राहुल शर्मा, BHOPAL. दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी झेल चुके भोपाल में 26 अक्टूबर 2022 को देर शाम एक बड़ा हादसा होने से टल गया। इस खतरे को टालने के लिए जो तरीका अपनाया, उसने एक नए खतरे को जन्म दे दिया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के ईदगाह हिल्स स्थित वॉटर फिल्टर प्लांट में 26 अक्टूबर शाम करीब 5.30 बजे पानी साफ करने के लिए 7 घंटे पहले ही लगाए क्लोरीन सिलेंडर से तेज आवाज के साथ गैस लीक होने लगी। सामान्य से 10 गुना तेजी से रिसाव हुआ। गैस हवा में घुल रही थी, हालात बिगड़ने लगे। आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हुई तो लोग घरों से बाहर सड़कों पर आ गए।
स्थिति को कंट्रोल करने के लिए जिस टैंक में सिलेंडर रखा था, उसमें पानी छोड़ा जाने लगा ताकि मिक्स होने से क्लोरीन गैस का प्रभाव कम हो जाए। पर इस वेस्ट पानी को जिस तरीके से प्लांट से डिस्चार्ज किया। उससे क्लोरीन की अत्याधिक मात्रा भोपाल के बड़े तालाब में मिल गई। वही बड़ा तालाब जो भोपाल की लाइफ लाइन कहा जाता है और इससे लाखों लोगों को पीने का पानी सप्लाई होता है। करीब 150 किलो क्लोरीन गैस बड़े तालाब में पंप हाउस के पास जाकर मिल गई। इससे अब लोगों को आंख, स्कीन और पेट संबंधी रोगों का खतरा मंडराने लगा है, वहीं जलीय जीव जंतु पर भी संकट मंडराने लगा है। बड़ी बात यह है कि प्रशासन इसे घटना मानने को तैयार ही नहीं है। जाहिर सी बात है जब कोई घटना नहीं हुई तो कोई गुनहगार क्यों होगा और जब कोई गुनहगार नहीं तो कार्रवाई करने का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए इस मामले में अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पंप हाउस से 100 मीटर दूर जाकर बड़े तालाब में मिली क्लोरीन गैस
ईदगाह हिल्स के फिल्टर प्लांट से क्लोरीन गैस के प्रभाव को कम करने के लिए उसमें कास्टिक सोडा और पानी मिक्स कर बाहर की ओर छोड़ा गया जो आगे जाकर श्रीनाले में जाकर मिला। श्रीनाला नगर निगम के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से होकर बड़ा तालाब में जाकर मिलता है। मतलब जो क्लोरीन गैस पानी के साथ छोड़ी, वह बड़े तालाब में जाकर मिल गई। इस जगह से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर करबला के पास एक पंप हाउस है। यहां मिले कर्मचारियों के अनुसार इसी पंप हाउस से ईदगाह हिल्स समेत अन्य इलाकों में पानी की सप्लाई होती है। थोड़ी बहुत नहीं, करीब 5 लाख लोगों का यह पंप हाउस पानी की आपूर्ति करता है। क्लोरीन गैस की अत्यधिक मात्रा होने से लोगों के घरों में पहुंचने वाले पानी में कड़वाहट आ गई। ईदगाह हिल्स की महिलाओं ने बताया कि फिलहाल वे इस पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं कर रही हैं।
150 किलो गैस बड़े तालाब में मिला दी
प्लांट में जो सिलेंडर लीक हुआ था, उसमें 900 किलो क्लोरीन गैस थी। पानी को साफ करने के लिए एक दिन में एवरेज 45 किलो गैस यूज होती है। 26 अक्टूबर शाम 5.30 बजे वॉल्व में लीकेज हुआ। शाम 7 बजे से इसके प्रभाव को कम करने कास्टिक सोडा के साथ मिक्स कर पानी के साथ छोड़ा जाने लगा। रात करीब 3 बजे नागदा से आई कंपनी के कर्मचारियों ने सिलेंडर को निकाला। मतलब करीब 8 घंटे तक गैस पानी में मिक्स कर छोड़ी जाती रही। आमतौर पर एक से डेढ़ किलो (PPM) की क्षमता से ही गैस छोड़ते हैं, पर उस समय प्रेशर 10 किलो (PPM) से ज्यादा था। यानी कहा जा सकता है कि शाम 7 बजे से रात 3 बजे तक नाले से बड़े तालाब में जो गैस छोड़ी गई वह करीब 150 किलो के आसपास रही होगी, जो किसी वाटर बॉडी के लिए बहुत बड़ी मात्रा है।
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पानी का रंग हुआ हरा, किनारे पर मछली भी मरी मिली
द सूत्र ने जब इस मामले की पड़ताल शुरू की, तब ईदगाह हिल्स के फिल्टर प्लांट, वीआईपी रोड के साइड में बने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और श्रीनाले के पास बड़े तालाब की ओर का पानी का रंग हरा मिला। बड़े तालाब में जिस जगह श्रीनाला आकर मिलता है, वहां किनारे की ओर कई छोटी मछलियां मरी मिली। यहां मछली पकड़ने वाले एक युवक ने बताया कि कुछ समय पहले ही मशीन से तालाब की सफाई हुई थी, वरना मरी मछलियां ज्यादा संख्या में होतीं। द सूत्र इस बात की कतई पुषिटी नहीं करता कि जो मछलियां मरी हुई मिलीं, उसका कारण पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा ही हो, लेकिन इस संभावना को सिरे से दरकिनार भी नहीं किया जा सकता। कम से कम जिम्मेदारों को इसकी जांच करना चाहिए, क्योंकि इसी इलाके से कुछ लोग मछली पकड़कर बाजारों में बेचते हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ पर भी खतरा बना हुआ है।
