बैतूल पुलिस का कारनामाः जिन लड़कियों को ढूंढने की वाहवाही DGP से बटोरी, वो अभी भी लापता

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बैतूल पुलिस का कारनामाः जिन लड़कियों को ढूंढने की वाहवाही DGP से बटोरी, वो अभी भी लापता

राहुल शर्मा । भोपाल/बैतूल. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गुम लड़कियों को खोज निकालने वाली बैतूल पुलिस का बड़ा कारनामा सामने आया है। बैतूल पुलिस ने जिन लड़कियों को ढूंढ निकालने का दावा किया है, उनमें से कुछ अब भी नहीं मिली है। वहीं कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं, जो बैतूल पुलिस के दावा करने की तारीख के कई दिनों बाद मिली है। गुम लड़कियों को खोज निकालने के उत्कृष्ट व सराहनीय कार्य के लिए बैतूल पुलिस को पहला स्थान भी मिला है। 15 जुलाई 2021 को महिला अपराध की समीक्षा बैठक में डीजीपी विवेक जौहरी ने इसके लिए बैतूल एसपी सिमाला प्रसाद की जमकर तारीफ भी की थी। सवाल यह खड़ा होता है कि वाहवाही हासिल करने के लिए पुलिस ऐसी झूठी जानकारी का इस्तेमाल क्यों कर रही है। क्या डीजीपी को भी सही जानकारी नहीं दी जा रही है। यदि आंकड़े ही सही नहीं होंगे तो नाबालिग बच्चों के गुम होने जैसे केसों की रोकथाम के लिए पुलिस कैसे रणनीति बना पाएगी?

जानें पूरा मामला

बैतूल पुलिस की ओर से जानकारी दी गई कि गुम 124 लड़कियों में से 15 जुलाई 2021 तक 121 लड़कियों को खोज निकाला गया। 15 जुलाई 2021 को महिला अपराध की समीक्षा बैठक के लिए यही डेटा बैतूल पुलिस की ओर से शेयर किया गया था। चूंकि गुम लड़कियों को खोज निकालने के आंकड़ों में बैतूल पुलिस सबसे आगे थी, इसलिए डीजीपी विवेक जौहरी से बैतूल एसपी सिमाला प्रसाद की तारीफ करते हुए बैतूल को पहला स्थान दिया। 

द सूत्र की टीम ने की पड़ताल

मामले की सच्चाई जानने द सूत्र की टीम भोपाल से 200 किमी दूर बैतूल पहुंची। पुलिस द्वारा खोज ली गई 121 लड़कियों की सूची उपलब्ध नहीं कराने पर गुम तीन लड़कियों की जानकारी ली, मतलब इन्हें छोड़कर पुलिस पोर्टल पर दर्ज शेष सभी 121 लड़कियां बरामद कर ली गई थी। द सूत्र ने इसके लिए बैतूल बाजार थाना क्षेत्र के कोलगांव और सुहागपुर में जाकर पड़ताल की, तब मामले की सच्चाई सामने आई। 

हमारा स्पष्टीकरण

मामला नाबलिग लड़कियां से जुड़ा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए द सूत्र खबर में इन लड़कियों की वास्तविक पहचान छुपा रहा है। खबर में दिए जा रहे लड़कियों के नाम परिवर्तित हैं, वहीं परिवारजनों के नाम नहीं दिए जा रहे हैं। द सूत्र के पास ग्राउंड रिपोर्ट के वास्तविक फुटेज उपलब्ध हैं।

यह है गुम लड़कियों का सच

पहला मामला कोलगांव की शिवा कुमारी का है। इस केस की स्थिति यह है कि शिवा कुमारी अपनी मौसी के घर कोलगांव मेहमानी के लिए आई थी। यहीं से वह 31 मार्च 2021 को गायब हुई थी, जो अभी तक लापता ही है। अब सवाल यह उठता है कि शिवा कुमारी जब अब तक नहीं मिली है तो पुलिस द्वारा दी गई गुम लड़कियों में उसका नाम क्यों नहीं है? वहीं लड़की की मां, मौसी और मौसा का कहना है कि शिवा अब तक नहीं मिली है। पुलिस इधर-उधर होने का अंदेशा जता रही है। पर अब तक ठीक-ठीक तरीके से शिवा की कोई जानकारी नहीं है।

दूसरा मामला सुहागपुर का

लड़की रानी के भाई के मुताबिक पुलिस को रानी की जानकारी 25 जुलाई को मिली। 1 अगस्त को वह उसे लेने तेलंगाना गए और 3 अगस्त को वापस लौटे। अब सवाल उठता है कि रानी की जानकारी जब 25 जुलाई को मिली तो दस दिन पहले 15 जुलाई को मिलने की उसकी भविष्यवाणी किस आधार पर हुई? वहीं रानी की मां ने बताया कि पुलिस के साथ उसके बेटे ने अपनी बहन की खोज की। भाई ने कहा कि 25 जुलाई से पहले रानी के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी कि वह कहां है।

