बुंदेलखंड में बीजेपी की राह आसान नहीं, सपा-बसपा के प्रभाव से बिगड़ेगा समीकरण; चुनावी साल में आरोप-प्रत्यारोप जारी

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Ravindra Vyas
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बुंदेलखंड में बीजेपी की राह आसान नहीं, सपा-बसपा के प्रभाव से बिगड़ेगा समीकरण; चुनावी साल में आरोप-प्रत्यारोप जारी

BHOPAL. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 2023 का चुनाव लड़ने का मन बना चुकी बीजेपी के लिए बुंदेलखंड की पथरीली जमीन का रास्ता आसान नहीं होगा। बुंदेलखंड की क्षेत्र की 26 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस जहां अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में जुटी है, बुंदेलखंड में बीजेपी की राह आसान नहीं है। बीजेपी अपनी 2013 वाली स्थिति में आने के लिए बेकरार है। सियासी समीकरण में तेजी से बदलाव हो रहा है। हालांकि बुंदेलखंड के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों में सपा और बसपा का प्रभाव कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बनाने बिगाड़ने में अहम भूमिका अदा करते हैं।



बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियां



बुंदेलखंड के सियासी धरातल पर इस बार बीजेपी के सामने चुनौतियां बड़ी हैं। इन चुनौतियों की काट निकालने के लिए बुंदेलखंड में बीजेपी ने अपने स्तर पर कई तरह के समीकरण भी बनाए हैं। सागर जिले में बीना विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेता शशि कथोरिया, सागर के नेमिचन्द्र जैन और कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेता ब्रज बिहारी पटैरिया बीजेपी में सम्मलित हो गए। दूसरी तरफ कांग्रेस के खुरई से चुनाव लड़ने वाले अरुणोदय चौबे ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उन्होंने अभी तक बीजेपी की सदस्यता नहीं ली है। दरअसल बुंदेलखंड के 3 कांग्रेस विधायक और बड़े नेताओं के दल बदलने के कारण कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इसका असर चुनाव परिणामों में देखने को मिल सकता है। सागर जिले में सुरखी और देवरी ऐसी विधानसभा सीट है जिन पर बीजेपी के पास कोई सशक्त प्रत्याशी नहीं था। गोविंद राजपूत के बीजेपी में आने के बाद सुरखी में बीजेपी को लाभ मिलेगा। ये अलग बात है राजपूत के बीजेपी में आने के बाद सुरखी से 2013 में 141 वोट से चुनाव जीतने वाली बीजेपी की पारुल साहू ने बीजेपी को त्याग का कांग्रेस का हाथ थाम लिया था और उप चुनाव में लगभग 41 हजार वोट से हारी थीं। इसी तरह सागर जिले की एक विधानसभा सीट है देवरी जहां से कांग्रेस के हर्ष यादव लगातार दूसरी बार चुनाव जीते। बीजेपी ने इस क्षेत्र के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक ब्रज बिहारी पटैरिया को पार्टी में सम्मलित कर अपने मनसूबे साफ कर दिए हैं कि हर हाल में चुनाव जीतना है।



2018 का चुनाव परिणाम



2018 के चुनाव परिणाम को देखें तो बुंदेलखंड की 26 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 10 और बीजेपी ने 14 विधानसभा सीटें जीती थीं। जीतने वाली इन सीटों में 5 हजार से कम के अंतर से बीजेपी 4 सीट पर और कांग्रेस 5 सीट पर जबकि बीएसपी ने एक सीट पर चुनाव जीता था। बुंदेलखंड में सबसे कम अंतर से चुनाव जीतने वाले बीजेपी के बीना के महेश राय थे जो कांग्रेस के शशि कथोरिया से मात्र 632 मत से चुनाव जीते थे, शशि कथोरिया अब बीजेपी में सम्मिलित हो गए हैं। कम अंतर से जीतने के कारण इस विधानसभा क्षेत्र में दावेदारों की अच्छी खासी संख्या है। दूसरे नंबर पर चंदला के राजेश प्रजापति थे जो मात्र 1177 मत से चुनाव जीत सके थे। ये वही राजेश प्रजापति हैं जो अपने आचरण और अपने पिता के कारण हमेशा विवादों में रहते हैं। इसी तरह कांग्रेस में राजनगर से विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा मात्र 732 मत से दमोह के राहुल सिंह 798 मत से चुनाव जीते थे। बाद में राहुल सिंह लोधी बीजेपी में सम्मलित हो गए और उपचुनाव में वे कांग्रेस के अजय टंडन से चुनाव हार गए। बीजेपी के टारगेट में ये 10 सीटें प्रमुखता से हैं।