प्रशासन इसे घटना मानने को ही तैयार नहीं
26 अक्टूबर की रात 12.30 बजे मौके पर मोर्चा संभाले शाहजहांनाबाद टीआई की हालत गैस रिसाव की वजह से बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें हमीदिया अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया। छह अन्य लोगों को भी भर्ती किया गया। प्राथमिक उपचार करने के बाद एक घंटे में उनकी छुट्टी कर दी गई। दो बच्चे बेहोश हो गए। दर्जनों को सांस लेने में दिक्कत हुई। इस गैस का मदर इंडिया कॉलोनी के 400 लोगों पर असर हुआ। पर प्रशासन इसे घटना मानने को तैयार ही नहीं। घटना के वक्त कलेक्टर द्वारा दिया गया बयान प्रशासनिक गंभीरता को बताने के लिए काफी है। कलेक्टर अविनाश लवानिया के अनुसार, क्लोरीन गैस पानी में डालने के बाद किसी तरह से हार्मफुल नहीं रहती। जाहिर सी बात है जब प्रशासन इसे गंभीर घटना मान ही नहीं रहा तो फिर जांच या कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता। घटना के समय और अब बड़े तालाब में क्लोरीन अत्याधिक मात्रा में मिल जाने से घटना के बाद लोगों को होने वाले संभावित खतरे से किसी को कोई लेना देना नहीं है।
20 साल की युवती के लंग्स स्पेम, झुलस गए पेड़
कलेक्टर भले ही इसे सामान्य घटना मानें, पर हकीकत में ईदगाह हिल्स पर अब तक इस घटना का प्रभाव है और कितने समय तक रहेगा कहा नहीं जा सकता। क्योंकि जिस प्लांट से यहां पानी की सप्लाई हो रही है, वहीं बड़े तालाब में अत्यधिक मात्रा में क्लोरीन मिलाई गई। यहां रहने वाली डॉ. ज्योति चंदानी ने बताया कि उनकी बेटी (20 वर्षीय कृतिका) के लंग्स स्पेम हो गए। उसे स्टेरॉयड के इंजेक्शन देने पड़े, तब जाकर उसी हालत स्थिर हुई। अंजना नेमा ने बताया कि उनके बेटे को सांस लेने में तकलीफ हुई। अब तक उसे सर्दी और गले में जलन की शिकायत है। अंजना ने कहा कि प्रशासन की नजर में हमारी जिंदगी की कोई कीमत नहीं। यहां आसपास के इलाके में लगे पेड़ भी गैस के प्रभाव के कारण झुलस गए हैं।
जिम्मेदार एजेंसियां और उनकी लापरवाही...
जिम्मेदार 1 : नगर निगम भोपाल
- घटना को लेकर नजरिया : महापौर मालती राय ने कहा कि मेरे हिसाब से मछलियां क्लोरीन से नहीं मर सकती।
जिम्मेदार 2 : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- घटना को लेकर नजरिया : रीजनल आफिसर बृजेश शर्मा यह तो मानते हैं कि वॉटर बॉडी में केमिकल नहीं छोड़ा जाना चाहिए था, पर उन्हें घटना की जानकारी ही नहीं।
जिम्मेदार 3 : भोज वैटलैंड अथॉरिटी
- घटना को लेकर नजरिया : भोज वैटलैंड अथॉरिटी के प्रभारी लोकेंद्र ठक्कर से बात करने के लिए पहले पीएस से लिखित अनुमति लाने के लिए कहा जाता है।
बड़ा सवाल- हवा में मिल रही थी गैस तो रोकने का क्या था विकल्प?
इस पूरे घटनाक्रम में एक सवाल जरूर उठता है कि हवा में गैस फैल रही थी तो उसे रोकने का उपाय क्या था। पर्यावरणविद के अनुसार इसके लिए दो तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। स्प्रिंकलर से लगातार बौछार की जाती। ठंड का समय होने से गैस हवा में वैसे ही बहुत ज्यादा उपर नहीं जाती, ऐसे में बौछार से यह वहीं नीचे ही दबी रहती। दूसरा गैस को पानी में मिक्स करना ठीक था, लेकिन उसे वहीं किसी टैंक या डक्ट में इकट्ठा करके रखना था। पानी की जांच करते और उसे वॉटर बॉडी से दूर कहीं जाकर डिस्चार्ज कर देते। लेकिन ऐसी वॉटर बॉडी जो रामसर साइट घोषित है और उपर से उसका उपयोग लाखों लोग पीने के पानी के लिए करते हैं, उसमें किलो से क्लोरीन गैस मिलाकर उसे एसिड जितना खतरनाक बना देना अमानवीय और गैरकानूनी है।
वॉटर एक्ट 1974 और विभाग के आदेश का उल्लंघन
वॉटर एक्ट 1974 और 16 मार्च 2022 को पर्यावरण विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, किसी वॉटर बाडी और बड़े तालाब में किसी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जा सकता। पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमेन अनिरुद्ध मुखर्जी ने भी इस बात की पुष्टि की। पर्यावरणविद सुभाष पांडे के अनुसार, इसमें जुर्माने का प्रावधान है। नगर निगम के जलकार्य शाखा के सुपरिंटेंडेंट उदित गर्ग स्वयं यह स्वीकार कर चुके हैं कि क्लोरीन गैस को पानी में मिक्स कर बड़े तालाब में मिलाया गया। इसके बावजूद कहीं कोई कार्रवाई नही। कारण सिर्फ एक- इस गुनाह का कोई गुनहगार ही नहीं है।