Balaghat. अपने पर्चे बनाकर लोगों की समस्याओं का समाधान बताने वाले बहुचर्चित कथावाचक बागेश्वरधाम सरकार पं धीरेंद्र शास्त्री का दरबार फिर चर्चा में हैं। बालाघाट में चल रही वनवासी रामकथा के अंतर्गत लगने वाले दिव्य दरबार में बुरखे में एक युवती अर्जी लगाने पहुंची। युवती बांग्लादेश की नागरिक है उसने बताया कि वह महीनों से यूट्यूब पर शास्त्री की रामकथा देख रही है, युवती ने बागेश्वरधाम के बालाजी सम्मुख पं धीरेंद्र शास्त्री के मार्फत घर वापसी की अर्जी लगाई है। युवती का कहना था कि उसे सनातनी बनना है।
वीजा लेकर आई रामकथा में
युवती जब दिव्य दरबार में बुलाए जाने पर अर्जी लगाने पहुंची तो उसने पं धीरेंद्र शास्त्री से अपनी यह इच्छा बताई। जिस पर पं धीरेंद्र शास्त्री ने युवती से अपने ही अंदाज में सवाल किया कि किसी के दबाव में आकर तो ऐसा नहीं बोल रही हो, जवाब में युवती ने बताया कि वह अपनी मर्जी से बकायदा वीजा लेकर भारत सिर्फ बागेश्वर धाम वालों की रामकथा सुनने और अर्जी लगाने आई है। युवती ने बताया कि उस पर कोई दबाव नहीं है। इस पर धीरेंद्र शास्त्री युवती से कहते हैं कि वह अपने मजहब में रहकर भी सनातन धर्म को स्वीकार कर सकती है। लेकिन युवती ने कहा कि उसकी इच्छा सनातनी बनने की है।
- यह भी पढ़ें
हम किसी धर्म के खिलाफ नहीं है- बागेश्वरधाम सरकार
मंच पर जैसे ही बुरखे में बांग्लादेशी युवती ने कदम रखा तो पं धीरेंद्र शास्त्री ने बकायदा उसका स्वागत किया और कहा कि हम पर यह आरोप लगता रहता है कि हम उपद्रव करवाते हैं, लेकिन हम किसी मजहब के खिलाफ नहीं हैं। ना ही हमें धर्मांतरण पर भरोसा है, हमारी कोई भूमिका नहीं, भूमिका है तो बस राम नाम की। शास्त्री ने कहा कि हां, हमें घरवापसी में भरोसा है। युवती के अर्जी लगाने के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम वादा करते हैं कि आपसे जरूर मिलेंगे, शास्त्री ने आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे को कहा कि युवती से बाद में मुलाकात रखी जाए ताकि उसे सनातम धर्म धारण कराया जा सके।
परिवार को उठानी पड़ सकती है परेशानी
इस दौरान युवती ने यह भी कहा कि मेरे सनातन धर्म को स्वीकार कर लेने से मेरे परिवार को परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं, लेकिन मैं आपके भजनों से प्रेरित होकर यह कदम उठा रही हूं। सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। बता दें कि बालाघाट के परसवाड़ा में दो दिवसीय वनवासी रामकथा का आयोजन हुआ था। इस दो दिवसीय कथा में पं धीरेंद्र शास्त्री ने दोनों दिन अपना दिव्य दरबार लगाया, जिसमें अनेकों अर्जियां लगीं और श्रद्धालुओं का पर्चा बनाया गया।