हत्या का मोटिव या दुश्मनी स्थापित न हो तो भी ऑथेंटिक मृत्युपूर्व बयान दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त,हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

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Rajeev Upadhyay
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हत्या का मोटिव या दुश्मनी स्थापित न हो तो भी ऑथेंटिक मृत्युपूर्व बयान दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त,हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में मकसद को लेकर अहम नजीर पेश करने वाला फैसला दिया है। जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि यह सामान्य बात है कि प्रत्यक्ष साक्ष्य के हर मामले में मकसद या शत्रुता स्थापित करना जरूरी नहीं है। विश्वसनीय मृत्युपूर्व बयान दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त आधार है। अदालत ने इस आधार पर हत्या के मामले में दोषसिद्ध पाए गए अभियुक्तों की याचिका खारिज कर दी। 



यह है मामला



छतरपुर जिले के घुवारा निवासी गजाधर पर केरोसिन डालकर उसे जिंदा जला दिया गया था। बाद में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मृत्युपूर्व डॉक्टरों द्वारा उसे बयान देने के लिए फिट बताए जाने पर उसके कथन लिए गए थे, जिसमें उसने आरोपियों के नाम बताए थे। मृतक के मृत्युपूर्व बयान के आधार पर ही दीनदयाल और अन्य को दोषी पाया गया था। जिसके बाद दीनदयाल और राजेश ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सजा निरस्त करने की मांग की थी। 



अपीलकर्ता की ओर से अदालत में तर्क दिया गया कि मृतक द्वारा मृत्युपूर्व बयान विश्वसनीय नहीं था। वहीं अपीलकर्ताओं की ओर से कोई मकसद या शत्रुता स्थापित नहीं की गई थी। तमाम दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुना दिया।


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