bhopal.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को जम्मू काश्मीर के सांबा जिले में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भोपाल जिला पंचायत को सम्मानित करेंगे। भोपाल जिला पंचायत के ग्रामीण क्षेत्रों में दो साल के दौरान बेहतर काम की वजह से यह सम्मान दिया जा रहा है। इन कामों में स्वच्छता भी शामिल है। जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायतें 100 फीसदी स्वच्छ घोषित हो चुकी है। सच्चाई का पता लगाने द सूत्र ने 2 पंचायतों में जाकर स्वच्छता के हाल जाने। आपको जानकार हैरानी होगी कि भोपाल से 15 से 20 किमी की दूरी पर स्थित इन पंचायतों में स्वच्छता के हाल बेहाल है। द सूत्र की टीम पहले पहुंची पडरिया पंचायत जो पहले नरोला सांकल पंचायत में शामिल थी। यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है। पडरिया में नालियां चौक है। जगह—जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं, वहीं सड़कों पर भी नाले का पानी जमा है, जिनको लंबे समय से साफ नहीं किया गया। नतीजा सड़क पर ही मच्छर—मख्खी पैदा हो रहे हैं। वहीं आदमपुर स्थित कचरा खंती से परेशान होकर कोलुआ खुर्द पंचायत के लोग वहां से पलायन को मजबूर है।
खंती के कारण नहीं हो पा रही गांव के युवाओं की शादी
जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायतें स्वच्छ घोषित हो चुकी है, पर यह कैसे मापदण्ड हैं कि आदमपुर खंती के कारण गांव में जो गंदगी हो रही है, उससे लोग गांव से पलायन करने को मजबूर है, गांव में युवाओं की शादियों तक में अड़चन आ रही है, पर पंचायत स्वच्छ है। पडरिया के बालमुकुंद बताते हैं कि गांव के पास कचरा खंती है। जिसके कारण बारिश में गंदा पानी बहकर गांव आ जाता है। बदबू और गंदे पानी की वजह से कोई अपनी लड़की इस गांव को नहीं देना चाहता। वहीं इस खंती की वजह से कोलुआ खुर्द के लोग भी परेशान है। कोलुआ के भगवान सिंह पलायन की बात स्वीकार करते हैं। वे बताते हैं कि यहां जिससे भी पूछो वह यही बात कहता है कि घर बेंचकर यहां से निकलेंगे।
इन पैरामीटर्स पर भोपाल जिला पंचायत को मिल रहा है सम्मान...
— सभी पंचायतों को स्वच्छ घोषित किया गया है।
— नल-जल योजना का संधारण महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है।
— दीदी कैफे ने जिला पंचायत भोपाल को पूरे देश में पहचान दिलाई।
— ग्रामीण क्षेत्रों में 100 फीसदी वैक्सीनेशन भी हुआ है।
आधे नलों में पानी नहीं तो आधे में आ रहा गंदा पानी
स्वच्छता के बाद द सूत्र की टीम नलजल योजना की हकीकत जानने फंदा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली बिलखिरिया कला पंचायत पहुंची। यहां जल जीवन मिशन के अंतर्गत नलजल योजना के तहत 75.84 लाख की लागत से 378 घरों में नल लगाए। पानी की सप्लाई के लिए 75 हजार लीटर क्षमता की एक टंकी बनाई और पानी सप्लाई के लिए 2 किमी पाइप लाइन बिछाई। मेंटेनेंस के लिए महिला स्वसहायता समूह को जिम्मेदारी भी दी गई, पर फिर इस योजना का हुआ क्या अब हम आपको वो बताते हैं। गुड्डू कुशवाह ने बताया कि सड़क के एक ओर पानी आता है, लेकिन दूसरी ओर पानी नहीं आता। मतलब आधे नल ऐसे हैं जिनमें पानी ही नहीं आता। वहीं गांव की ही गुलाब बाई बताती हैं कि उनके क्षेत्र में जहां पानी आ रहा है, वह लाल रंग का गंदा पानी है। करण साहू ने बताया कि पानी गंदा आने से लोग इसका उपयोग नहीं करते, लोग अपनी जरूरत का पानी दूसरों के घरों में लगे ट्यूबवेल और हैंडपंप से लाते हैं। ग्राम पंचायत सचिव बालमुकुंद शर्मा भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि पानी गंदा आ रहा है और कई क्षेत्र में पहुंच भी नहीं रहा। इससे महिला स्वसहायता समूह की महिला सदस्य को जल कर वसूलने में भी दिक्कत होती है। लोगों ने 4—4 महीने से पैसे ही नहीं दिए। यानी योजना पूरी तरह फेल है और शुरू होने के छह महीने बाद ही यह बंद होने की स्थिति पर आ गई है।
दीदी कैफे को जगह मिले तो और बेहतर हो सकती है व्यवस्था
यह बात सही है कि दीदी कैफे ने भोपाल को देशभर में पहचान दिलाई है। यहां की संचालिका भी इस बात को स्वीकार करती है कि जिला पंचायत के अधिकारी उन्हें पूरी मदद करते हैं, लेकिन यदि उन्हें एक व्यवस्थित जगह मिल जाए तो वह और बेहतर कर सकती है। अभी दीदी कैफे एक शेड के नीचे ठेले पर चल रहा है। एक कमरे में छोटी सी जगह पर फ्रिज और खाने पीने का सामान भर रखा है।
जिम्मेदारों का ऐसा रवैया : एसीईओ बोले— जिसने सोशल मीडिया पर डाला उसी से पूछो
जिला पंचायत के एसीईओ यानी अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरके वर्मा से जब द सूत्र ने पडरिया में गंदगी को लेकर सवाल पूछा तो पहले तो उन्होंने कहा कि यह किसने कहा कि स्वच्छता के कारण सम्मान हो रहा है जिसने बताया उन्हीं से पूछो जब उन्हे बताया कि यह तो सोशल मीडिया पर ही विभाग की ओर से आया है तब उन्होंने कहा कि सफाई होती है तो फिर गंदगी हो जाती है, फिर भी इसे दिखवा लेते हैं। इसी तरह नलजल योजना को लेकर भी रूखा सा जवाब ही मिला।