आम आदमी पार्टी भी प्रभाव डालने में जुटी



उत्तर प्रदेश की सीमा से लगने वाली 9 विधानसभा सीट सहित 11 विधानसभा सीट पर बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी के समीकरणों में बड़ा परिवर्तन किया है। सबसे ज्यादा असर निवाड़ी, पृथ्वीपुर और जतारा विधानसभा सीट पर देखने को मिला था। निवाड़ी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी में और पृथ्वीपुर में सपा और कांग्रेस में मुख्य मुकाबला था। 2023 के चुनाव में इन पार्टियों के अलावा आम आदमी पार्टी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में जुटी है। सियासी खबरों की मानें तो आप ने इस बार जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर और पार्टी के बागियों पर दांव लगाने की तैयारी की है।



बजट पर बवाल



सियासी मुद्दों की तलाश में भटकती कांग्रेस को बीजेपी ने बजट में बैठे-बैठाए मुद्दे दे दिए। दमोह के कांग्रेस विधायक अजय टंडन ने आरोप लगाया था कि दमोह उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कही थी। बजट से नदारद है, अब जन आंदोलन ही एक बड़ा रास्ता बचता है। इस मुद्दे को लेकर दमोह जिला कांग्रेस हर विधानसभा क्षेत्र में जाएगी और मुख्यमंत्री को झूठा साबित करने का प्रयास करेगी। दमोह जिले में कांग्रेस अपना जनाधार मजबूत करने में जुटी है।



टीकमगढ़ में भी मेडिकल कॉलेज की मांग



टीकमगढ़ जिले में भी मेडिकल कॉलेज की मांग की जा रही थी इस मांग को लेकर पूर्व में कई आंदोलन भी हो चुके हैं। सरकार को टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज बनाने का प्रस्ताव जिले के विधायकों ने सर्व सम्मति से दिया था, किन्तु इस बजट में इसकी कोई घोषणा नहीं हुई। इस बात को हवा देने के अभियान में कांग्रेस जुट गई है। सागर में भी सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राजघाट बांध को 2 मीटर ऊंचा करने की बात कही थी, किंतु बजट में इसको लेकर कोई बजट ना होने से सागर के लोगों को निराशा है। दरअसल सागर जिले के राजघाट बांध की ऊंचाई बढ़ने का सीधा लाभ नगर की पेयजल व्यवस्था को मिलता। वर्तमान में बांध का पानी गर्मियों में निचले स्टार पर पहुंच जाने के कारण यहां के लोगों को पेयजल की परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि सरकार ने दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए संत रविदास मंदिर के लिए 100 करोड़ का प्रावधान बजट में किया है। दूसरी तरफ आधी आबादी को साधने के लिए महिलाओं को हर माह 1 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान बजट में किया गया है। इस पर भी कांग्रेस हमलावर है।



सीएम शिवराज पर आरोप



दमोह में कांग्रेस की संभागीय प्रवक्ता निधि श्रीवास्तव ने एक पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधा आरोप लगा दिया की मुख्यमंत्री बहनों के साथ छलावा करके 1 हजार रुपए में उनके वोट खरीद रहे हैं। उनका कहना था कि चुनाव के कुछ माह शेष रहे हैं, महिलाओं को कागजी खानापूर्ति में ही समय निकल जाएगा। वहीं, टीकमगढ़ में कांग्रेस की किरण अहिरवार ने कहा है कि कांग्रेस सरकार आने पर महिलाओं को 1500 रुपए दिए जाएंगे।



चुनावी साल में आरोप-प्रत्यारोप



दरअसल चुनावी वर्ष में यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। जिसे जहां भी मौका मिलता है। बीजेपी के नेता अपनी उपलब्धियां बताने में नहीं चूक रहे हैं, एमपी-यूपी की 54 विधानसभा क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली केन बेतवा लिंक परियोजना को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर बताया जा रहा है। इससे ना सिर्फ सिंचाई होगी, बल्कि बिजली और पेयजल भी लोगों को मिलेगा। छतरपुर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज को लेकर भी बीजेपी के नेता क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं।


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