/sootr/media/post_banners/ceaa37e047a74df63cf4649a3407efb7c43feaf85c4129425e09c96bc102b6f1.jpeg)
Jabalpur. जबलपुर में केंट बोर्ड में पार्षद बनने का सपना देख रहे नेताओं को बड़ा झटका लगा है। रक्षा मंत्रालय ने अगले 6 माह के लिए बोर्ड को भंग रखने का निर्णय लिया है। बात साफ है कि 6 माह बीतते-बीतते मध्यप्रदेश समेत करीब 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो जाऐंगी। लिहाजा केंट बोर्ड के लिए मेंबर्स का निर्वाचन लंबे समय के लिए टल गया है। जानकारों का कहना है कि केंट बोर्ड के चुनाव अब लोकसभा चुनाव के बाद ही संभव हो पाऐंगे।
जानकारी के मुताबिक 6 फरवरी को रक्षा मंत्रालय की ओर से एक गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ। जिसमें केंट एक्ट 2006 की धारा 13 की उपधारा के खंड ख और उपधारा 4 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए देश की 56 केंट बोर्ड को 6 माह के लिए और भंग कर दिया गया है। यह अवधि 11 फरवरी 2023 से प्रारंभ होगी। इससे पहले जारी आदेश की कार्यावधि 10 फरवरी को समाप्त होने जा रही थी। जिसे ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय ने नया आदेश जारी कर दिया।
- यह भी पढ़ें
केंट बोर्ड भंग स्थिति में साल 2019 से चल रही है। 3 साल बीतने को है लेकिन चुनाव की स्थिति ही नहीं बन पा रही है। ऐसे में केंट एक्ट के तहत सिविल एरिया से जुड़े मामलों में पक्ष रखने व सुझाव देने के लिए एक सिविल मेंबर नामित किया जाता है। देश के लगभग सभी केंट बोर्ड में नामित मेंबर की नियुक्ति हो चुकी है लेकिन जबलपुर केंट बोर्ड के लिए आज तक नाम फाइनल ही नहीं हो सका। अब हालात यह हैं कि जबलपुर केंट का हर निर्णय अधिकारियों के हाथ में होता है।
बताया जा रहा है कि केंट एक्ट में संशोधन विधेयक रक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है। संसद के बीते दो सत्रों में प्रस्तावित विधेयक संसद में रखे जाने के लिए सूचीबद्ध भी हुआ, लेकिन कई कारणों के चलते संसद में रखा नहीं जा सका। अब जानकारों का कहना है कि जब तक केंट एक्ट के संशोधन विधेयक को सरकारी स्वीकृत नहीं करा लेती, तब तक चुनावों का होना संभव नहीं है। दरअसल संशोधन के बाद केंट बोर्ड उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराया जाना है। इसके अलावा केंट एक्ट संशोधन के बाद देश के कई केंट बोर्ड का विलय समीपस्थ नगरीय निकाय में किये जाने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाएगा।