BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे मतदाताओं को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी हर घोड़े पर दांव लगाने में जुटे हैं। कोशिश यही है कि कोई घर खाली ना रह जाए। बल्कि ये कहना ज्यादा सही होगा कि चुनाव की घोषणा के 7 महीने पहले बीजेपी पूरी तरह रेवड़ी कल्चर को अपनाती दिख रही है, भले ही वो इसके लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की आलोचना करे।
बीजेपी का नया चुनावी दांव
राज्य में पहले आदिवासी, फिर महिला और अब युवाओं को साधने का नया चुनावी दांव चला जा रहा है। जिस तेजी से मुख्यमंत्री समाज के हर वर्ग और समुदाय के लिए प्रसाद बांट रहे हैं, उसके मुकाबले प्रतिपक्षी कांग्रेस पीछे छूटती नजर आ रही है। उसकी प्राथमिकता फिलहाल राहुल गांधी को बचाना ज्यादा है। इस अर्थ में वो बीजेपी के चक्रव्यूह में ही उलझी दिख रही है, दूसरी तरफ 'आम आदमी पार्टी' में अभी संगठनात्मक बदलाव का दौर चल रहा है। उसके चुनावी घोषणा पत्र का इंतजार है, जबकि बसपा अभी चुनावी अंगड़ाई ही ले रही है।
बीजेपी की 'रेवड़ी कल्चर एक्सप्रेस'
इस माहौल में बीजेपी की 'रेवड़ी कल्चर एक्सप्रेस' तेजी से दौड़ रही है। पहले उसने आदिवासियों, फिर महिलाओं को साधा। अब नया दांव वो युवाओं पर लगा रही है। आज प्रदेश में करीब 37 लाख से ज्यादा बेरोजगार हैं, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 4 फीसदी और कुल मतदाताओं का करीब 7 फीसदी हैं। इनमें से अधिकांश युवा हैं और रोजगार की तलाश में हैं। ऐसे में युवाओं को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नया मास्टर स्ट्रोक चलते हुए घोषणा की कि सरकार युवाओं को ट्रेनिंग के लिए 8 हजार रुपए महीना देगी। ये पैसा उन्हें नौकरी लगने तक मिलेगा। यानी एक प्रकार से ये बेरोजगारी भत्ता ही है। हालांकि इस योजना को कौशल कमाई योजना नाम दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस योजना का फायदा 29 साल तक के वोटर्स को मिलेगा, जिनकी कुल संख्या 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा है। इसके लिए 1 जून से यूथ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे। 1 जुलाई से रजिस्ट्रेशन करने वाले बच्चों को पैसा मिलना शुरू हो जाएगा। इसके तहत 15 से 29 साल के युवा पात्र होंगे। इसका अर्थ ये है कि राज्य में चुनाव के करीब 5 महीने पहले से ये पैसा युवाओं को मिलने लगेगा। दूसरे शब्दों में ये भी सीधे लाभ पहुंचाने वाली योजना है।
युवा सलाहकार परिषद गठित करने की घोषणा
इसके अलावा सीएम शिवराज अपनी हजारों घोषणाओं की कड़ी में ताजा घोषणा प्रदेश में युवा सलाहकार परिषद गठित करने की की है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। ये परिषद खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधीन काम करेगा। ये अलग बात है कि प्रदेश में युवा आयोग 2012 से है, लेकिन वो करता क्या है, ये किसी को नहीं मालूम। इसके अलावा उद्यम क्रांति योजना के तहत युवाओं को मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 1 लाख से लेकर 50 हजार रुपए तक का लोन बैंक देगा। इस लोन की वापसी की गारंटी सरकार देगी। साथ में ब्याज पर सब्सिडी भी मिलेगी।
सीएम ने की स्वर्ण कला बोर्ड की घोषणा
उधर सीएम ने राज्य में स्वर्णकार समाज को खुश करने के लिए प्रदेश में राज्य में प्रजापति समाज के लिए पूर्व में गठित 'माटी कला बोर्ड' की तर्ज पर 'स्वर्ण कला बोर्ड' की भी घोषणा कर डाली है। ये गठन 1 हफ्ते के अंदर हो जाएगा। साथ ही जनजातीय लोक कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 1 हजार कलाकारों को 3 हजार प्रतिमाह फैलोशिप दी जाएगी। मुख्यमंत्री की इन दनादन घोषणाओं का मतदाता पर कितना असर होगा, ये तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा, लेकिन बीजेपी ये मानकर चल रही है कि आजकल सीधे लाभ वाली योजनाएं ही चुनावी कामधेनु ज्यादा सिद्ध हो रही हैं। इसमें विकास का तड़का तो है ही। लिहाजा सीएम की हर वर्ग को साधने वाली तमाम घोषणाओं को मास्ट्रर स्ट्रोक या 'गेम चेंजर' के रूप में देखा जा रहा है। इसका परोक्ष संदेश ये भी है कि चुनाव तक मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सुरक्षित है। चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में होंगे।
