Bhopal. भोपाल से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसा एक ऐतिहासिक गांव जो कल तक इस्लाम नगर के नाम से जाना जाता था, अब उसका नाम जगदीशपुर हो गया है। केंद्र सरकार ने इसके नाम परिवर्तन को हरी झंडी दे दी थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने राजपत्र में अधिसूचना जारी करते हुए इसका नाम जगदीशपुर कर दिया है।
इस तरह बदला था 17वीं सदी में नाम
जगदीशपुर का नाम बदले जाने की कहानी खून से सनी है। मुगल बादशाह आलमगीर (औरंगजेब) का एक भगोड़ा सैनिक था दोस्त मोहम्मद खान जिसने 308 साल पहले जगदीशपुर का नाम बदलकर इस्लाम नगर रखा था। जिसका नाम बदलने के लिए 30 साल से कवायद चल रही थी। अफगानिस्तान के तीराह का बाशिंदा दोस्त मोहम्मद 1696 में उत्तर प्रदेश के जलालाबाद पहुंचा, वह इतना क्रूर और क्रोधी था कि छोटी सी बात पर हुए एक झगड़े में उसने उसे शरण देने वाले जलाल खान के दामाद का सरेआम कत्ल कर दिया था। जलालाबाद में कत्ल करने के बाद वह भागता हुआ दिल्ली पहुंच गया और मुगल सेना में भर्ती हो गया।
मराठों से जंग के दौरान दोस्त मोहम्मद मालवा आ गया। यहां उसने अपने हथियार विदिशा के सूबेदार मोहम्मद फारुख के पास जमा कर दिए और मामूली झगड़े के बाद उसे भी मौत के घाट उतार दिया। वहां से भागकर वह मंगलगढ़ के महाराजा के पास पनाह मांगने पहुंचा, जहां उसे पनाह भी मिल गई। मंगलगढ़ के महाराज की मौत के बाद उसने मंगलगढ़ को भी लूट लिया और बैरसिया आ गया।
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बैरसिया में उसने यहां के सूबेदार से बैरसिया को लीज पर लिया और बाद में अपनी फितरत के मुताबिक धोखे से बैरसिया पर पूर्ण कब्जा जमा लिया था। इसके बाद उसने जगदीश पुर को अपना निशाना बनाया। जो कि कभी गोंड राजा संग्राम शाह के बावन गढ़ों में से एक हुआ करता था। यहां आक्रमण करने पर दोस्त मोहम्मद को सफलता नहीं मिली। जिसके बाद उसने एक और कूटनीति चली।
दोस्त मोहम्मद खान ने राजपूत शासक देवरा चौहान को बेस नदी के किनारे सहभोज के लिए निमंत्रित किया। जब सभी देवरा चौहान समेत राजपूत मेहमान भोज का आनंद उठा रहे थे, तभी दोस्त मोहम्मद के सैनिकों ने तम्बू की रस्सियां काट दी और सभी राजपूतों को कत्ल कर दिया गया। कहते हैं कि इतना खून बहा कि नदी का पानी लाल हो गया था और तभी से यह नदी हलाली के नाम से जानी जाने लगी। इस तरह धोखे से जगदीशपुर पर दोस्त मोहम्मद ने कब्जा कर लिया और उसका नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया।
फिल्मों की भी हो चुकी है शूटिंग
जगदीशपुर में कई छोटी-बड़ी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। ऐतिहासिक धरोहरों के चलते बॉलीवुड को यह इलाका काफी रास आता है। सबसे चर्चित फिल्म भूमि पेडनेकर की दुर्गामति रही। जिसकी ज्यादातर शूटिंग यहां हुई है। फिल्म के पोस्टर में भूमि को जहां बैठा दिखाया गया है वह गोंड महल का मुख्य द्वार है।