इंदौर में नाइट कल्चर लागू हुए बीते दो माह, अधिकारी चुप, बीजेपी नेता और समाजसेवी संगठन ही उतरे विरोध में, लगातार उठ रहे सवाल

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Vivek Sharma
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इंदौर में नाइट कल्चर लागू हुए बीते दो माह, अधिकारी चुप, बीजेपी नेता और समाजसेवी संगठन ही उतरे विरोध में, लगातार उठ रहे सवाल

संजय गुप्ता/योगेश राठौर, INDORE, प्रवासी भारतीय दिवस और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को देखते हुए बीजेपी सरकार और जिला प्रशासन ने मिलकर इंदौर में भी लंदन, न्यूयार्क, पेरिस जैसा नाइट कल्चर शुरू करने का फैसला लिया और लंबी चौड़ी गाइडलाइन बनाते हुए 16 सितंबर को पहले चरण में 11.45 किमी लंबे बीआरटीएस कॉरिडोर के दोनों ओर 100-100 मीटर के दायरे में 24 घंटे दुकान खुली रखने का आदेश जारी कर दिया लेकिन रोजगार और निवेश बढ़ने के आंकड़े तो कोई बता नहीं पा रहा है लेकिन लगातार शराब पीकर हुड़दंग करने वालों के वीडियो जरूर इंदौर और पूरे मप्र में वायरल होने लगे। अब सत्ताधारी सरकार के मंत्री, बीजेपी की शहर की कोर कमेटी से लेकर विविध सामाजिक संगठन इसका विरोध जताने लगे हैं, लेकिन फिलहाल अधिकारी चुप हैं और कोई भी इस सिस्टम की समीक्षा करने के लिए तैयार नहीं है। 



फिलहाल नाइट कल्चर यानि रात को खाना और घूमना



नाइट कल्चर का उद्देश्य था कि यहां रात को भी आर्थिक गतिविधियां जैसे मॉल, रेस्त्रां, बीपीओ व आईटी कंपनियां, अन्य दफ्तर रात भर खुलें, जिससे रात को काम बढ़े और रोजगार भी, लेकिन फिलहाल दो माह में करीब 100 संस्थान ने ही 24 घंटे खुले रखने की मंजूरी ली है जिसमे सभी खाने-पीने के छोटे-छोटे ठिए और रेस्त्रां ही हैं। 



सबसे बड़ी बात खुद की गाइडलाइन का ही पालन नहीं कर रहे अधिकारी




  • सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस नाइट कल्चर को शुरू करते समय जिला प्रशासन ने लंबी-चौड़ी गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन वह खुद ही इसका पालन नहीं करा पा रहे हैं जैसे 


  • गाइडलाइन- 24 घंटे खुलने वाले संस्थान पूरे एरिया को कवर करने वाले सीसीटीवी लगाएंगे और लाइव रिकार्डिंग पर नजर रखी जाएगी। 

  • हाल यह है- खुलने वाले अधिकांश छोटे ठिए हैं, यहां सीसीटीवी जैसी कोई व्यवस्था नहीं और ना ही लाइव रिकार्डिंग पर नजर है।

  • मॉल, होटल आदि में हाईपिक्सल कैमरे होंगे, सर्विलांस सिस्टम होगा- ऐसा भी नहीं हुआ

  • रात में काम करने वाले कर्मचारियों की मासिक रिपोर्ट श्रम विभाग और थाने पर जाएगी, यह भी अमल में नहीं हुआ

  • 24 घंटे खोलने से पहले निगम से मंजूरी लेना होगी, तय लोगों भी को लगाना होगा लेकिन यह लोगों गिनी-चुनी जगह पर ही लगा है। 500 लोगों ने मंजूरी के लिए आवेदन किया है, इसमें केवल खाने-पीने के व्यवसाय स्थल ही हैं। 

  • फिलहाल करीब 100 संस्थान को मंजूरी मिली हुई है। निगम द्वारा इनकी मौके पर जाकर कोई जांच नहीं हुई कि वह नियमों का पालन कर भी रहे हैं या नहीं

  • संस्थान नो हार्न का बोर्ड लगाएंगे- यह भी नहीं पाया गया

  • सिटी बस हर आधे घंटे में चलेंगी- चल रही हैं लेकिन इसमें मुश्किल से तीन-चार यात्री मिलते हैं, वहीं सिटी बस स्टाप पर कोई स्टॉफ सुरक्षा के लिहाज से नहीं पाया जाता है।

  • बीआरटीएस पर सिक्यूरिटी गार्ड व स्टाफ रहेगा- द सूत्र के निरीक्षण में ऐसा कोई नहीं मिला।

  • रात्रिकालीन गश्त और ट्रैफिक पुलिस रहेगी, बल की कमी है., ले देकर एलआईजी चौराहे पर ही विवादों के बाद पुलिस व्यवस्था की गई बाकी जगह खाली है।



  • बीजेपी कोर कमेटी से लेकर इन नेताओं ने किया विरोध



    जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के साथ इंदौर में हुई बीजेपी को कोर कमेटी में सभी नेता इस व्यवस्था को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। इसे अधिकारियों की एक और प्रयोगशाला बता रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित सभी नेता इसमें उपस्थित थे और सभी ने इसका विरोध किया। पर्यटन व संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने खुलकर इसका विरोध किया और सीएम से बात करने की बात कही। 