बीजेपी से कांग्रेस ने लगाई होड़
उधर कांग्रेस कुछ मामलों में बीजेपी से होड़ करती दिखी, लेकिन राहुल गांधी की सदस्यता जाने के मुद्दे ने खुद उसी का ध्यान भटका दिया है। इसके पहले तक लग रहा है कि रेवड़ी कल्चर में कांग्रेस बीजेपी से पीछे नहीं रहना चाहती। मसलन जैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना के तहत गरीब महिलाओं को 1 हजार रुपए प्रतिदिन देने का ऐलान किया, उसके दूसरे ही दिन कांग्रेस ने उसकी आलोचना करने की बजाय पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने ऐलान कर डाला कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो बहनों को 1500 रुपए प्रतिमाह की राशि दी जाएगी। यही नहीं, उन्होंने चुनावी घोषणा पत्र में गृहणियों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की योजना का भी ऐलान किया। इस घोषणा पर अभी बीजेपी की प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसके पहले कांग्रेस शासकीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने और किसान कर्जमाफी फिर से लागू करने जैसी घोषणाएं कर चुकी है।
लाड़ली बहना योजना के लिए बजट में 12 हजार करोड़ का प्रावधान
मुख्यमंत्री चौहान ने लाड़ली बहना योजना के लिए तो बजट में 12 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी कर दिया है। माना जा रहा है कि इससे 1 करोड़ 30 लाख महिलाएं सीधे लाभान्वित होंगी। इस घोषणा का असर ये हुआ कि तमिलनाडु में स्टालिन सरकार ने भी इसे अपने राज्य में लागू करने का ऐलान किया है। इसके पहले मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना पहले से लागू है। योजना के तहत 44.39 लाख बालिकाओं को पंजीकृत किया जा चुका है। इसी तरह राज्य में महिला स्व-सहायता समूह भी काम कर रहे हैं, जिनसे 47 लाख से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं। इन्हें 5 हजार 84 करोड़ का क्रेडिट लिंकेज दिया गया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 33 लाख महिला हितग्राहियों का पंजीयन किया गया है। इन्हें 1 हजार 466 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। योजना काम कर गई तो इसका लाभ बीजेपी को मिलना तय है।
किसानों को मुफ्त बिजली देने का ऐलान
रेवड़ी कल्चर का एक और दांव बिजली पर सब्सिडी का है। शिवराज सरकार ने किसानों को 5 हॉर्स पावर तक बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया है। इस पर 22 हजार 500 करोड़ की सबसिडी दी जाएगी। साथ ही अटल गृह ज्योति योजना में रियायती दर पर यानी 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली दी जाएगी। उधर कांग्रेस ने भी ऐलान किया है कि वो चुनाव जीती तो इंदिरा गृह और कृषि ज्योति योजना के तहत 300 रुपए में 300 यूनिट बिजली देगी। इसके लिए 33 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाएगी।
रसोई गैस सिलेंडर का मुद्दा
तीसरा मुद्दा रसोई गैस सिलेंडर का है। ये भी महिलाओं से ज्यादा संबंधित है। आज रसोई गैस का सिलेंडर 1 हजार रुपए से ज्यादा का हो चुका है। गरीब के लिए इतने महंगे सिलेंडर से खाना पकाना दूभर है। कांग्रेस ने 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने के साथ-साथ उज्ज्वला योजना के तहत 80 लाख गैस कनेक्शन देने, 6 सिलेंडर पर सबसिडी देने का वादा किया है। इस पर 3500 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
रेवड़ी कल्चर प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह
हालांकि अर्थ शास्त्रियों की नजर में ये रेवड़ी कल्चर प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह है, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए पहला लक्ष्य चुनाव जीतना है। फिर चाहे वो किसी भी टोटके या तिकड़म से क्यों ना हो। कुल मिलाकर राज्य में चुनाव संग्राम के पहले चरण में चुनावी रणनीति रेवड़ी कल्चर पर ज्यादा केंद्रित होती दिख रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दावे के साथ कह चुके हैं कि वो राज्य में बीजेपी सरकार के खिलाफ 'एंटी इनकम्बेंसी' को बीजेपी के पक्ष में 'प्रो इनकम्बेंसी' में बदल देंगे। घोषणाओं की बौछार इसी 'मिसाइल अटैक' का हिस्सा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसका जवाब किस तरह दे पाती है, ये देखने की बात है।