसर्च शुरू की थी। इंदौर और जबलपुर के कई स्थानों को रिसर्च के लिए चुना गया था। इंदौर में काम पूरा करने के बाद रिसर्च टीम ने जबलपुर में काम शुरू किया था। जिसके तहत डुमना, ठाकुरताल और आर्मी एरिया में ट्रैप कैमरे लगाए जाने थे।
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शोध के लिए डुमना और ठाकुरताल में तो कैमरे लगा दिए गए थे, लेकिन आर्मी एरिया में अनुमति न मिलने के कारण काम अटका हुआ था। जिसको लेकर वन विभाग, एसएफआरआई के अधिकारियों ने मिलिट्री प्रशासन से पत्राचार करने के साथ-साथ व्यक्तिगत तौर पर भी मुलाकातें की थीं। कई बार बैठकों के बाद आर्मी एरिया में उन स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाने की अनुमति मिल गई है जहां तेंदुओं का मूवमेंट पाया जाता है।
लगातार बढ़ी है तेंदुओं की आवाजाही
बीते कुछ सालों में जबलपुर के शहरी क्षेत्रों में तेंदुओं को घूमते देखा गया है। कई बार तो इन क्षेत्रों से लगी कॉलोनियों के लोग दहशत में भी आ गए। लोगों ने इस डर से पालतू जानवर पालने भी छोड़ दिए हैं। वहीं इन क्षेत्रों के लोगों ने छोटे बच्चों को भी विशेष ताकीद दी है कि वे रात के अंधेरे में सड़क पर न घूमें और सुनसान इलाके और झाड़ियों के पास न जाएं।