राहुल शर्मा, DAMOH. दमोह शिव के स्वरूप जागेश्वरनाथ के लिए जाना जाता है। बानकपुर में जागेश्वर नाथ का मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। जिला मुख्यालय की इस विधानसभा सीट पर आज भी कई समस्याएं हैं, जिनके समाधान के लिए जनता राह तक रही है। तंग बाजार, सार्वजनिक शौचालयों की कमी और बेतरतीब ट्रैफिक से दमोह की जनता का दम निकल रहा है। उपचुनाव के समय अचानक सुर्खियों में आए दमोह का अब राजनीतिक गलियारों में जिक्र तक नहीं है और चुनाव के समय जनता से किए गए वादों की राजनेताओं को कोई फिक्र भी नहीं है।
दमोह विधानसभा सीट का सियासी मिजाज
2018 से पहले तक दमोह बीजेपी के किसी अभेद किले से कम नहीं था। 1984 में हुए उपचुनाव के बाद से यहां लगातार बीजेपी ही जीती। पूर्व मंत्री जयंत मलैया यहां से लगातार 7 बार विधायक चुने गए। 2018 के चुनाव में रामकृष्ण कुसमरिया की बीजेपी से बगावत के कारण ये सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई और कांग्रेस की टिकट पर राहुल सिंह लोधी यहां से विधायक चुने गए। हालांकि मेडिकल कॉलेज की मांग पूरी न होने पर लोधी ने कमलनाथ सरकार से इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर राहुल सिंह लोधी चुनाव लड़े पर हार गए। यहां वर्तमान में कांग्रेस से विधायक अजय टंडन हैं।
दमोह विधानसभा सीट के राजनीतिक समीकरण
बीजेपी यहां तीन गुटों में बंटी नजर आती है। पहला गुट जयंत मलैया का समर्थक है और दूसरा गुट केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को सपोर्ट करता है। राहुल सिंह लोधी के बीजेपी में शामिल होने से उनके समर्थकों का तीसरा गुट यहां तैयार हो गया है। बीजेपी यदि नए चेहरे को लाती है तो कांटे की टक्कर हो सकती है। जयंत मलैया अपने बेटे सिद्धार्थ के लिए टिकट मांगेंगे। हालांकि पार्टी नहीं मानी तो खुद मैदान में उतरेंगे। राहुल सिंह लोधी यहां थोड़ा कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं लेकिन बीजेपी की इस सिर फुटव्वल में कांग्रेस को फायदा होता नजर आ रहा है।
दमोह विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण
दमोह विधानसभा में ओबीसी वर्ग का दखल ज्यादा है। इस विधानसभा में डेढ़ लाख मतदाता हैं जिसमें लोधी समाज के 40 हजार और कुर्मी समाज के 30 हजार मतदाता हैं। तो वहीं 42 हजार मतदाता अनुसुचित जाति वर्ग के हैं। ब्राह्मण वर्ग के करीब 25 हजार मतदाता हैं तो मुस्लिम समाज के 20 हजार और 17 हजार जैन वोटर भी हैं।
दमोह विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
दमोह विधानसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज सबसे बड़ा मुद्दा है। इसी मुद्दे को लेकर यहां उपचुनाव तक की स्थिति निर्मित हुई पर अभी भी मेडिकल कॉलेज दमोह में नहीं आ पाया। इस विधानसभा इलाके में बेरोजगारी को लेकर युवा वर्ग पेरशान है। रोजगार नहीं होने से लोग यहां से पलायन कर रहे हैं। लॉकडाउन में अपने घर लौटे मजदूरों की संख्या सवा लाख से भी ज्यादा थी। इस इलाके में विकास कार्यों की गुणवत्ता और उसमें हो रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा भी सुर्खियों में रहता है। इस इलाके में कानून व्यवस्था की खराब हालत है तो वहीं पेयजल की समस्या को मुद्दा बनाकर 4 चुनाव जीते जयंत मलैया भी सिर्फ वादे करके ही रह गए थे। जनता की इन तमाम समस्याओं पर जब हमने राजनीतिक दलों के नुमाइंदों से बात की तो वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए।
द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकलकर आए।
द सूत्र ने दमोह विधायक से पूछे सवाल
- आपने इलाके में कौन-कौन से बड़े विकास कार्य कराए ?
दमोह विधायक अजय टंडन ने क्या कहा..
जनता के सवालों के जवाब में विधायक अजय टंडन ने कहा कि विपक्षी विधायक होने के बावजूद इलाके में विकास कार्य करवाए। अपने खर्च से विधायक कौशल केंद्र खोला, जिसमें 1300 से ज्यादा युवतियों ने अनेक काम सीखे। विधायक निधि से गौशाला, पुलिया आदि का निर्माण कराया। अजय टंडन ने कहा कि सीएम शिवराज ने वादा किया था कि मेडिकल कॉलेज खुलेगा लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका। दमोह के अस्पताल में स्टाफ की कमी है पहले उसे पूरा करें। अजय टंडन ने आने वाले चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया।
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