MP में मीटर से क्यों नहीं चलते ऑटो रिक्शा: RTO ने 4 साल से नहीं किए रेट रिवाइज

author-image
Pooja Kumari
एडिट
New Update
MP में मीटर से क्यों नहीं चलते ऑटो रिक्शा: RTO ने 4 साल से नहीं किए रेट रिवाइज

भोपाल. हाईकोर्ट के सीधे और स्पष्ट निर्देश के बाद भी प्रदेश के चार बड़े शहरों में चलने वाले करीब 65 हजार ऑटो रिक्शॉ (Auto rickshaw) चालक मीटर से चलने को राजी नहीं है। हालत यह है कि इस बारे में हाईकोर्ट में सरकार की ओर से हलफनामा दायर करने पर भी परिवहन विभाग (Transport department) ऑटो चालकों को मीटर से चलने के नियम का पालन नहीं करा पा रहा है। द सूत्र ने इसकी वजह जानने के लिए पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। दरअसल परिवहन विभाग ने ऑटो रिक्शॉ के मीटर की दरें सालों से रिवाइज (auto rickshaw meter rate list revise) नहीं की है जबकि पेट्रोल के दाम डेढ़ गुना तक बढ़ गए हैं। यही वजह है कि ऑटो चालक ओला (18 रु. प्रति किमी) से चलने को तो तैयार हो जाते हैं लेकिन मीटर (13 रु.प्रति किमी) से नहीं।



आपको बता दें कि 7 दिसंबर 2021 को जबलपुर हाईकोर्ट (jabalpur highcourt on rickshaw) की फटकार के बाद पूरे प्रदेश में ऑटो चालकों के खिलाफ सख्ती बरती गई। परिवहन विभाग ने बगैर परमिट और मीटर के चलने वाले ऑटो रिक्शॉ को जब्त करने की कार्रवाई शुरू की। नतीजा यह हुआ कि फिटनेस, मीटर और परमिट के लिए आरटीओ और नापतौल विभाग (Measurement department) के कार्यालयों में ऑटो रिक्शॉ की लंबी कतारें लग गई। चंद दिनों में हजारों ऑटो चालकों ने मीटर सही करा लिए और नापतौल विभाग से सील लगवाकर आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट और परमिट भी हासिल कर लिया। लेकिन ये सारी कार्रवाई कागजी ही साबित हुई क्योंकि हाईकोर्ट की मंशा के मुताबिक आम यात्रियों को तो कोई राहत मिली नहीं।  



इसलिए मीटर से नहीं चलते ऑटो चालक: ऑटो रिक्शॉ के मीटर की दरें किलोमीटर के हिसाब से तय की जाती हैं। शहरों में कितने किलोमीटर पर कितना किराया लगेगा यह संभागीय मुख्यालय के सत्र पर क्षेत्रिय परिवहन प्राधिकार (आरटीए) कार्यालय से तय होता है। जैसे अभी भोपाल शहरी सीमा में ऑटो रिक्शॉ के लिए प्रति किलोमीटर 13 रुपए का रेट तय है। परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित इस रेट के मुताबिक नापतौल विभाग का अमला ऑटो रिक्शॉ को पांच किलोमीटर तक चलवा के देखता है कि इस दूरी का मीटर में किराया 65 रुपए आता है तो नापतौल इंस्पेक्टर विभाग की सील लगाकर मीटर को सर्टिफाई कर देता है। यदि मीटर में किराया 65 रुपए से अधिक आता है तो उस ऑटो रिक्शॉ के मीटर (rickshaw fare meter) को अमान्य कर दिया जाता है। भोपाल शहर में अभी करीब 13 हजार, इंदौर में 30 हजार, जबलपुर में करीब 9 हजार और ग्वालियर में करीब 12 हजार ऑटो चल रहे हैं।



किस शहर में कब तय हुआ ऑटो रिक्शॉ का किराया 



1. जबलपुर में ऑटो किराए की दर पिछली बार 2015 में तय की गई थी तब पेट्रोल की कीमत करीब 62 रुपए प्रति लीटर थी। 

