कमलनाथ को अभिमन्यु की तरह घेर रही बीजेपी, दस बार के विजेता को हराने मोदी के चक्रव्यूह में दस योद्धा तैनात

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कमलनाथ को अभिमन्यु की तरह घेर रही बीजेपी, दस बार के विजेता को हराने मोदी के चक्रव्यूह में दस योद्धा तैनात

अरुण तिवारी, BHOPAL. एमपी के विधानसभा चुनाव इसलिए भी खास हैं क्योंकि ये बीजेपी के लिए नाक का सवाल हैं और कांग्रेस के लिए नाथ का सवाल हैं। नाथ की मात के लिए बीजेपी चक्रव्यूह तैयार कर रही है। इन चुनावों में बीजेपी कमलनाथ को अभिमन्यु की तरह घेर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रीवा दौरे ने ये बात और साफ कर दी हे। मोदी ने अपने भाषण में पांच बार कमलनाथ पर निशाना साधा। छिंदवाड़ा मॉडल पर भी सवाल उठाए। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी छिंदवाड़ा का दौरा कर चुके हैं। सीएम शिवराज के भी कमलनाथ पर हमले बढ़ गए हैं। 





विधानसभा चुनावों में दस का दम



इस बार के विधानसभा चुनाव में दस का दम नजर आने वाला है। एक तरफ दस चुनाव के विजेता कमलनाथ हैं तो दूसरी तरफ उनके घेरने के लिए बनाए गए चक्रव्यूह में मोदी समेत दस योद्धा तैनात किए गए हैँ। बीजेपी की रणनीति के तहत कमलनाथ को घर में घेरना है। इसके जरिए बीजेपी एक तीर से दो शिकार कर रही है। और इसीलिए प्रदेश में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे बढ़ गए हैं। बीजेपी की नजर 2023 में कमलनाथ की मात के साथ ही 2024 में छिंदवाड़ा से प्रदेश के एकलौते कांग्रेस सांसद और कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ को हराने की इबारत भी लिख रही है। यानी इस बार बीजेपी प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट जीतने का सपना संजो रही है। 





बीजेपी के चक्रव्यूह में ये हैं योद्धा



कमलनाथ को अभिमन्यु की तरह घेरने के लिए बीजेपी बाकायदा चक्रव्यूह बना रही है। इस चक्रव्यूह के नायक बीजेपी का सबसे बड़ा चुनाव जिताउ चेहरा नरेंद्र मोदी हैं। मोदी के अलावा जिन योद्धाओं को इस चक्रव्यूह में कमलनाथ को घेरने के लिए तैनात किया गया है उनमें अमित शाह हैं जो मोदी की रणनीति को अमली जामा पहना रहे हैं। अमित शाह के इशारों पर जमीन पर काम करने वाले नेताओं में सीएम शिवराज,प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा,संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह,एल मुरुगन,प्रभारी मंत्री कमल पटेल, चुनाव प्रभारी सांसद कविता पाटीदार और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हैं। बीजेपी के ये नेता कमलनाथ की ताकत और कमजोरी की नापतौल कर रहे हैं। कमजोर कड़ियों को तलाशा जा रहा है। 





कमलनाथ का अभेद दुर्ग है छिंदवाड़ा



छिंदवाड़ा कमलनाथ का अभेद दुर्ग माना जाता है। वे यहां से नौ बार सांसद चुने गए हैँ। सिर्फ एक बार उनको 1997 में उपचुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता रहे सुंदरलाल पटवा ने हराया था। लेकिन उसके अगले ही साल 1998 में चुनाव हुए और फिर कमलनाथ ने पटवा को हराकर अपनी हार हार का बदला ले लिया। नौ बार सांसद के साथ ही 2019 में वे छिंदवाड़ा से विधायक भी चुने गए। उनकी जगह सांसद के रुप में उनके पुत्र नकुलनाथ आ गए। कमलनाथ ने लगातार केंद्रीय मंत्री रहते हुए छिंदवाड़ा का विकास किया है जिसे विकास का छिंदवाड़ा मॉडल कहा जाता है। पीएम मोदी ने रीवा में इसी छिंदवाड़ा मॉडल पर निशाना साधा था। 





बूथ मैनेजमेंट प्लान जीत की कुंजी



छिंदवाड़ा में कमलनाथ की जीत की कुंजी उनके बूथ मैनेजमेंट प्लान को जाती है। छिंदवाड़ा से कांग्रेस नेता सैयद जाफर कहते हैं कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में लोगों से व्यक्तिगत संबंध बनाए हैं और यही उनकी ताकत है। वे लोगों का मुफ्त इलाज भी कराते हैं और युवाओं को नौकरी भी दिलाते हैं। चालीस साल पहले जब वे चुनकर आए थे तो छिंदवाड़ा जैसे आदिवासी जिलों में न पानी था न सड़क थी। कमलनाथ ने एक तरफ तो छिंदवाड़ा का विकास मॉडल दिया है तो दूसरी तरफ संगठन मॉडल खड़ा किया है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी ताकत लोगों से सीधा संबंध और संवाद है। बूथ से लेकर मंडलम,सेक्टर के लोगों को वे  नाम से जानते हैं और यही उनकी जीत का सबसे मजबूत सूत्र है। बूथ मैनेजमेंट पर ही वीडी शर्मा का पूरा प्लान चल रहा है। वीडी शर्मा का कहना है कि बीजेपी का लक्ष्य छिंदवाड़ा जिले की सभी विधानसभा सीटें और 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करना है। छिंदवाड़ा जीतने के साथ ही हम आगामी दोनों बड़े चुनावों में जीतने के संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे। वीडी शर्मा ही नहीं बल्कि बीजेपी के दूसरे नेता भी छिदवाड़ा में डेरा जमा रहे हैं। कांग्रेस का गढ़ माने जाने छिदवाड़ा में प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद तीन विधानसभाओं में बूथ विस्तारक अभियान में शामिल होने के साथ ही विधानसभा प्रबंध समितियों की बैठकें कर चुके हैं। 







छिंदवाड़ा के बहाने आदिवासियों पर फोकस





छिंदवाड़ा आदिवासी बाहुल्य जिला है। यहां पर 37 फीसदी आदिवासी हैं। 11 ब्लॉक में से 4 ब्लॉक आदिवासी हैं। बीजेपी छिंदवाड़ा के जरिए आदिवासियों में भी पैठ बढ़ाने की कोशिश में है।





ऐसे समझें आदिवासी सीटों का गणित







  • बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश के आदिवासी वोटरों पर हैं, प्रदेश में 230 में से 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं।



  • पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित सीटों में से कांग्रेस 31 सीटें जीतने में सफल रही थी जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं। हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी 47 में से 30 सीटें जीती थीं, इसीलिए बीजेपी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है।


  • आदिवासियों को लुभाने की कोशिश के अंतर्गत बीजेपी उनके शहीदों के सम्मान के कार्यक्रम आयोजित कर रही है. इसी के तहत अमित शाह छिंदवाड़ा आए। वहां पर उन्होंने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बादल भोई की जन्मस्थली पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।


  • अमित शाह फरवरी में सतना जाकर शबरी कोल जनजाति के महाकुंभ में शामिल हुए थे। इससे पहले प्रमुख आदिवासी नायकों टंट्या भील, रानी कमलापति के नामों पर चौराहे और रेलवे स्टेशन का नाम रखा जा चुका है। ऐसे ही बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर छुट्टी की घोषणा हो चुकी है। साथ ही आदिवासी पंचायतों को पेसा एक्ट  के तहत उनकी जल-जंगल-जमीन के हर मामले में निर्णय करने का अधिकार भी दिया जा चुका है।


  • एमपी के छिंदवाड़ा के आसपास बैतूल-हरदा के अलावा मंडला-डिंडोरी लोकसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है।  छिंदवाड़ा में आठ लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं। बीजेपी की कोशिश है कि किसी भी तरह से आदिवासियों को साथ लाया जा सके। अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, पांढुरना सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।






  • छिंदवाड़ा महापौर के साथ 7 निकाय पर कांग्रेस काबिज





    साल 2018 के चुनाव में छिंदवाड़ा की सभी 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था, जो यह बताता है कि कमलनाथ की इस जिले में क्या हैसियत है? हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव में भी छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने बाजी मार ली। छिंदवाड़ा महापौर के साथ 7 निकाय पर कांग्रेस काबिज हो गई है. छिंदवाड़ा में कांग्रेस हो कमलनाथ की इस जीत को बीजेपी पचा नहीं पा रही है। कमलनाथ ने पिछला विधानसभा चुनाव विकास के 'छिंदवाड़ा मॉडल' पर लड़ा था. इसके बाद उन्होंने 15 साल बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाई थी. बस इसी वजह से बीजेपी की इस बार कमलनाथ और छिंदवाड़ा से दो-दो हाथ करने की तैयारी है। बीजेपी अब यह मिथक तोड़ना चाहती है कि 'छिंदवाड़ा विजय' उसके लिए किसी सपने से कम नहीं है। कमलनाथ कहते हैं कि बीजेपी कितनी ही कोशिश कर ले लेकिन छिंदवाड़ा की जनता सच्चाई जानती है। यहां का चुनाव कमलनाथ नहीं बल्कि यहां की जनता लड़ती है इसिलए बीजेपी की कोशिश कामयाब होने वाली नहीं है।



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