पोर्टल पर दर्ज है ये जानकारी 

पुलिस पोर्टल पर दर्ज गुम इंसान की जानकारी को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। मध्यप्रदेश पुलिस के ऑफिशियल पोर्टल पर बैतूल जिले के बीते एक साल की गुम इंसान की स्थिति देंखे तो यह 351 में से 351 ही लापता बता रहा है। जबकि बैतूल एसपी सिमाला प्रसाद के अनुसार पुलिस के बहुत सारे पोर्टल हैं, इसलिए कौन से पोर्टल की बात की जा रही है, इसकी जानकारी लेने के बाद ही वे बता पाएंगी। हालांकि बाद में एसपी ऑफिस से जानकारी दी गई कि नेशनल ट्रेकिंग सिस्टम पर गुम इंसान और खोज लिए गए लापता लोगों की जानकारी बैतूल पुलिस की ओर से अपडेट कर दी गई है, जिसे आम व्यक्ति नहीं देख सकता है। इधर पुलिस मुख्यालय के एक सूत्र के अनुसार यदि जिला मुख्यालय से कोई जानकारी अपडेट की गई है तो वह पोर्टल पर अपडेट ही शो होगी।  

रेंडम जांच कराना चाहिए 

रिटायर्ड डीआईजी डॉ. जीके पाठक ने बताया कि कई बार थानों से एसपी को सही जानकारी नहीं दी जाती है। कई बार ऐसा होता है कि पुलिस को पता चल गया कि बच्ची किसी शहर में है तो वह उसकी बरामदगी दिखा देती है जो गलत है। पेरेंट्स को सौंपने के बाद बरामदगी दिखाना चाहिए। जब तक आप बच्ची को बरामद करेंगे तब तक उसके साथ रेप, हत्या जैसी वारदात भी हो सकती है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा 121 में से 20 मामलों की रेंडम जांच कराना चाहिए और यदि इसमें ऐसे मामले आते हैं कि बच्ची अभी नहीं मिली है और उसे मिलना बताया गया है तो फिर यह चीटिंग है, ऐसे में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए।

पुलिस मुख्यालय से जवाब नहीं

मामले में पुलिस का पक्ष जानने डीजीपी विवेक जौहरी और महिला अपराध सेल की एडीजी प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव को कई कॉल किए गए। उन्हें मैसेज भी किया पर कहीं कोई रिप्लाई नहीं आया।

बैतूल पुलिस ने कही ये बात

पहली बार जब एसपी सिमाला प्रसाद से बात हुई तो वे बोली, यह शिवा, परिवर्तित नाम मिल तो गई होगी, मैं डिटेल नोट कर आपको बताती हूं। उधर, बैतूल महिला सेल की डीएसपी पल्लवी गौर का दावा है कि हमने 15 जुलाई तक 124 में से 121 बच्चियों को खोज निकाला है। जो 3 बच्चियां रह गई हैं उन्हें भी जल्द खोज लिया जाएगा। दूसरी बार जब एसपी सिमाला प्रसाद को फोन लगाया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। इसके बाद उन्हें वाटसएप पर मैसेज भेजा।  सिमाला प्रसााद ने मैसेज के जवाब में बताया कि शिवा कुमारी को बचा लिया गया है। उन्होंने यह भी लिखा कि हमें पता है आपने लड़की की मौसी का इंटरव्यू लिया है। आप उनकी मां से बात करिए उन्हें पता है लड़की मिल गई है। उसका जनक के साथ अफेयर था। अब दोनों शादीशुदा हैं और साथ रह रहे हैं। कृपया माता-पिता का साक्षात्कार लें। हमारे पास हर रेस्क्यू के दस्तावेज हैं।  

द सूत्र किसी के प्रभाव में नहीं 

एसपी ने अपने मैसेज में यह भी लिखा कि मैं जानती हूं कि आप किसके प्रभाव में इस तरह की इंक्वायरी कर रहे हैं। तो एसपी साहिबा हम बता दें कि द सूत्र किसी के प्रभाव में नहीं है। आपके कहने पर द सूत्र की टीम ने चिचोलीढाना में रहने वाली शिवा कुमारी की मां से भी संपर्क किया। 

साइन करा लिए पर बेटी नहीं मिली

पुलिस कागज पर कराकर ले गई साइन, बेटी अब तक नहीं मिली। शिवा कुमारी की मां ने बताया कि पुलिस दो दिन से घर पर आ रही है। हमारे फोन लगाने से आधे घंटे पहले ही किसी कागज पर साइन कराकर ले गई है। पुलिस कह रही है कि तुम खुद बेटी को ढूंढो। अब मैं अकेली कहां खोजूं। मेरी बेटी अब तक नहीं मिली है और न ही मुझे उसकी कोई जानकारी है। मैं यह सब बातें किसी के भी दबाव में नहीं कह रही हूं।

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