2. भोपाल में ऑटो के किराए की दर 2017 में तय की गई थी तब पेट्रोल की कीमत करीब 70 रुपए प्रति लीटर थी।



3. ग्वालियर में 2018 में ऑटो के किराए की दर तय की गई थी। तब पेट्रोल की कीमत 76 रुपए प्रति लीटर थी।

4. इंदौर में 2019 में ऑटो के किराए की दर तय की गई थी तब पेट्रोल की कीमत करीब 72 रुपए प्रति लीटर थी। 



ऑटो चालक परमिट की शर्तें पूरा कर रहे बस: हाई कोर्ट के निर्देश पर पिछले महीने 7 दिसंबर के बाद जब बड़े पैमाने पर ऑटो रिक्शॉ की जांच पड़ताल शुरू हुई तो ऑटो चालकों में हडकंप मचा। वो मीटर में सील लगवाने के लिए नापतौल विभाग के दफ्तर दौड़े। जहां किराए की पुरानी दरों पर ही सील लगा दी गई। यानी दिसंबर 2021 में जब पेट्रोल के दाम करीब 108 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर आ चुके हैं तब मीटर में सील 2015 और 2017 में तय दरों पर लगाई गई। यही वजह हैं कि परमिट की शर्तों को पूरा करने के लिए भले ही ऑटो चालकों ने ऑटो के मीटर चालू करा लिए लेकिन वे सवारी मीटर के हिसाब से नहीं बैठाते। 



ओला ऑटो का 18 रुपए प्रति किलोमीटर: ऐप बेस्ड कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ओला अनुबंधित ऑटो रिक्शॉ (ola auto) के लिए 18 से 20 रुपए प्रति किलोमीटर दर से किराया वसूल रही है। यही वजह हैं कि ऑटो चालक ओला के तय रेट से चलने को तैयार हो जाते हैं लेकिन सरकारी मीटर से नहीं। दूसरी बड़ी वजह है कि ऑनलाइन सर्विस होने की वजह से ऑटो की लोकेशन के आधार पर सवारी मिल जाती हैं जिससे ऑटो रिक्शॉ को दोनों तरफ से सवारी मिल जाती है। ऑटो चालकों को खाली नहीं चलाना पड़ता।



हर साल तय होनी चाहिए ऑटो रिक्शॉ की किराया दर: इंदौर के ऑटो यूनियन के अध्यक्ष राजेश बिडकर का कहना है कि आरटीओ, जिला प्रशासन और ऑटो रिक्शॉ यूनियन के पदाधिकारी मिलकर किराया तय करते हैं। कायदे से समिति की बैठक हर साल होनी चाहिए क्योंकि पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के रेट तो बढ़ते ही हैं। बीते 3 साल से किराया बढ़ा ही नहीं है। जबकि हर साल 10-15 फीसदी किराया बढ़ाए जाने का नियम हैं। दूसरी तरफ हर चीज की कीमत बढ़ी हैं। पेट्रोल, सीएनजी ही नहीं ऑटो पार्ट्स, टायर, बीमा सभी की कीमत बढ़ चुकी है।     



एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं परिवहन अधिकारी: द सूत्र संवाददाता ने जब इस मामले में भोपाल के आरटीओ संजय तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि ऑटो की दरें कमिश्नर के स्तर पर तय की जाती हैं। लिहाजा द सूत्र ने एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अरविंद सक्सेना से संपर्क किया तो उनका कहना है कि ऑटो के किराए की दरें जिला स्तर पर तय की जाती हैं। यानी क्षेत्रीय और प्रदेश स्तर के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। कुल मिलाकर सरकार के सिस्टम में ही गड़बड़ है।


transport department परिवहन विभाग RTO Auto rickshaw auto rickshaw meter auto rickshaw meter rate list revise jabalpur highcourt on rickshaw Measurement department rickshaw fare meter ola auto ऑटो रिक्शा ऑटो रिक्शॉ transport department neligence