    अभ्यास मंडल व अन्य सामाजिक संगठन आए विरोध में



    इसे लेकर अभ्यास मंडल व अन्य सामाजिक संगठन भी विरोध में आ गए हैं। हाल ही में संगठनों ने इस व्यवस्था को लेकर बैठक की और इसमें सुधार को लेकर पुलिस कमिशनर को सुझाव भी दिए। इसमें मुख्य रूप से नशा व ड्रग्स पर कंट्रोल के लिए बार, पब को पूरी तरह बंद करने या जल्द बंद करने का सुझाव दिया गया। 



    बाहर से आए चार से पांच लाख युवाओं पर उठ रहे सवाल



    सभी संगठनों और बुद्धिजीवियों ने नाइट कल्चर को लेकर यही सवाल उठाया है कि इससे नशाखोरी बढ़ी है और युवक-युवतियों का व्यवहार शर्मिंदा करने वाला है। इसके लिए उन्होंने शहर में बाहर से आए चार से पांच लाख अभ्यर्थियों पर कंट्रोल की मांग की है। खुद नाइट कल्चर शुरू कराने की कमेटी में रहे डॉ. अनिल भंडारी ने कहा कि बाहर से आए अभ्यर्थियों पर कोई कंट्रोल नहीं है, वह यहां बिल्कुल स्वच्छंद हो जाते हैं। होस्टलों पर कोई रोक नहीं है, हर घर में पीजी बन गए हैं और किराए पर देने वाले केवल किराया लेने पर जोर देते हैं यह रात भर कहां रहते हैं इसकी कोई निगरानी नहीं है। देखने में आया है कि इन्हीं के फिर वीडियो सामने आते हैं,. जिससे इंदौर की संस्कृति पर सवाल उठते हैं। 



    पुलिस खुद मान रही बल की है कमी



    ऐसा लग रहा है कि पुलिस भी खुद इस तरह की व्यवस्था के लिए तैयार नहीं थी, हाल ही में जब गलत वीडियो वायरल हुए और पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन से लेकर अन्य नेता सक्रिय हुए तब जाकर पुलिस ने मुख्य चौराहों पर गश्त बढ़ाई और हर टीआई को पुलिस बल के साथ रात को मैदान में रहने के निर्देश जारी किए।

     इसके बाद जाकर स्थिति कुछ नियंत्रण में आई लेकिन इसका खामियाजा यह हुआ कि शहर के अंदरूनी मार्गों पर रात्रिकालीन गश्त प्रभावित हो गई, इससे अन्य अपराध का खतरा बढ़ गया। पुलिस कमिशनर हरिनारायण चारी मिश्र खुद मानते हैं कि पुलिस बल कम है। 



    लंदन, न्यूयार्क, पेरिस जैसे शहरों में पहले से है नाइट कल्चर



    लंदन की एक साल 2017 की रिपोर्ट बताती है कि 16 लाख कामगारों में से एक तिहाई नाइट में ही काम करते हैं, इससे अर्थव्यवस्था में 112 अरब पाउंड का उत्पादन हुआ। अर्थव्यवस्था को पांच फीसदी का इजाफा हुआ। न्यूयार्क की रिपोर्ट कहती है कि इससे तीन लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार मिला और सरकार ने भी टैक्स के रूप में 70 करोड़ डालर कमाए। सिडनी की एक रिपोर्ट बताती है कि इससे 32 हजार लोगों को अतिरिक्त रोजगार मिला।

     



    छह फीसदी बढ़ती है अर्थव्यवस्था



    नाइट कल्चर को लेकर आई विविध रिपोर्ट से साबित होता है कि इससे अर्थव्यवस्था में छह फीसदी की ग्रोथ होती है। इंदौर की जीडीपी करीब 1.80 लाख करोड़ है यदि इस हिसाब से देखा जा तो इसमें आने वाले समय में छह फीसदी के हिसाब से दस हजार करोड़ से ज्यादा सलाना की अर्थव्यस्था बढ़ेगी, यानि करीब दस हजार लोगों को हर साल अतिरिक्त रोजगार मिलेगा लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पहले सुरक्षा को लेकर पुख्ता व्यवस्था की जाए, जिसके लिए सरकार फिलहाल खर्चा करने के मूड में ही नहीं दिखती है, सालों से पुलिस बल बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा हुआ है तो वहीं निगम द्वारा मुख्य रोड के हर संस्थान के बाहर सीसीटीवी लगाने के नियम संबंधी प्रस्ताव को भी शासन के पास भेजा हुआ है। 



    समय की जरूरत है नाइट कल्चर



    मुंबई, गोवा, बैंगलुरू जैसे शहरों में यह व्यवस्था सालों से हैं, हाल ही में दिल्ली ने भी 300 संस्थानों को खुला रखने की छूट दी है। यह समय की जरूरत है और नौकरी व अर्थव्यस्था दोनों को बढ़ावा देती है, लेकिन जरूरी है सर्विलांस मजबूत हो और हर सेक्टर खुले।


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